जब खून को साफ नहीं कर पा रहीं किडनी, ऐसे करें खुद की देखभाल ,घटेगा बीमारी का खतरा

punjabkesari.in Sunday, Nov 09, 2025 - 04:50 PM (IST)

नारी डेस्क: किडनी हमारे शरीर का वो हिस्सा है जो हर पल खून को साफ करने और शरीर से टॉक्सिन्स निकालने का काम करती है। लेकिन जब किडनी की यह प्रक्रिया कमजोर पड़ जाती है, तो क्रोनिक किडनी डिजीज (Chronic Kidney Disease - CKD) जैसी गंभीर स्थिति पैदा हो सकती है। यह बीमारी धीरे-धीरे बढ़ती है और जब तक लक्षण सामने आते हैं, तब तक किडनी को काफी नुकसान पहुंच चुका होता है। आइए विस्तार से जानते हैं कि क्रोनिक किडनी डिजीज क्या है, इसके मरीज खुद की देखभाल कैसे कर सकते हैं और कैसी होनी चाहिए उनकी डाइट व जीवनशैली।

 क्या है क्रोनिक किडनी डिजीज (CKD)?

क्लीवलैंड क्लीनिक की रिपोर्ट के अनुसार, क्रोनिक किडनी डिजीज एक ऐसी लंबी चलने वाली स्थिति है जिसमें किडनी धीरे-धीरे अपनी कार्यक्षमता खो देती है। किडनी जब खून को ठीक से फिल्टर नहीं कर पाती, तो शरीर में अपशिष्ट और तरल पदार्थ जमा होने लगते हैं, जिससे कई गंभीर स्वास्थ्य समस्याएं पैदा होती हैं जैसे हाई ब्लड प्रेशर, सूजन, थकान, और धीरे-धीरे किडनी फेल्योर तक की स्थिति। कई मामलों में डायलिसिस या किडनी ट्रांसप्लांट की जरूरत भी पड़ सकती है।

क्रोनिक किडनी डिजीज में कैसी होनी चाहिए डाइट

सीकेडी के मरीजों के लिए सही डाइट सबसे अहम होती है। आपकी खान-पान की आदतें इस बीमारी की प्रगति को धीमा या तेज कर सकती हैं। डॉक्टर की सलाह से बनी संतुलित डाइट इस बीमारी को नियंत्रित रखने में मदद करती है।

प्रोटीन का सेवन सीमित करें

किडनी पर अतिरिक्त भार न पड़े, इसलिए प्रोटीन की मात्रा सीमित रखें। हालांकि शरीर की ज़रूरत के अनुसार लीन प्रोटीन (जैसे अंडे, मछली, चिकन, कम फैट वाला दूध) का सेवन फायदेमंद है। रोजाना लगभग 8–10 औंस प्रोटीन लेना पर्याप्त होता है।

 नमक का सेवन घटाएं

ब्लड प्रेशर कंट्रोल में रखने के लिए डेली 2000 mg से कम सोडियम का सेवन करें। ध्यान रहे कि लो-सोडियम का मतलब यह नहीं कि नमक बिल्कुल बंद कर दें, बल्कि केवल कम मात्रा में उपयोग करें।

पोटेशियम और फॉस्फोरस का संतुलन

किडनी डिजीज में पोटेशियम और फॉस्फोरस की मात्रा बढ़ने से हृदय और हड्डियों पर असर पड़ सकता है। इसलिए केले, आलू, टमाटर और डेयरी प्रोडक्ट्स की मात्रा सीमित रखें।

 डैश डाइट अपनाएं

शुरुआती स्टेज के मरीजों के लिए DASH Diet (Dietary Approaches to Stop Hypertension) फायदेमंद मानी जाती है।

इसमें शामिल होते हैं –

सब्जियां और फल

कम फैट वाले डेयरी प्रोडक्ट्स

साबुत अनाज

नट्स और बीज

मछली व हल्की प्रोटीन

जरूरत के अनुसार कार्बोहाइड्रेट लें

अगर मरीज का वजन कम है या ऊर्जा की कमी है तो 6–11 सर्विंग कार्ब्स (जैसे रोटी, ब्रेड, चावल) दिनभर में ली जा सकती हैं। यह शरीर को ऊर्जा देने के साथ थकान कम करने में मदद करते हैं।

किन चीज़ों से बनाएं दूरी

शराब: शराब का अधिक सेवन किडनी को डिहाइड्रेट करता है और क्रोनिक डिजीज को तेज़ी से बढ़ाता है। लंबे समय में यह किडनी फेल्योर तक ले जा सकता है।

ईडी (Erectile Dysfunction) की दवाएं:  बिना डॉक्टर की सलाह के ऐसी दवाएं लेना किडनी के लिए खतरनाक हो सकता है। ये दवाएं ब्लड फ्लो पर असर डालती हैं और गुर्दे पर दबाव बढ़ा सकती हैं।

कोकीन या नशे का सेवन:  कोकीन के सेवन से ब्लड प्रेशर अचानक बढ़ जाता है, जिससे किडनी को सीधा नुकसान होता है। डॉक्टरों के अनुसार, यह किडनी की नलियों को नुकसान पहुंचाकर स्थायी क्षति कर सकता है।

लिक्विड डाइट सीमित करें: पल्मोनरी एडिमा (फेफड़ों में पानी भरने) से बचने के लिए लिक्विड इनटेक सीमित करें। ज्यादा प्यास लगने पर नमकीन खाने से बचें और फ्रूट जूस की बजाय पूरे फल खाएं।

लाइफस्टाइल में करें ये बदलाव: वजन को कंट्रोल में रखें — मोटापा किडनी पर दबाव बढ़ाता है। ब्लड प्रेशर और ब्लड शुगर को नियमित जांचें। स्मोकिंग से दूरी बनाएं। हल्की वॉक और योग करें ताकि शरीर सक्रिय बना रहे। पानी सीमित मात्रा में पिएं, ओवरहाइड्रेशन से भी किडनी पर असर पड़ सकता है।

क्रोनिक किडनी डिजीज धीरे-धीरे बढ़ने वाली बीमारी है, लेकिन सही देखभाल, डाइट और नियमित जांच से इसे नियंत्रित किया जा सकता है। डॉक्टर की सलाह से दवाएं लें, डाइट चार्ट फॉलो करें और जीवनशैली में सुधार लाएं — इससे किडनी को लंबे समय तक स्वस्थ रखा जा सकता है।

डिस्क्लेमर: यह लेख केवल सामान्य जानकारी के उद्देश्य से लिखा गया है। यह किसी भी चिकित्सा सलाह या इलाज का विकल्प नहीं है। किसी भी लक्षण के दिखाई देने पर तुरंत डॉक्टर से संपर्क करें।  


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Content Editor

Priya Yadav

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