Mahakumbh Mela 2025 सनातनी धर्म में आस्था है तो ये 6 दिन ना भूलें, 3 दिन होगा शाही स्नान
punjabkesari.in Thursday, Jan 09, 2025 - 09:27 PM (IST)
नारी डेस्कः सनातन धर्म में महाकुंभ विश्व प्रसिद्ध धार्मिक और सांस्कृतिक महोत्सव है जो हर 12 साल बाद आयोजित किया जाता है। सनातन धर्म में आस्था रखने वाले श्रद्धालु दुनियाभर से पवित्र स्नान के लिए पहुंचते हैं। सनातन धर्म में महाकुंभ का खास महत्व है। इस साल भी महाकुंभ मेला (Mahakumbh 2025) होगा।
समुद मंथन से जुड़ा महाकुंभ का धार्मिक महत्व (Religious Importance of Mahakumbh)
पौराणिक व धार्मिक कथा के अनुसार, कुंभ मेले (Kumbh Mela) का धार्मिक महत्व समुद मंथन (Samudra Manthan) से जुड़ा है अमृत कलश के लिए जब देवताओं और असुरों ने मिलकर समुद्र मंथन किया था तो उसमें अमृत कलश (Amrit Kalash) निकला था और उसी अमतृ कलश को कुंभ का प्रतीक माना जाता है। कुंभ (Kumbh) का अर्थ होता है कलश (घड़ा) लेकिन यह साधारण कलश न होकर अमृत कलश होता है और इसी अमृत कलश की पृष्ठभूमि है कुंभ महापर्व।
महाकुंभ में शाही स्नान का महत्व
साल 2025 में इस बार महाकुंभ का आयोजन 13 जनवरी से होने जा रहा है जिसका समापन 26 फरवरी, महाशिवरात्रि (Mahashivratri 2025) पर होगा। महाकुंभ पर शाही स्नान किया जाता है और इस शाही स्नान का भी हिंदू धर्म में गहरा महत्व है।
ऐसी मान्यता है कि महाकुंभ के दौरान पवित्र शाही स्नान करने से व्यक्ति को शारीरिक, मानसिक और आत्मिक शुद्धि भी प्राप्त होती है। कुंभ में गंगा, यमुना, गोदावरी और शिप्रा जैसी पवित्र नदियों का जल अमृत के समान पवित्र हो जाता है इसलिए 12 साल में आयोजित होने वाले प्रयागराज में लाखों श्रद्धालु स्नान के लिए पहुंचते हैं क्योंकि यहां गंगा, यमुना और सरस्वती नदियां मिलती है, जिस कारण इस स्थान का धार्मिक महत्व विशेष रूप से बढ़ जाता है।
महाकुंभ शाही स्नान की तिथियां (Mahakumbh 2025 Shahi Snan Date)
महाकुंभ के शाही स्नान की खास तिथियां है जो बहुत महत्वपूर्ण है। इन 6 तिथियों में 3 सामान्य स्नान और 3 शाही स्नान है। सनातनी धर्म में श्रद्धा रखने वाले इस चलिए आपको उस बारे में बताते हैं।
13 जनवरी 2025 (पौष पूर्णिमा): पहला सामान्य स्नान
इन महत्वपूर्ण तिथियों की शुरुआत 13 जनवरी पौष पूर्णिमा से हो रही है। इस दिन चंद्रमा अपने पूर्ण रूप में होगा और पौष पूर्णिमा से महाकुंभ का आरंभ होगा। इस दिन पहला सामान्य स्नान होगा।
14 जनवरी 2025 (मकर संक्रांति): पहला शाही स्नान
मकर संक्रान्ति यानि कि उत्तरायण का आरंभ। यह समय सूर्य के दक्षिणायन (दक्षिण की ओर झुकाव) से उत्तरायण (उत्तर की ओर झुकाव) में जाने का होता है। इसे दिन और रात के संतुलन का समय भी माना जाता है। इस शुभ अवसर पर ही पहला शाही स्नान किया जाता है।
29 जनवरी 2025 (मौनी अमावस्या): दूसरा शाही स्नान
29 जनवरी यानि मौनी अमावस्या पर दूसरा शाही स्नान होगा। मौनी अमावस्या हिंदू धर्म में एक बहुत ही महत्वपूर्ण दिन है जो माघ मास की अमावस्या को पड़ती है। इस दिन का धार्मिक और आध्यात्मिक महत्व बहुत अधिक है। इसे "मौन" और "अमावस्या" शब्दों से मिलाकर कहा जाता है, जिसका अर्थ है मौन धारण करने और आत्मचिंतन का दिन। मौनी अमावस्या पर मौन व्रत रखने की परंपरा है। मौन रहकर व्यक्ति आत्मचिंतन करता है और अपनी ऊर्जा को भीतर की ओर मोड़ता है। यह दिन ध्यान और साधना के लिए अत्यंत उपयुक्त माना गया है। इस दिन गंगा, यमुना और अन्य पवित्र नदियों में स्नान करना बहुत शुभ माना जाता है। महाकुंभ मेले के दौरान करोड़ों श्रद्धालु इस अवसर पर शाही स्नान करने पहुंचते हैं।
3 फरवरी 2025 (वसंत पंचमी): तीसरा शाही स्नान
तीसरा शाही स्नान 2 फरवरी वसंत पंचमी को होगा। बसंत पंचमी, हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण त्यौहार है, जिसे विद्या, ज्ञान और रचनात्मकता की देवी मां सरस्वती को समर्पित किया जाता है। इसे सरस्वती पूजा के रूप में भी जाना जाता है। मां सरस्वती की पूजा के साथ पीले रंग के वस्त्र पहने जाते हैं, विशेष रूप से पीले रंग के पकवान बनाए जाते हैं।
12 फरवरी 2025 (माघी पूर्णिमा): दूसरा सामान्य स्नान
दूसरा सामान्य स्नान 12 फरवरी यानि माघी पूर्णिमा पर होगा। इस दिन विशेष रूप से पितरों को तर्पण और पिंडदान किया जाता है। माना जाता है कि माघी पूर्णिमा के दिन पितरों का आशीर्वाद प्राप्त करने से उनका आशीर्वाद और आत्मा की शांति मिलती है। लोग भगवान विष्णु, शिव, या अन्य इष्ट देवताओं की पूजा करते हैं। इस दिन दान करना अत्यधिक शुभ माना जाता है। लोग गरीबों को वस्त्र, अन्न, तिल, गुड़, कंबल आदि का दान करते हैं। खासकर तिल और गुड़ का दान अधिक महत्व रखता है। इसे खासकर तिल-गुड़ का दान भी कहा जाता है जो व्यक्ति के पुण्य को बढ़ाता है और जीवन में सुख-समृद्धि लाता है।
26 फरवरी 2025 (महाशिवरात्रि): तीसरा सामान्य स्नान
महाकुंभ का आखिरी व तीसरा सामान्य स्नान 26 फरवरी यानि महाशिवरात्रि के दिन होगा। महाशिवरात्रि पर व्रत रखा जाता है। व्रत के दौरान भक्त केवल फलाहार या जल का सेवन करते हैं। शिवलिंग पर जल, दूध, शहद, गंगाजल, चंदन और धतूरा चढ़ाया जाता है। इसके साथ ही बिल्वपत्र और कमल पुष्प अर्पित करना शुभ माना जाता है। इस दिन "ॐ नमः शिवाय" या "महाशिवरात्रि मंत्र" का जाप करते हुए ध्यान लगाना चाहिए।