तेज आवाज और लड़ाई-झगड़े New Born Baby पर डालते हैं गहरा असर, अभी से हो जाएं Alert
punjabkesari.in Monday, Jul 25, 2022 - 11:26 AM (IST)
नवजात शिशु वास्तव में माता- पिता के लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी और चुनौती होता है। निश्चित रूप से उसके साथ घर में खुशियां और जीवन में आनंद प्रवेश करते हैं। घर में बहार आ जाती है मगर साथ ही साथ माता-पिता की अच्छी-खासी भूमिका भी तय हो जाती है। नवजात शिशु के शारीरिक व मानसिक स्वास्थ्य को लेकर चिन्तित होने से अच्छा तो यही है कि उस पर सही ध्यान दिया जाए और उचित कदम उठाए जाएं। नवजात के मानसिक स्वास्थ्य को दुरुस्त रखने के लिए ये बिंदू ध्यान में रखने होंगे :
•शिशु जहां खाता, पीता, खेलता, सोता है वहां कदापि कलह न हो। तेज ध्वनि न निकले। यह आवश्यक है।
•माता-पिता या परिजन कलह करेंगे तो बच्चे के कान, आंख, मस्तिष्क बुरी तरह प्रभावित हो सकते हैं और इसका प्रभाव उसके मन-मस्तिष्क पर भी पड़ सकता है। उसका मानसिक स्वास्थ्य बिगड़ सकता है। बच्चा रोएगा, आहार नहीं लेगा, खेलने-हंसने में भी उसका मन नहीं लगेगा।
•संगीत मन को छू लेता है। संगीत से बच्चे का मन भी प्रभावित होता है। सुरीला संगीत सुनकर बच्चा तदनुरूप प्रतिक्रिया देता है। धीमा-धीमा सुरीला संगीत बच्चे को स्थिर, शांत रखता है और मधुर नींद में ले जाता है।
•बच्चे को भूखा-प्यासा बिल्कुल नहीं रखना चाहिए। बच्चा रोता है तो यह मान लिया जाए कि वह कुछ कह रहा है अपनी संवेदनाएं बताता है आपकी प्रतिक्रिया, सेवा पाता है तो उसका मन फूल सा खिल जाता है।
•बच्चे को पुचकार की बहुत जरूरत होती है। माता-पिता, दादा-दादी इन सबकी आवाज को बच्चा एरियल की तरह पकड़ता है। उनकी पुचकार व डांट-फटकार को समझता है इसलिए बच्चा इन आवाजों से ज्यादा वंचित न हो, यह ध्यान रखना बहुत जरूरी होता है।
•बच्चा हाथ-पैर हिलाकर खेलता है तो यह उसके लिए व्यायाम है। इससे उसका मन प्र्रफुल्लित रहता है इसलिए उसके लिए रंग-बिरंगे खिलौने, धीमी आवाज वाले झुनझुने आदि की व्यवस्था करनी पड़ती है। इससे बच्चे का मानसिक विकास तेजी से होता है।
अब कुछ ऐसे बिंदुओं पर विचार करें जो बच्चे के शारीरिक विकास से संबंधित हैं :
•बच्चा ठीक तरह से अपना आहार पचा पाता है या नहीं? बच्चे का हाजमा ठीक है या नहीं? कहीं बार-बार दस्त तो नहीं लग रहे हैं? कहीं मलावरोध तो नहीं हो रहा है? इन सब बातों का खास ख्याल रखना चाहिए।
•बच्चे के बिस्तर को हमेशा साफ-सुथरा रखना चाहिए। कहीं बिस्तर के घर्षण से बच्चे की पीठ पर घाव वगैरह तो नहीं हो रहे हैं, कहीं इस्तेमाल की जाने वाली चादर सिंथैटिक तो नहीं है? बिस्तर गीला तो नहीं रह गया? इन सब बातों का खास ख्याल रखना चाहिए।
•विज्ञापनों की ओर ध्यान न देकर बच्चे के लिए तेल, साबुन, लोशन, पाऊडर आदि का इस्तेमाल अच्छे शिशु विशेषज्ञ के निर्देशानुसार ही करना चाहिए।
•बच्चे के लिए पानी की सख्त जरूरत होती है। माना कि वह दूध पीता है। इसके लिए भी अपनी डाक्टर से बात करें। बढ़ते शिशु के आहार-विहार के बारे में भी अपने डाक्टर से सलाह लेते रहना चाहिए।
•बच्चे को हमेशा साफ-सुथरा रखना चाहिए। उसके कपड़ों को धोकर किसी कीटाणुरोधी साबुन या लोशन वाले पानी में अच्छी तरह खंगाल कर तेज धूप में सुखाना चाहिए।
इस तरह तमाम छोटी-छोटी बातों का ख्याल रख कर बच्चे के साथ ही खुद को भी प्रसन्नचित्त रखा जा सकता है।
(आर. सूर्य कुमारी)