बीपी control में रखने के लिए जानिए ये ज़रूरी बातें, जो आपके डॉक्टर भी नहीं बताएंगे!

punjabkesari.in Saturday, Oct 04, 2025 - 10:59 AM (IST)

 नारी डेस्क:  उच्च रक्तचाप यानी हाइपरटेंशन आज के समय में एक आम स्वास्थ्य समस्या बन चुकी है। विशेषज्ञों के नए दिशा-निर्देशों के अनुसार, शुरुआती चरण में दवा लेने से ज्यादा जीवनशैली में सुधार करना महत्वपूर्ण माना जाता है। समय रहते चेतावनी समझकर सही कदम उठाना उच्च रक्तचाप के खतरों को कम करने में मदद करता है।

बीपी बढ़ने के पीछे जीवनशैली का प्रभाव

आज की तेज-तर्रार जिंदगी, असंतुलित खानपान और शारीरिक गतिविधियों की कमी के कारण दुनियाभर में हाइपरटेंशन के मामले लगातार बढ़ रहे हैं। आंकड़ों के अनुसार, 30 प्रतिशत वयस्क उच्च रक्तचाप से प्रभावित हैं, जिनमें से अधिकांश को अपनी समस्या का पता नहीं होता या वे इसे अनदेखा कर देते हैं।

बीपी जांच में जैसे ही सिस्टोलिक रीडिंग 120 से अधिक दिखती है, मरीजों के मन में सवाल उठते हैं कि क्या दवा शुरू करनी चाहिए या जीवनशैली में बदलाव पर्याप्त होगा। पहले 130 से अधिक रीडिंग पर दवा शुरू करने की सलाह दी जाती थी, लेकिन अब विशेषज्ञ 130-139 रेंज में जीवनशैली सुधार करने की सलाह देते हैं।

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बीपी रीडिंग और उनके स्तर

रक्तचाप के स्तर को समझने के लिए सामान्य बीपी रीडिंग इस प्रकार है: सिस्टोलिक (ऊपर) 120 से कम और डायस्टोलिक (नीचे) 80 से कम होने पर इसे स्वस्थ स्तर माना जाता है। जब सिस्टोलिक 120-129 और डायस्टोलिक 80-89 के बीच होता है तो इसे बढ़ा हुआ रक्तचाप कहा जाता है, जिसमें सावधानी आवश्यक होती है। स्टेज-1 उच्च रक्तचाप तब होता है जब सिस्टोलिक 130-139 और डायस्टोलिक 80-89 के बीच हो, जिसमें जीवनशैली सुधार जरूरी होता है। यदि सिस्टोलिक 140 या डायस्टोलिक 90 से अधिक हो तो इसे स्टेज-2 उच्च रक्तचाप माना जाता है, जिसमें दवा की जरूरत पड़ सकती है। सबसे गंभीर स्थिति हाइपरटेंसिव इमरजेंसी होती है, जब बीपी 180/120 से अधिक हो, जिसमें तुरंत चिकित्सकीय मदद आवश्यक होती है।

जीवनशैली में सुधार पर जोर

अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी और अमेरिकन हार्ट इंस्टीट्यूट के अनुसार, यदि मरीज को डायबिटीज, किडनी रोग या हृदय रोग जैसी समस्याएँ नहीं हैं, तो 130-139 की बीपी रेंज में सीधे दवा शुरू करने की बजाय जीवनशैली सुधार करना चाहिए। कुछ मामलों में डॉक्टर की सलाह अनुसार दवा जरूरी हो सकती है। बीपी 140/90 से अधिक होने पर डॉक्टर की बताई दवाएं नियमित लेना आवश्यक है।

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BP नियंत्रण के लिए जरूरी उपाय

संतुलित आहार अपनाएं

नमक की मात्रा कम करें: हाई बीपी वालों को दिनभर में 2.3 ग्राम से कम, धीरे-धीरे 1.5 ग्राम तक लाना चाहिए। डीएएसएच (DASH) डायट अपनाएँ: फल, सब्जियां, फलियां अधिक खाएं; चीनी, तली-भुनी चीजें, संतृप्त वसा और प्रोसेस्ड फूड कम करें।

नियमित व्यायाम करें:  सप्ताह में कम से कम 150 मिनट तेज गति से चलें। योग और प्राणायाम तनाव कम करने और हृदय स्वास्थ्य सुधारने में मददगार हैं। वजन नियंत्रण मोटापे के शिकार लोगों को 5 प्रतिशत तक वजन कम करने का लक्ष्य रखें। हर किलो वजन की कमी बीपी पर सकारात्मक असर डाल सकती है।

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नकारात्मक आदतों से बचें: अल्कोहल और धूम्रपान से दूर रहें। पर्याप्त नींद लें और तनाव मुक्त रहने की कोशिश करें। घर पर बीपी मॉनिटरिंग घर पर नियमित बीपी मॉनिटरिंग करने से रीडिंग का ट्रैक रखना आसान होता है और समय रहते सुधार किए जा सकते हैं। उच्च रक्तचाप शुरुआती चरण में अक्सर बिना लक्षण के होता है। इसलिए जीवनशैली सुधार, नियमित व्यायाम, सही खानपान और तनाव नियंत्रण से इसे नियंत्रित करना संभव है। समय पर डॉक्टर से सलाह लेना और अपनी बीपी रीडिंग का ध्यान रखना लंबे समय में दिल और किडनी से जुड़ी गंभीर समस्याओं से बचाव में मदद करता है।
 


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Content Editor

Priya Yadav

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