बचपन में छुट गया था मां-बाप का साया, ऐसे शुरु हुआ सुलोचना लाटकर की जिंदगी का अनोखा सफर

punjabkesari.in Tuesday, Jun 06, 2023 - 03:40 PM (IST)

एक ऐसी अदाकारा जिनका फिल्मी सफर बहुत ही छोटी उम्र से शुरू हुआ और फिर लीड एक्ट्रेस और करैक्टर रोल्स में इन्होंने इंडस्ट्री को अपनी कला से खूब रोशन किया। मराठी हो या हिंदी फिल्में इन्होंने अपनी छाप हर जगह छोड़ी। हम बात कर रहे हैं बॉलीवुड की प्यारी मां कही जाने वाली दिग्गज अभिनेत्री सुलोचना लाटकर की, जिनका हाल ही में 4 जून को निधन हुआ है। आइए उनके फिल्मों में आने के सफर और निजी जिंदगी में एक झलक डालते हैं...   

कर्नाटक शहर में जन्मी हैं सुलोचना लाटकर         

सुलोचना लाटकर कर्नाटक शहर के बेलगाम जिले में पली बढ़ी हैं। यहां उनकी परवरिश मराठी तौर तरीके से हुई। इनका एक बड़ा भाई भी था। उनके पिता कोल्हापुर रियासत में दारोगा की नौकरी करते थे। पढ़ाई-लिखाई में इन्हें कोई दिलचस्पी नहीं थी।

PunjabKesari

आपको बता दें कि छोटी उम्र में ही इनके सिर से मां और पिता दोनों का साया उठ गया। दोनों भाई-बहन अकेले पड़ गए। कुछ दिन तक उन्होंने अपने पिता के दोस्त के घर में शरण ली। एक दिन उनके पिता के दोस्त के घर में मास्टर विनायक आए। वे उस जमाने के जाने-माने फिल्म प्रोड्यूसर और डायरेक्टर थे। उन्हेंने सुलोचना जी को अपनी फिल्म कंपनी में नौकरी करने का ऑफर दिया।  महान गायिका लता मंगेशकर उन दिनों इन डायरेक्टर की फिल्म से जुड़ रखी थीं। सुलोचना जी को हिंदी बोलनी नहीं आती थी तब लता जी ने इनकी मदद करी और जल्दी ही दोनों में गहरी दोस्ती हो गई।   

PunjabKesari

कुछ दिनों बाद डायरेक्टर ने अपनी कंपनी मुंबई में शिफ्ट कर दी। मुंबई का नाम सुनते ही सुलोचना जी घबरा गई। उन्होंने वहां जाने से इंकार कर दिया और नौकरी छोड़ दी। इसके बाद उन्होंने जयाप्रभा स्टूडियो में काम किया जहां उन्हें तीस रुपए महीना पगार मिलती थी। यहीं नौकरी करते हुए उनकी शादी कोल्हापुर के एक ज़मींदार परिवार के बेटे आबासाहेब चव्हाण से हो गई थी। उस समय इनकी उम्र केवल 14 साल ही थी। इनकी एक बेटी भी है जिनका मान कंचना घाणेकर हैं।  

ऐसे शुरु हुआ फिल्मी सफर

अब उनके फिल्मी सफर की बार करें तो 1943 में उन्होंने मराठी फिल्म में एक छोटा सा किरदार कर अपने सफर की शुरुआत कर दी थी। लेकिन सुलोचना जी कहती हैं कि फिल्मों में सही मायने में उन्हें असली पहचान 1947 में मिली। 1954 से उन्होंने हिंदी फिल्मों की शुरुआत की जिसमें उन्होंने भारत भूषण के साथ काम किया। उनकी एक फिल्म सती अनुसूया काफी हिट रही। इस फिल्म से  उन्हें धार्मिक फिल्मों का स्टार बना दिया। इसके बाद सुलोचना जी ने एक के बाद एक कई हिट फिल्में दीं। अपने करियर में उन्होंने लगभग 300 फिल्मों में काम किया है जिनमें 200 हिंदी फिल्में और 50 मराठी फिल्में शामिल हैं। जॉनी मेरा नाम, कटी पतंग, खून भरी मांग, मुकद्दर का सिकंदर, क्रांति, अंधा कानून उनकी हिट फिल्में रही हैं। इन्होंने अमिताभ बच्चन,धर्मेंद्र, दिलीप कुमार, देवानंद,राजेश खन्ना जैसे कई दिग्ग्ज कलाकारों के साथ काम किया। इन फिल्मों में इन्हें ज्यादा मां किरदार के लिए पहचान मिली और यह लोगों में बॉलीवुड की मां से मशहूर हो गईं। 1986 में उन्होंने फिल्मों से लंबा ब्रेक लिया और फिर वे 2007 में अपनी आखिरी फिल्म परीक्षा में नजर आईं। 

PunjabKesari

इन अवॉर्ड्स के साथ हो चुकी हैं सम्मानित

फिल्मों में उनकी परफॉर्मेंस को देखते हुए उन्हें कई पुरस्कारों से नवाजा गया। उन्हें 1999 में पद्मश्री पुरस्कार से सम्मानित किया गया था। वहीं साल 2004 में उन्हें फिल्मफेयर ने भी लाइफटाइम अर्चीवमेंट अवॉर्ड से सम्मानित किया। इतना ही नहीं महाराष्ट्र सरकार ने उन्हें भूषण अवॉर्ड से भी नवाजा था। फिल्म इंडस्ट्री में उनके दिए योगदान की हम सराहना करते हैं और उनके फैंस के दिलों में उनकी छवि हमेशा बनी रहेगी। भगवान उनकी आत्मा को शांति दें।

PunjabKesari


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

palak

Recommended News

Related News

static