एक शख्स की पहल! बनाया ऐसा सेनेटरी नैपकिन जिससे बनाई जा सकती है जैविक खाद्य

punjabkesari.in Friday, Nov 06, 2020 - 11:20 AM (IST)

पहले के समय में पीरियड्स के दौरान महिलाएं गंदा कपड़ा, पत्ते जैसी चीजें इस्तेमाल करती थीं। जिसकी वजह से सेहत को काफी नुकसान पहुंचता था। मगर, अब सेनेटरी पैड्स जैसे कई साधन मौजूद हैं, जिसके जरिए महिलाएं पीरियड्स में भी खुद को हाइजीन रख सकती हैं। लेकिन बावजूद इसके कई जगहें ऐसी हैं, जहां महिलाएं पैसों या जागरूकता की कमी के कारण सेनेटरी नेपकिन इस्तेमाल नहीं कर पाती।

महेश खंडेलवाल पर हुआ महिलाओं के दर्द का असर

ऐसी महिलाओं के लिए आगे आए उत्तर प्रदेश के वृंदावन के रहने वाले वैज्ञानिक और उद्यमी महेश खंडेलवाल। जिन्होंने महिलाओं के लिए बेहद सस्ते सेनेटरी नैपकिन बनाने के साथ-साथ उन्हें स्वच्छता संबंधी चिंताओं का ध्यान रखने के लिए जागरूक भी किया। साल 2014 में महेश खंडेलवाल की मुलाकात मथुरा के तत्कालिन जिलाधिकारी बी. चंद्रकला से हुई थी। जिन्होंने ने उन्हें महावारी के समय महिलाओं को होने वाले दर्द के बारे में बताया। 

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सुरक्षा के साथ महिलाओं को दिया रोजगार 

जिसके बाद महेश खंडेलवाल ने सस्ता और पर्यावरण के अनुकूल सेनिटरी पैड बनानी की ठान ली। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक एक वेबसाइट से बात करते हुए महेश खंडेलवाल ने बताया कि देश की करोड़ो महिलाओं को सेनेटरी नैपकिन की जरूरत पड़ती है। हालांकि आज भी ग्रामीण क्षेत्रों में सेनेटरी नैपकिन का इस्तेमाल नहीं किया जाता है। जिस वजह से महिलाओं को कई स्वास्थ्य संबंधी समस्याओं हो रही हैं। महेश ने आगे कहा कि उनका उद्देश्य ऐसे उत्पाद को बनाना था जिसे स्थानीय महिलाओं द्वारा भी बनाया जा सके। 

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पर्यावरण के अनुकूल सेनेटरी पैड 

महेश खंडेलवाल आगे कहते हैं, 'सेनेटरी पैड काफी महंगे होते हैं। जिस वजह से इसे हर कोई नहीं खरीद पाता। इसके अलावा इसके बायोडिग्रेडेबल नहीं होने के कारण साॅलिड वेस्ट मैनेजमेंट को भी कई चुनौतियों से गुजरना पड़ता है। इस हालातों को देखते हुए महेश खंडेलवाल ने रिवर्स इंजीनयरिंग तकनीक का इस्तेमाल कर वी सेनिटरी नैपकिन बनाए हैं। जो इस्तेमाल होने के बाद जैविक खाद्द के रूप में तबदील हो जाता है।' वह जल्द ही इन सेनेटरी पैड को 'रेड रोज' के नाम से बाजार में उतारने की योजना बना रहे हैं। 

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महेश कहते हैं, 'एक पैक में 6 पैड होते हैं जिसकी पहले कीमत 10 रुपए थी। लेकिन आज इसकी कीमत 15 रुपए हो गई है। पहले यह चौकोर पल्प जैसा दिखता था लेकिन पिछले 3 सालों से इसे अल्ट्रा थीन नैपकिन बनाया जा रहा है। इनकी खास बात यह है कि इन नैपकिन को 12 घंटे से लेकर 24 घंटे तक इस्तेमाल कर सकते हैं। क्योंकि यह बैक्टिरिया रहित है।'


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Content Writer

Bhawna sharma

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