Lohri 2025: जानिए पवित्र अग्नि में क्या-क्या अर्पित किया जाता है और क्यों?

punjabkesari.in Monday, Jan 06, 2025 - 11:50 AM (IST)

नारी डेस्क: लोहड़ी 2025: मकर संक्रांति से एक दिन पहले लोहड़ी का पर्व मनाया जाता है। इस दिन शाम के समय पवित्र अग्नि जलाई जाती है, जिसके चारों ओर लोग परिक्रमा करते हैं और उसमें कुछ खास चीजें अर्पित करते हैं। आइए जानते हैं इस त्योहार की तिथि, महत्व और परंपराओं के बारे में।

लोहड़ी 2025 कब मनाई जाएगी?

पंचांग के अनुसार, लोहड़ी का पर्व मकर संक्रांति से एक दिन पहले मनाया जाता है। इस साल 2025 में मकर संक्रांति 14 जनवरी को है, इसलिए लोहड़ी 13 जनवरी 2025, सोमवार को मनाई जाएगी। यह त्योहार आस्था, परंपरा और कृषि से जुड़ा हुआ है। इसे रबी फसल की कटाई के प्रतीक के रूप में भी देखा जाता है।

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लोहड़ी में अग्नि का महत्व

लोहड़ी पर अग्नि जलाने की परंपरा बहुत पुरानी है। जैसे होली से पहले होलिका दहन होता है, वैसे ही लोहड़ी पर लकड़ियों और उपले जलाकर अग्नि प्रज्वलित की जाती है। इस अग्नि को पवित्र माना जाता है और इसका संबंध सूर्य देव और अग्नि देवता से जोड़ा जाता है। ज्योतिषाचार्य अनीष व्यास के अनुसार, लोहड़ी की अग्नि से वातावरण शुद्ध होता है और सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है।

लोहड़ी की अग्नि में क्या-क्या डाला जाता है?

लोहड़ी की पवित्र अग्नि में निम्नलिखित चीजें अर्पित की जाती हैं 

मूंगफली

गजक

रेवड़ी

तिल (Til)

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फुलिया (पॉपकॉर्न)

इन चीजों को अग्नि में डालते समय सात बार उसकी परिक्रमा की जाती है। परिक्रमा करते हुए लोग सुख-समृद्धि की कामना करते हैं। इसके बाद अग्नि में अर्पित इन चीजों को प्रसाद के रूप में बांटा जाता है और परिवार एवं मित्रों के साथ मिलकर खाया जाता है।

कैसे मनाया जाता है लोहड़ी का त्योहार?

लोहड़ी पंजाबियों का मुख्य त्योहार है, लेकिन आजकल यह पूरे भारत में धूमधाम से मनाया जाता है। इस दिन लोग ढोल की थाप पर गिद्दा और भांगड़ा करते हैं। शाम के समय लोग लोहड़ी की अग्नि के चारों ओर इकट्ठा होते हैं और खुशी मनाते हैं।

लोहड़ी का धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व

लोहड़ी न केवल पारंपरिक उत्सव है, बल्कि यह कृषि और प्रकृति के प्रति सम्मान प्रकट करने का भी त्योहार है। यह त्योहार हमें अपने पूर्वजों की परंपराओं को जीवित रखने और परिवार के साथ खुशी बांटने का मौका देता है।

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लोहड़ी के रोचक तथ्य

लोक गीतों का महत्व: लोहड़ी पर पारंपरिक पंजाबी लोक गीत गाए जाते हैं। इनमें 'सुंदरिए मुंदरिए हो' सबसे प्रसिद्ध गीत है, जिसे बच्चे और बड़े सभी गाकर उत्सव का आनंद लेते हैं।

नई शादी और बच्चे का स्वागत: लोहड़ी का खास महत्व उन परिवारों के लिए होता है, जहां नई शादी हुई हो या किसी बच्चे का जन्म हुआ हो। इन परिवारों में खास उत्सव मनाया जाता है।

फसल कटाई का त्योहार: इस दिन किसान अपनी फसल की कटाई के लिए धन्यवाद देते हैं और समृद्धि के लिए प्रार्थना करते हैं।

पारंपरिक पहनावा: लोहड़ी के दिन लोग पारंपरिक पंजाबी वेशभूषा पहनते हैं। पुरुष कुर्ता और पगड़ी पहनते हैं, जबकि महिलाएं पंजाबी सूट और फुलकारी दुपट्टा धारण करती हैं।

खानपान का विशेष महत्व: इस दिन सरसों का साग, मक्के की रोटी, गजक, तिल के लड्डू, मूंगफली और रेवड़ी जैसे पारंपरिक व्यंजन बनाए जाते हैं।

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लोहड़ी के पीछे की मान्यताएं

लोहड़ी से जुड़ी कई पौराणिक कथाएं भी हैं। इसमें दुल्ला भट्टी की कहानी सबसे प्रचलित है। कहा जाता है कि दुल्ला भट्टी ने मुगल शासन के दौरान कई लड़कियों को गुलामी से बचाकर उनकी शादी कराई थी। लोहड़ी पर गाए जाने वाले गीतों में दुल्ला भट्टी की वीरता और उनकी दयालुता का वर्णन किया जाता है।
 
  


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Content Editor

Priya Yadav

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