सांस या दिल रुक जाने पर आप भी बचा सकते हैं अपनों की जिंदगी! सीख लें इस आसान तकनीक को

punjabkesari.in Tuesday, Nov 08, 2022 - 11:57 AM (IST)

दिल का दौरा पड़ने के बाद ‘कार्डियोपल्मोनरी रिससिटैशन' (सीपीआर) की मदद से बचे पांच लोगों में से एक मरीज मृत्यु के उस अनुभव का स्पष्ट वर्णन कर सकता है, जब वह बेहोश था और मौत के करीब पहुंच गया था। यह जानकारी अपनी तरह के पहले अध्ययन से मिली है। वास्तव में सीपीआर जान बचाने की एक तकनीक है जिसमें मरीज के सीने को दबाना और मुंह से सांस देना होता है। 

 

सीपीआर की मदद से कई लोगों की बची जिंदगी

यह कई आपात स्थितियों में उपयोगी साबित होता है, जैसे किसी को दिल का दौरा पड़ा हो या कोई डूबते-डूबते बचा हो और उसकी सांस या दिल की धड़कन रुक गई हो। यह शोध सर्कुलेशन नामक पत्रिका में प्रकाशित हुआ है और इसके अनुसार शोध में अमेरिका और ब्रिटेन में ऐसे 567 पुरुषों और महिलाओं को शामिल किया गया, जिनके दिल ने अस्पताल में भर्ती कराते समय धड़कना बंद कर दिया था और मई 2017 से मार्च 2020 के बीच उन्हें सीपीआर दिया गया था।

PunjabKesari
जीवित बचे लोगों ने अनुभव किया साझा 

 शोधकर्ताओं के अनुसार जीवित बचे लोगों ने अपने अनुभव साझा किए जिनमें शरीर से अलग होने का अनुभव, बिना दर्द या परेशानी के घटनाओं को देखना और जीवन का सार्थक मूल्यांकन शामिल है। इसमें उनके कार्यों, इरादों और अन्य लोगों के प्रति अपने विचार शामिल हैं। टीम ने मौत के करीब के इन अनुभवों को दु:स्वप्न, भ्रम, सपने या सीपीआर से जुड़ी चेतना से अलग पाया। अमेरिका के शिकागो शहर में अमेरिकन हार्ट एसोसिएशन के वैज्ञानिक सत्र 2022 में पेश किए गए इस शोध में मस्तिष्क की गुप्त गतिविधियों के परीक्षण भी शामिल थे।

 

क्या होता है  सीपीआर

सीपीआर को कार्डियोपल्मोनरी रिससिटेशन कहते हैं। अगर किसी कारण कोई व्यक्ति बेहोश हो गया हो, दिल की धड़कन बंद हो गई हो या पल्स नहीं चल रहा हो, तो ऐसी स्थिति में सीपीआर ही दी जाती है। इसकी मदद से पेशेंट को सांस लेने में सहायता मिलती है। CPR देने के दौरान हार्ट और ब्रेन में ब्लड सर्क्युलेशनमें सहायता मिलती है, जिसके चलते  व्यक्ति को एक नया जीवन मिल जाता है।  

PunjabKesari
कैसे दिया जाता है CPR ?

-सीपीआर कोई दवा या इंजेक्शन नहीं है। यह एक तरह की प्रक्रिया है, जिसे मरीज के शरीर पर इस्तेमाल किया जाता है। 

-इस प्रक्रिया करने से पहले आप अपने दोनों हाथों को एक दूसरे के ऊपर रखते हुए उंगलियों को आपस में फंसा लें।  हाथों को अच्छी तरह से लॉक कर लेना है।

-अब पीड़ित व्यक्ति के सीने के बीच में यानि सेंट्रल बोन में निचले तिहाई पार्ट में आपको कंप्रेशन शुरु करना है।

-ये 30 बार करना है और उसके बाद 2 माउथ ब्रेथ देनी हैं यानि मरीज के मुंह में अपने मुंह से सांस भरनी है।

-1 मिनट में करीब 100 से 120 बार हार्ड और फास्ट तरीके से सीने को दबाना है। ध्यान दें मरीज का एक तिहाई चेस्ट अंदर की ओर दबना चाहिए जब आप उसे दबाए।  

-इसको दबाने की गहराई 5 सेंटीमीटर से अधिक नहीं होनी चाहिए. ऐसा करने पर व्यक्ति के दिल की पंपिंग फिर से शुरू हो सकती है और वह रिवाइव कर सकता है।

-इस तरह स्पीड में पंपिंग करने से हार्ट में ब्लड फ्लो आ जाता है और कार्डिक अरेस्ट वाले इंसान की जान बच सकती है। 


मौत के बाद शरीर में रहती है ऑक्सीजन

डॉक्टरों का कहना है कि यदि किसी की सांस आनी बंद हो गई हो, तो ऐसी स्थिति में व्यक्ति के शरीर में 5 से 7 मिनट तक ऑक्सीजन रहती ह। ऑक्सीजन रहने की वजह से बॉडी के सभी अंगों के दोबारा रिवाइव करने की संभावना होती है। डॉक्टरों की मानें तो ऐसी स्थिती में पीड़ित की हाथ, गर्दन की प्लस जांचनी चाहिए और देखना चाहिए कि वह सांस ले रहा है या नहीं। इस दौरान समझदारी से मरीज की जान बचाई जा सकती है। 

PunjabKesari
इन संकेतों पर जरूर दें ध्यान 

-30 की उम्र के बाद एसिडिटी या अस्थमा के दौरे जैसे संकेतों को नजरअंदाज ना करें। 

-30 सेकंड से ज्यादा छाती में होने वाले दर्द को नजरअंदाज ना करें।

-कई बार हार्ट अटैक होने पर जबड़े, गर्दन या पीठ में दर्द या बेचौनी हो सकती है। 

-दिल के दौरे के अन्य लक्षणों में थकान और मतली या उल्टी शामिल हो सकती है।

-सुबह छाती में होने वाली बेचैनी पर भी जरूर दें ध्यान

-छाती से बाईं बाजू और पीठ की ओर जाने वाले दर्द को नजरअंदाज ना करें। ।
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

vasudha

Related News

static