Ganesh Chaturthi: घर पर ही बनाएं ईको फ्रेंडली बप्पा की मूर्ति
punjabkesari.in Saturday, Sep 11, 2021 - 02:02 PM (IST)
गणेश चतुर्थी का उत्सव शुरू हो गया है। हर साल करोड़ों भारतीय घर में बप्पा को लाते हैं और फिर समुद्र या नदी के पानी में विसर्जित कर देते हैं लेकिन मार्केट में मिलने वाली मूर्ति केमिकल्स से बनी होती हैं जो पानी को दूषित कर देती हैं। ऐसे में इस बार आप घर पर शुद्ध मिट्टी से मूर्ति बनाकर घर में स्थापना और फिर विसर्जन करें। इससे प्रदूषण भी नहीं होगा और बप्पा भी खुश हो जाएंगे।
चलिए आज हम आपको बताते हैं घर पर ही बप्पा की मूर्ति बनाने का आसान तरीका...
सामग्री:
शाड़ू मिट्टी
प्लास्टिक प्लेटफार्म
अखबार
लकड़ी की डंडी
पेंट और ब्रश
श्रृंगार का सामान
घर पर कैसे बनाएं इको फ्रेंडली गणपति?
1. सबसे पहले शाड़ू मिट्टी में पानी डालकर गूंथ लें लेकिन ध्यान रखें कि मिट्टी ना गीली या सूखी नहीं होनी चाहिए।
2. अब एक प्लास्टिक, वुडन या कोई भी प्लेटफार्म लें और उसपर अखबार रखें, ताकि मिट्टी चिपके नहीं। इसके बाद मिट्टी को गणेश प्रतिमा जैसा आकार दें। आप इसके लिए इंटरनेट की मदद ले सकते हैं।
3. पहले मिट्टी से धड़ बनाएं और फिर लकड़ी की डंडी से सिर, हाथ, पैर और सूंड बनाकर जोड़ दें।
4. जब मूर्ति तैयार हो जाए तो उसे सूखने के लिए छोड़ दें।
5. मूर्ति जब अच्छी तरह सूख जाए तब पेंट से उसमें रंग भरें और फिर बप्पा का श्रृंगार करें।
ऐसे करें मिट्टी के गणेश की पूजा
भगवान गणेश प्रतिमा की स्थापना करें। सुबह शाम धूप-दीप जलाएं और बप्पा को दूर्वा, फूल, फल और उनके प्रिय मोदक अर्पित करें। आप चाहें तो लड्डुओं का भोग भी लगा सकते हैं। 10 दिन बाद नदी या तलाब में मूर्ति का विसर्जन करें। आप चाहें तो घर पर भी एक टब या बाल्टी में बप्पा का विसर्जन कर सकते हैं।
इन चीजों से भी बना सकते हैं मूर्ति
अगर आप मिट्टी से मूर्ति नहीं बनाना चाहते तो आप इसके लिए चंदन, दूर्वा, आटे, हल्दी या चॉकलेट से भी बप्पा की प्रतिमा बना सकते हैं। आप चाहें तो ऑनलाइन भी इको फ्रेंडली मूर्तियों का ऑर्डर दे सकते हैं। इससे पर्यावरण को भी कोई नुकसान नहीं होगा और भगवान गणेश भी खुश हो जाएंगे।
केमिकल्स मूर्ति से मर जाती हैं मछलियां
हर साल कोरोड़ों लोग नदी, तलाब या समुद्र में बप्पा की मूर्ति का विसर्जन करते हैं लेकिन इसमें मौजूद केमिकल्स पानी को जहरीला कर देते हैं, जिससे ना जाने कितनी ही मछलियां मर जाती हैं। इससे भगवान की मूर्ति की भी अपमान होता है। ऐसे में बेहतर यही है कि आप मिट्टी की मूर्ति का घर में ही विसर्जन करें।