Navratri Day 5: राक्षस के वध के लिए मां दुर्गा ने लिया था स्कंदमाता का रूप, जानिए पूजा विधि
punjabkesari.in Friday, Apr 12, 2024 - 07:09 PM (IST)
इस साल 9 अप्रैल से शुरू हो रहे चैत्र नवरात्रि शुरु हो गए हैं। पूरे देश भर में भक्तिमय माहौल बना हुआ है। वहीं नवरात्रि का 5वां दिन यानी 13 अप्रैल को मां स्कंदमाता को दिन है। मान्यता है कि मां अपने भक्तों पर पुत्र के समान मोह लुटाती हैं। इनकी उपासना करने से सारी नकारात्मक शक्तियों का नाश हो जाता है। पूरे मन से मां की आराधन करने पर सोए भाग जाग जाते हैं और असंभव कार्य भी पूरे हो जाते हैं। इसके साथ ही मां अपने भक्तों की सारी मनोकामनाएं भी पूरी करती है।
माता को क्यों कहते हैं स्कंदमाता
एक पौराणिक कथा की मानें तो तारकासुर के एक राक्षस का अंत सिर्फ शिव पुत्र के हाथों ही संभव था। तब मां पार्वती ने अपने पुत्र को युद्ध के लिए तैयार करने के लिए माता स्कंद का रूप लिया था। इस वजह से उन्हें स्कंदमाता कहा जाता है। जिसके बाद भगवान कार्तिकेय ने तारकासुर का अंत किया था।
माता स्कंदमाता का स्वरूप
माता के इस स्वरूप की 4 भुजाएं हैं। मां ने अपनी दाएं तरफ की ऊपर वाली भुजा से स्कंद अर्थात् कार्तिकेय को गोद में लिया हुआ है। इसी तरफ वाली निचली भुजा के हाथ में कमल का फूल है। बाईं ओर की ऊपर वाली भुजा में वरद मुद्रा (वरदान देने वाली मुद्रा) है। मां की सवारी सिंह है।
मां स्कंदमाता की कैसे करें पूजा
नवरात्रि के 5वें दिन सुबह उठकर स्नान करें और पीले वस्त्र पहनें। हाथ में लाल फूल लेकर माता का ध्यान करें। उसके बाद माता स्कंदमाता को अक्षत, धूप, इत्र, फूल, बताशा, पान, सुपारी, लौंग अर्पित करें। इसके बाद मां के सामने धूप- दीप जलाएं। मां को उनको पसंदीदा केले का भोग लगाएं। इसके बाद माता की आरती करें, शंख बजाएं और मंत्रों का जाप करें। इस दिन सुहागिन महिलाओं माता को सुहाग की सामग्री और लाल फूल अर्पित करें। मान्यता है कि पूजा में माता को धनुष वाण अर्पित करना शुभ होता है।
इस मंत्र का करें जाप
ह्रीं क्लीं स्वमिन्यै नम:
संतान सुख की प्राप्ति के करें ये उपाय
माता स्कंदमाता की कृपा से संतान सुख की प्राप्ति होती है। माता को विद्यावाहिनी दुर्गा देवी भी कहा जाता है। माता की आराधना करने से अलौकिक तेज की प्राप्ति होती है।