नीम करोली बाबा के धाम जाकर बदली मनोज बाजपेयी की किस्मत, बोले-मेरा एक्टिंग करियर बच गया
punjabkesari.in Saturday, Sep 20, 2025 - 05:01 PM (IST)

नारी डेस्क: बॉलीवुड के दमदार अभिनेता मनोज बाजपेयी इस वक्त अपनी नई फिल्म ‘जुगनुमा’ को लेकर सुर्खियों में हैं। फिल्म को दर्शकों से खूब सराहना मिल रही है। लेकिन इस फिल्म से जुड़ा एक ऐसा आध्यात्मिक किस्सा है, जिसे खुद मनोज बाजपेयी ने साझा किया है – और ये किस्सा उनकी किस्मत बदलने की कहानी है।
जब मनोज बाजपेयी ने खो दिया था आत्मविश्वास
एक इंटरव्यू में मनोज बाजपेयी ने बताया कि फिल्म ‘जुगनुमा’ की शुरुआत से ठीक पहले वे एक बेहद बेचैन और परेशान दौर से गुजर रहे थे। उन्होंने कहा “मुझे लगने लगा था कि शायद अब मेरे करियर का वक्त खत्म हो चुका है। एक्टर के तौर पर मैं कहीं खो गया हूं। 'द फैमिली मैन सीजन 1' से पहले करीब एक साल तक मेरे पास कोई काम नहीं था। मैं अंदर से जवाब ढूंढ रहा था – कि अब आगे क्या?”
नीम करोली बाबा के कैंची धाम की यात्रा बनी टर्निंग पॉइंट
उसी दौरान डायरेक्टर राम रेड्डी के साथ मिलकर मनोज बाजपेयी ने एक आध्यात्मिक यात्रा का फैसला किया। उन्होंने बताया कि उन्होंने और राम रेड्डी ने उत्तराखंड स्थित नीम करोली बाबा के प्रसिद्ध कैंची धाम जाने का निश्चय किया। “राम ने कहा चलो बाबाजी की गुफा में चलते हैं। हम दोनों ऊपर चढ़े, लगभग एक घंटे की चढ़ाई के बाद वहां पहुंचे। वहां हमने ध्यान किया। और सच में... कुछ जादुई हुआ।”
‘जुगनुमा’ वहीं से मिली – दिल से निकला विश्वास
नीचे लौटते वक्त दोनों ने एक-दूसरे को देखा और बिना कुछ कहे एक गहरी समझ बन गई। “हमने एक-दूसरे से कहा – हमें अपनी फिल्म मिल गई।” मनोज बाजपेयी मानते हैं कि कैंची धाम की वह यात्रा न सिर्फ उनके लिए बल्कि 'जुगनुमा' के लिए भी एक टर्निंग पॉइंट साबित हुई। उस आध्यात्मिक अनुभव ने उन्हें दोबारा विश्वास दिया, दिशा दी और एक नई शुरुआत का रास्ता खोला।
मनोज की कहानी उन लोगों के लिए प्रेरणा है जो संघर्ष में हैं
मनोज बाजपेयी की यह कहानी सिर्फ एक अभिनेता के करियर की नहीं है, बल्कि उस आस्था और उम्मीद की है जो हमें कठिन समय में संबल देती है। कैंची धाम जाकर उन्होंने जो पाया, वह सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि आत्मिक शांति और आत्मविश्वास था।