बजरंगबली की पूजा से प्रसन्न रहते हैं शनिदेव, जानिए इसके पीछे की पौराणिक कथा
punjabkesari.in Saturday, Apr 24, 2021 - 06:15 PM (IST)
पौराणिक कथाओं में हनुमान जी को महादेव का अवतार माना गया है। ऐसा कहा जाता है कि भगवान हनुमान की पूजा-अर्चना करने से शनिदेव प्रसंन रहते हैं। लेकिन एक सवाल अक्सर सामने आता है कि जब बजरंगबली भगवान शिव के अवतार हैं तो फिर उनकी पूजा से शनिदेव क्यों शांत होते हैं।
ये है वजह
इसका जवाब पौराणिक कहानियों में मिलता है। ऐसा कहा जाता है कि जब माता सीता को रावण उठा ले गया था, तो हनुमान जी उन्हें खोजते-खोजते लंका पहुंच गए थे। इसी दौरान उनकी नजर लंका में कैद शनिदेव पर पड़ी। हनुमान जी ने शनिदेव से यहां कैद होने का कारण पूछा। तब शनीदेव ने बताया कि रावन ने अपने योग बल के कारण उन्हें बंधी बनाया है। ये सुनकर हनुमान जी को काफी क्रोध आया। उन्होंने तुरंत ही शनिदेव को रावण की कैद से छुड़वाया।
शनिदेव का वरदान
रावण की कैद से आजाद होने के बाद प्रसन्न शनिदेव ने बजरंगबली से वरदान मांगने को कहा। तब हनुमान जी ने वरदान मांगा कि कलियुग में जब भी कोई मेरी पूजा-अर्चना करेगा तो आप उसका कभी अशुभ नहीं करेंगे। शनिदेव ने हनुमान जी को यह वरदान दे दिया। यहीं वजह है कि जब हनुमान जी की पूजा की जाती है तो शनिदेव भी प्रसन्न रहते हैं।
कैसे करें हनुमान जी की पूजा
मंगलवार और शनिवार को हनुमान जी की अराधना का दिन माना जाता है। इस दिन सुबह उठकर नहाने के बाद लाल कपड़े धारण करना चाहिए। इसके बाद घर के पूजा स्थान या मंदिर जा कर हाथ में जल लें और बजरंगबली की मूर्ति या फिर चित्र के सामने व्रत का संकल्प करें और देशी घी की जोत जलाएं। हनुमान जी को फूल माला चढ़ाएं। रूई में चमेली का तेल लें कर उनके सामने रख दें और व्रत कथा का पाठ करें। हनुमान चालीसा और सुंदर कांड का भी पाठ करना ना भूलें। पाठ समाप्त होने के बाद उनकी आरती करें और भोग लगाएं। ठीक ऐसा ही सूरज डूबने के बाद शाम में भी करें। बता दें कि जो लोग हनुमान जी का पाठ करते हैं उन्हें मंगलवार और शनिवार को दिन में सिर्फ एक बार ही खाना खाना चाहिए।