प्रभु श्रीराम का वंशज है ये Rajasthani परिवार, सोशल मीडिया पर दिखाया सबुत

punjabkesari.in Wednesday, Jan 24, 2024 - 04:45 PM (IST)

प्रभु श्रीराम के वंशज आज भी जीवित हैं। यह बात सुनकर शायद आपको विश्वास ना हो लेकिन यह सच है। यह वंशज देश के अलग-अलग राज्यों में रहते हैं। उनमें से काफी सारे राजस्थान के रहने वाले भी हैं। हाल ही में एक परिवार ने दावा किया है कि यह परिवार भगवान राम के वंशज है। सोशल मीडिया पर उन्होंने कुछ ऐसी पुरानी तस्वीरें शेयर की हैं जिसमें यह दिखाया गया है कि इस परिवार का भगवान राम से पुराना ताल्लुक था। 

शाही परिवार ने दिखाई अपना वंशावली 

राजस्थान के 'सूर्यवंशी राजपूत' नाम के शाही परिवार ने भगवान राम के अस्तितत्व का दावा करते हुए एक वंशावली प्रस्तुत की है जिसमें भगवान राम और दशरथ का नाम दिखाया गया है। इतिहासकारों ने मेवाड़ शाही परिवार की परंपराओं और रीति-रिवाजों को लिखा है क्योंकि शिव भक्त और सूर्यवंशी इस बात का सबूत हैं कि वे भगवान राम के वंशज हैं। गौरवशाली वंश की 309वीं पीढ़ी जयपुर के महाराजा सवाई पद्मनाभ सिंह ने मंदिर में श्रीराम की मूर्ति के प्राण-प्रतिष्ठा के लिए अयोध्या में परिवार का प्रतिनिधित्व किया है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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भारत के फेमस खिलाड़ी हैं पद्मनाभ सिंह

पद्मनाभ सिंह एक फेमस भारतीय खिलाड़ी हैं जिनकी शिक्षा अजमेर के मेयो कॉलेज और इंग्लैंड के समरसेट स्ट्रीट के एक पब्लिक स्कूल मिलफील्ड में हुई थी। खबरों की मानें तो उन्हें उनकी दादी उर्फ राजमाता पद्मिनी देवी ने पाचो उपनाम दिया था। इस शाही परिवार ने परिवार की आधिकारिक वंशावली को 18वीं सदी के कपड़े पर चित्रित अयोध्या के ऐतिहासिक मानचित्र के साथ शेयर किया है। महाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय ने यह कपड़ा एक संत से खरीदा था और परिवार ने पीढ़ियों से इस नक्शे को संरक्षित रखा है। 

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भगवान राम की राजधानी थी अयोध्या

कर्नल जेम्स टॉड की किताब एनल्स एंड एंटीक्विटीज ऑफ राजस्थान की मुताबिक लिखा है कि भगवान राम की राजधानी अयोध्या थी। उनके पुत्र लव ने लवकोट यानी की लाहौर की स्थापना की थी। लव के पूर्वज प्राचीन काल में गुजरात चले गए और वहां से वह अहद यानी की मेवाड़ आए जहां उन्होंने सिसोदिया वंश की स्थापना की। 

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शुरुआत में उनकी राजधानी चितौड़ थी और बाद में वे उदयपुर में शिफ्ट हो गए। सूर्य को शाही परिवार की विरासत का प्रतीक माना जाता है। भगवान राम को भगवान शिव के उपासक के रुप में जाना जाता था। इस तरह मेवाड़ राजघराने एकलिंगनाथ यानी  भगवान शिव की पूजा करते थे। 


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palak

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