बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र के साथ मौसी के घर चले भगवान जगन्नाथ, वहां मिलेगा खूब लाड़-प्यार
punjabkesari.in Tuesday, Jun 20, 2023 - 10:46 AM (IST)
ओड़िशा के पुरी में भगवान जगन्नाथ की रथयात्रा मंगलवार सुबह कड़ी सुरक्षा के बीच शुरू हो गई है। हर बार की तरह इस बार भी बड़ी संख्या में श्रद्धालु इसमें शामिल हो रहे हैं। पंचांग के अनुसार आषाढ़ महीने के शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि से जगन्नाथ रथ यात्रा निकाली जाती है।10 दिनों तक यह उत्सव बड़े ही धूमधाम के साथ मनाया जाएगा।
रथयात्रा के दौरान भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की प्रतिमाओं को रथ में बैठाकर नगर भ्रमण कराया जाता है। इसलिए यह उत्सव भगवान जगन्नाथ, उनकी बहन सुभद्रा और बड़े भाई बलभद्र (बलराम) को समर्पित है। मान्यता है कि इस यात्रा के दौरान भगवान 12 दिनों के लिए अपनी मौसी के घर में रहते हैं और वहीं उनकी विशेष रूप से पूजा और आरती होती है।
भगवान जगन्नाथ रथ अपने रथ नंदीघोष में बैठकर सिंह दरवाजा से चलते हुए गुंडिचा मंदिर में जाते हैं। सिंह दरवाजा में भगवान 3 दिन और गुंडिचा मंदिर में 9 दिन रहते हैं। इस तरह यह पूरी रथ यात्रा 12 दिनों तक चलती है।
ऐसा माना जाता है कि मुख्य मंदिर के निर्माता की रानी का नाम गुंडिचा था और उन्हीं को जगन्नाथ जी की मौसी के रूप में जाना जाने लगा। मौसी के घर में तीनों भाई- बहन का लाड़-दुलार बहुत खास तरीके से होता है। उन्हें तमाम पसंदीदा व्यंजनों का भोग लगाया जाता है।
दरअसल जगन्नाथ दो शब्दों के मेल से बना है। इसमें जग का अर्थ ब्रह्मांड और नाथ का अर्थ भगवान से हैञ भगवान जगन्नाथ श्रीकृष्ण का ही रूप है, जोकि भगवान विष्णु के अवतारों में एक हैं। मान्यता है कि जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान रथ को खींचने से व्यक्ति के ऐसे पाप नष्ट होते हैं। साथ ही भगवान के रथ को खींचने वाले के सभी दुख, कष्ट भी दूर होते हैं और सौ यज्ञ कराने जितने पुण्यफल की प्राप्ति होती है।
भगवान जगन्नाथ की वार्षिक रथ यात्रा में शामिल होने के लिए हजारों श्रद्धालु पुरी पहुंच गये हैं और ओडिशा सरकार ने रथ यात्रा के लिए व्यापक बंदोबस्त किये हैं। श्री जगन्नाथ मंदिर प्रशासन के प्रमुख प्रशासक रंजन कुमार दास ने बताया कि कि मंगलवार को रथ यात्रा के दर्शन के लिए करीब 10 लाख श्रद्धालु जुट सकते हैं।
इस दौरान भगवान जगन्नाथ, भगवान बलभद्र और देवी सुभद्रा के रथों को श्री गुंडिचा मंदिर तक खींचकर ले जाया जाता है। रथयात्रा में तीन रथों के साथ करीब 15 सजे-धजे हाथी चल रहे हैं। इनके अलावा 100 ट्रक में झांकियां और गायक मंडलियां साथ में हैं। हिंदू पचांग के अनुसार हर साल आषाढ़ शुक्ल द्वितीय (आषाढ़ी बीज) के दिन रथयात्रा निकाली जाती है।