नवरात्रि में करते हैं शुभ कार्य की शुरुआत, फिर शादी की मनाही क्यों?

punjabkesari.in Thursday, Oct 15, 2020 - 02:23 PM (IST)

नवरात्रि का त्योहार हिंदू धर्म में बड़ी धूमधाम के साथ मनाया जाता है। इसे पूरे नौ दिनों तक देवी दुर्गा के अलग- अलग रूपों की पूजा करके मनाया जाता है। देवी मां को प्रसन्न करने के लिए दुर्गा सप्तशति व दुर्गा स्तुति का पाठ करने के साथ अष्टमी व नवमी के दिन कन्या पूजन किया जाता है। मान्यता है कि नवरात्रि के दिनों में भूमि पूजन, गृह प्रवेश, खरीददारी, नए कार्य का आरंभ आदि शुभ कार्य करने चाहिए। मगर बात हम शादी की करें तो इसे करने की मनाही होती है। बहुत से लोग इस बात को लेकर सोचते हैं कि इन शुभ दिनों में आखिर शादी न होने की क्या वजह होती है। ऐसे में अगर आपके मन में भी ऐसे ही विचार है तो चलिए आज हम आपको इसके पीछे का खास कारण बताते हैं...

इसलिए नहीं की जाती शादी...

नवरात्रि का त्योहार पवित्रता का प्रतीक है। इन नौ दिनों को पूरी तरह से पवित्र बनाएं रखने के लिए देवी मां की पूजा की जाती है। ऐसे में शारीरिक व मानसिक तौर पर स्वस्थ रहने के लिए देवी मां के व्रत भी रखे जाते हैं। बात अगर विवाह की करें तो इससे दो लोगों के एक होने व आगे वंश को बढ़ाने की ओर इशारा करता है। ऐसे में धार्मिक मान्यताओं को अनुसार, इन पावन दिनों की शुद्धता बरकरार रखने के लिए विवाह करने की मनाही होती है। ऐसे में इस दौरान ब्रह्मचार्य व्रत का पालन करना चाहिए। 

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विष्णु पुराण के अनुसार, नवरात्रि के पावन दिनों में जो लोग व्रत रखते हैं उन्हें इन बातों का ध्यान रखना चाहिए... 

- बाल व नाखून नहीं काटने चाहिए। 
- शेविंग करने से भी बचना चाहिए। 
- कपड़े धोने और पलंग पर भी सोने से परहेज रखना चाहिए। 
- प्याज, लहसुन, तंबाकू आदि के सेवन न कर सात्विक भोजन करना चाहिए। 
- दिन में सोने की जगह अपना पूरा समय मां दुर्गा की भक्ति में लगाना चाहिए। 
- दुर्गा मां के नौ रूपों की पूजा करें। 

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तो चलिए अब जानते हैं नवरात्रि में जौ रोपन के पीछे जुड़ी मान्यता...

नवरात्रि के पहले दिन में बहुत से घरों में जौ रोपन किया जाता है। मान्यता है कि दुनिया की शुरुआत होने पर धरती पर सबसे पहली फसल जौ को बोया गया था। साथ ही बंसत ऋतु की पहली फसल भी जौ को माना जाता है। ऐसे में देवी मां को जौ चढ़ाई जाती है। मान्यता है कि अगर जौ तेजी से बढ़ते हैं तो घर में सुख- समृद्धि व शांति का वास होता है। देवी मां की कृपा होने से घर में कभी भी अन्न व धन की कोई कमी नहीं होती है। 

अष्टमी व नवमी में कन्या पूजन का विशेष महत्व

मान्यता है कि दुर्गा मां ने धरती पर कन्या के रुप में अपने भक्तों को दर्शन दिए थे। ऐसे में हिंदू धर्म में 2 से 10 साल तक ही कन्याओं को देवी का रूप मानकर उनकी पूजा की जाती है। शास्त्रों के मुताबिक, 3, 5, 7 और 11 कन्याओं की सच्चे मन से पूजा करने व उन्हें भोग लगाने से जीवन की सभी परेशानियां दूर हो धन, ऐश्वर्य, ज्ञान, सुख- समृद्धि की प्राप्ति होती है। घर पूरी तरह से शुद्ध होने से सकारात्मक ऊर्जा का संचार हो खुशियों से भर जाता है। 

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neetu

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