इन कारणों से हो सकता है फेफड़ों का कैंसर, जानें इसके प्रकार व बचने के उपाय
punjabkesari.in Wednesday, Jun 16, 2021 - 01:29 PM (IST)
कैंसर एक गंभीर बीमारी है जिसके कारण शरीर की कोशिकाएं नियंत्रण से बाहर हो जाती है। जब यह फेफड़ों पर फैलता है तो फेफड़ों का कैंसर कहलाता है। बता दें, व्यक्ति की छाती में 2 स्पॉन्जी ऑर्गेन्स फेफड़े पाए जाते हैं। फेफड़े ही शरीर को स्वस्थ रखने के लिए ऑक्सीजन लेने और कार्बन डाई ऑक्साइड छोड़ने का काम करते हैं।
मगर धूम्रपान, तम्बाकू आदि नशीली चीजों का सेवन करने से फेफड़ों के कैंसर की चपेट में आने का खतरा रहता है। इसके अलावा धुएं के संपर्क में आने, आसपास के वातावरण में एस्बेस्टस या रेडॉन जैसे पदार्थों के होने से भी इसकी चपेट में आने का खतरा रहता है। वहीं लाखों लोग हर साल इसकी चपेट में आते व अपनी जान से हाथ धो बैठते हैं। चलिए आज हम आपके फेफड़ों के कैंसर प्रकार, कारण, लक्षण आदि के बारे में विस्तार से बताते हैं...
फेफड़ों के कैंसर 2 प्रकार का होता है
स्मॉल सेल लंग कैंसर- यह एक तरह की कोशिकाओं से बनता है। धूम्रपान करने वाले लोगों को इस कैंसर की चपेट में आने का खतरा ज्यादा होता है। साथ ही स्मॉल सेल लंग कैंसर का शरीर के अन्य हिस्सों में फैलने का खतरा अधिक होता है।
नॉन-स्मॉल सेल लंग कैंसर- यह कैंसर का एक सामान्य रूप है जो करीब 85 प्रतिशत लंग कैंसर के मरीजों में पाया जाता है।
फेफड़ों के कैंसर होने के मुख्य कारण
धूम्रपान- धूम्रपान करने से फेफड़ों में सांस प्रक्रिया को धीमा करके उसे गलाने का काम करता है। ऐसे में फेफड़ों का कैंसर होना का खतरा रहता है।
सिगरेट के धुएं के संपर्क में आना- धूम्रपान करने की अलावा इसके संपर्क में आने से भी व्यक्ति फेफड़े के कैंसर की चपेट में आ सकता है।
पहले हुई विकिरण चिकित्सा (Radiation Therapy)- अगर मरीज को पहले शरीर में किसी अन्य प्रकार का कैंसर हो। साथ ही उसे इसके इलाज के लिए छाती में रेडिएशन थेरेपी का इस्तेमाल किया हो तो फेफड़ों के कैंसर के विकास का खतरा बढ़ता है।
वायु प्रदूषण- हवा में मौजूद दूषित गैस के संपर्क में आने से शरीर में प्रदूषित हवा पहुंचती है। ऐसे में फेफड़ों के कैंसर होने का खतरा कई गुणा बढ़ता है।
रेडॉन के संपर्क में आना- रेडॉन एक रेडियोधर्मी गैस (Radioactive Gas) है। यह चट्टानों, इमारतों और मिट्टी में मौजूद यूरेनियम की छोटी मात्रा में मिलती है। इसके संपर्क में आने के फेफड़ों का कैंसर होने का जोखम बढ़ता है।
पारिवारिक इतिहास- यदि घर में पहले से माता-पिता, भाई-बहन या कोई भी कैंसर से पीड़ित हो तो ऐसे में बच्चे का इस गंभीर बीमारी की चपेट मेें आने का खतरा रहता है।
चलिए अब जानते हैं फेफड़ों के कैंसर के लक्षण
लंबे समय तक खांसी की शिकायत रहना व कई बार खांसी में खून आने की समस्या होना
छाती में दर्द होना
सांस लेने में दिक्कत आना
हर समय थकान, कमजोरी महसूस होना
बिना मतलब वजन घटना
लंबे समय तक भूख ना लगना
गला खराब होना व आवाज बैठना
सिर व हड्डियों में दर्द रहना
चलिए अब जानते हैं फेफड़ों के कैंसर का इलाज
फेफड़ों के कैंसर का इलाज कई तरह से हो सकता है। मगर यह कैंसर के प्रकार व यह शरीर में कितना फैला है उसपर निर्भर करता है। नॉन–स्मॉल सेल लंग कैंसर वाले मरीजों का इलाज सर्जरी, कीमोथेरेपी, रेडिएशन थेरपी, टारगेट थेेरेपी या इन इलाजों के मेल से कर सकते हैं। वहीं दूसरी ओर स्मॉल सेल कैंसर वाले मरीजों का इलाज रेडिएशन थेरपी और कीमोथेरेपी से हो सकता है। चलिए जानते हैं इसके बारे में विस्तार से...
सर्जरी- सर्जरी में कैंसर के ऊतकों को काट कर निकाल दिया जाता है।
कीमोथेरेपी- इसमें कैंसर को मारने के लिए मरीजों को दवाइयां दी जाती है। इसके अलावा नसों के जरिए दवाइयों को शरीर में पहुंचाया जाता हैं।
रेडिएशन थेरेपी- इसमें कैंसर को खत्म करने के लिए उच्च-ऊर्जा x-ray किरणों का उपयोग होता है।
टारगेट थेरेपी- इसमें कैंसर को रोकने व खत्म करने के लिए दवाओं का सहारा लिया जाता है। इसे काफी फायदेमंद माना गया है।
PET-CT स्कैन- अगर मरीज में CT स्कैन के परिणाम शुरुआती यानी पहली स्टेज का कैंसर दिखाता है तो इसके लिए PET-CT स्कैन किया जा सकता है। यह स्कैन सक्रिय कैंसर कोशिकाओं की जगह दिखाता है। इससे कैंसर को रोकने व खत्म करने में मदद मिलती है।
फेफड़ों के कैंसर से बचाव में इन बातों का रखें ध्यान
धूम्रपान करने से बचें- धूम्रपान का बुरा असर सीधा फेफड़ों पर पड़ता है। ऐसे में इसे करने से बचें। अगर आप धूम्रपान नहीं करते हैं तो इसे करने की कभी गलती भी ना करें। इसके अलावा अपने बच्चों को भी धूम्रपान के दुष्प्रभाव के बारे में बताएं। ताकि उन्हें भी कभ इसकी लत ना लगे।
सिगरेट के धुएं के संपर्क में आने की गलती ना करें- धूम्रपान करने के साथ सिगरेट के धुएं के संपर्क में आने सेभी सेहत को भारी नुकसान झेलना पड़ना है। इसलिए धूम्रपान करने वाले जगहों से ना गुजरे। इसके अलावा अगर आपके किसी रिश्तेदार या दोस्त को इसकी तल है तो उसे इसे छोड़ने को कहें।
ताजे फल और सब्जियों का सेवन- हैल्दी रहने के लिए अपनी डेली डाइट में ताजे फल और सब्जियां शामिल करें। इनमें सभी जरूरी तत्व व एंटी-ऑक्सीडेंट्स होते हैं जो सेहत को दुरुस्त रखने में मदद करते हैं। इसके अलावा विटामिन्स की कमी को पूरा करने के लिए इसकी गोलियां खाने से बचें। असल में, ये शरीर को नुकसान पहुंचा सकती है।
एक्सरसाइज करें- रोजाना 30 मिनट तक योगा, एक्सरसाइज, मेडिटेशन व वॉक करें। इससे पूरे शरीर का बेहतर तरीके से विकास होगा। ऐसे में कैंसर जैसी गंभीर बीमारी की चपेट में आने का खतरा कम रहेगा।
रेडोन के लिए अपने घर की जांच करवाएं- अध्ययनों के अनुसार, रेडोन (एक तरह की अदृश्य रेडियोधर्मी गैस) धूम्रपान करने वाले व फेफड़ों के लिए खतरनाक मानी जाती है। वहीं घर पर इसका स्तर अधिक होने से फेफड़ों का कैंसर होने का खतरा बढ़ता है। इसलिए जरूरी है कि घर पर रेडोन स्तर की जांच करवाई जाएं।
अधिक से अधिक पेड़-पौधे लगाए- फेफड़ों के कैंसर होने का एक मुख्य कारण वायु प्रदूषण माना गया है। इसके लिए आसपास का वातावरण व हवा साफ होना बेहद जरूरी है। इसके लिए घर के अंदर व बाहर की अच्छे से सफाई करें। इसके साथ ही ज्यादा से ज्यादा पेड़ व पौधे लगाएं। ताकि फेफड़ों को सांस लेने में कोई दिक्कत ना आए।
घर से बाहर निकलने पर मास्क पहनें- घर से कहीं बाहर जाने से पहले मास्क जरूर पहने। ताकि बाहर हवा में मौजूद विषैले पदार्थों शरीर में प्रवेश ना करें।