मकर संक्रांति 2021: ये हैं भारत के प्रसिद्ध मंदिर, जहां होता है सूर्य देव का वास
punjabkesari.in Wednesday, Jan 13, 2021 - 05:51 PM (IST)
भारत देश में व्रत व त्योहारों का विशेष महत्व है। ऐसे में साल की पहली संक्रांति को बड़ी धूमधाम से मनाया जाता है। माना जाता है कि इस दिन सूर्य देव मकर यानी अपने पुत्र की राशि में प्रवेश करते हैं। ऐसे में सूर्य देव की पूजा करना व उन्हें अर्घ्य देना बेहद ही शुभ माना जाता है। साथ ही इस शुभ अवसर पर सूर्य देव के मंदिरों के दर्शन करने से विशेष लाभ मिलता है। तो चलिए आज हम आपको भगवान सूर्य देव के 4 प्रसिद्ध मंदिरों के बारे में बताते हैं, जिनमें सूर्य देव वास माना जाता है...
कोणार्क सूर्य मंदिर (उड़ीसा)
उड़ीसा में सूर्य देव का एक विशाल व अदभुत मंदिर स्थित है। इसके उत्तर पूर्वी समुद्र तट पर होने से इस मंदिर का नाम 'कोणार्क सूर्य मंदिर' रखा गया। माना जाता है कि सूर्य देव का रथ पर कुल 12 पहिए और 7 घोडे़े हैं। ऐसे में इस मंदिर का आकार भी रथ की तरह है। इस मंदिर में मध्याकालीन युग की वास्तुकला देखने को मिलती है। अपने आकार और शिल्पकला के कारण यह मंदिर पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है।
लोहार्गल सूर्य मंदिर (राजस्थान)
राजस्थान के झूंझनू में बसा लोहार्गल सूर्य मंदिर का इतिहास महाभारत काल से जोड़ा जाता है। कहा जाता है कि सूर्यदेव ने कई सालों तक श्रीहरी की तपस्या करके इस स्थान को पाया था। इस मंदिर के बीच बना सूर्य कुंड बेहद ही पुराना है। कहा जाता है कि इस कुंड में पांडवों ने स्नान करके खुद पर लगे ब्रह्म हत्या के पाप से मुक्ति पाई थी। ऐसे में लोग आज भी इस मान्यता को मानते हुए कुंड में अपनों पापों से छुटकारा पाने के लिए स्नान करने आते हैं।
झालरापाटन सूर्य मंदिर (राजस्थान)
भगवान सूर्य देव का यह मंदिर राजस्थान में स्थित है। माना जाता है कि इसे नाग भट्ट द्वितीय ने विक्रम संवत 872 में बनवाया था। साथ ही इसका निर्माण कोणार्क मंदिर की तरह रथ के आकार का करवाया गया था। साथ ही मंदिर के गर्भगृह में विष्णु जी की चतुर्भुज आकार की मूर्ति स्थापित है। इसके साथ ही मंदिर के अंदर आने पर तीन ओर से तोरण द्वार बनाए गए है। झालरापाटन सूर्य मंदिर द्मनाभ मंदिर, बड़ा मंदिर, सात सहेलियों के मंदिर आदि नामों से भी मशहूर है।
मोढेरा सूर्य मंदिर (अहमदाबाद)
भगवान सूर्य देव का यह मंदिर अहमदाबाद से करीब 100 किलोमीटर की दूरी पर बना हुआ है। सूर्य के प्राचीन मंदिरों में एक कहलाने वाला यह मंदिर बेहद ही खास है। इसके आकर्षण का मुख्य केंद्र इसके बनने की वजह है। असल में, यह मंदिर कुल 3 हिस्सों में बना है। ऐसे में इसे जोड़ने के लिए चूने का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया गया है। मंदिर के पहले भाग में गर्भगृह, दूसरे में सभामंडप और तीसरे हिस्से में सूर्य कुंड का बना है।