"तिरंगा लहराकर या लिपटकर लेकिन आऊंगा जरूर..." देश अभी तक नहीं भूला शहीद के ये आखिरी शब्द
punjabkesari.in Monday, Jul 07, 2025 - 06:44 PM (IST)

नारी डेस्क: भारतीय सेना ने कारगिल विजय दिवस की 26वीं वर्षगांठ के अवसर पर कैप्टन विक्रम बत्रा को भावभीनी श्रद्धांजलि दी। 13 जेएके राइफल्स (कारगिल) के वीर योद्धा कैप्टन बत्रा को सात जुलाई, 1999 को ऑपरेशन विजय के दौरान हुई उनकी शहादत, उनके असाधारण साहस और निस्वार्थ बलिदान के लिए याद किया गया। उनका जोशीला नारा ‘यह दिल मांगे मोर' आज भी हर भारतीय के दिल में गूंजता है।
विक्रम बत्रा को कहा जाता था 'शेरशाह'
शहीद कैप्टन विक्रम बत्रा को भारतीय सेना का 'शेरशाह' कहा जाता है क्योंकि उन्होंने कारगिल युद्ध 1999 के दौरान जो असाधारण वीरता, साहस और नेतृत्व दिखाया, वह भारतीय सैन्य इतिहास में अमर हो गया। उनकी बहादुरी और अदम्य जज्बे ने न केवल दुश्मन को धूल चटाई, बल्कि देशवासियों के दिल में अमिट छाप छोड़ दी। कारगिल युद्ध के दौरान विक्रम बत्रा का कोड नेम था – ‘शेरशाह’। जब वे दुश्मनों के बंकर पर हमला कर रहे थे, उन्होंने रेडियो पर कहा था:"ये दिल मांगे मोर!" यह नारा उस समय भारतभर में देशभक्ति की प्रतीक बन गया।
5140 चोटी की बहादुरी से जीत
कैप्टन बत्रा ने अपने नेतृत्व में काफ़ी मुश्किल माने जाने वाली चोटी 5140 को भारी गोलीबारी के बीच जीत लिया। उन्होंने दुश्मन के बंकर पर अकेले जाकर हमला किया और सफलता दिलाई। इसके बाद उन्हें एक और चुनौतीपूर्ण मिशन दिया गया – पॉइंट 4875 की जीत। यहां भी विक्रम बत्रा ने बहादुरी से अपने घायल साथी को बचाते हुए खुद दुश्मनों से लोहा लिया और वीरगति को प्राप्त हो गए।

कैप्टन बत्रा से डरती थी पाकिस्तानी सेना
कैप्टन बत्रा के नाम और उनके ‘शेरशाह’ कोडनेम से पाकिस्तानी सेना तक खौफ खाती थी। उनकी आक्रामक शैली और नेतृत्व ने दुश्मनों को पीछे हटने पर मजबूर कर दिया। लड़ाई में जानेस से पहले उन्होंने अपने माता-पिता से कहा था “मैं तिरंगा लहराकर आऊंगा या उसमें लिपटकर, लेकिन आऊंगा ज़रूर और उन्होंने अपने वचन को पूरा किया – तिरंगे में लिपटकर लौटे।
परमवीर चक्र से सम्मानित
कैप्टन बत्रा को अदम्य साहस के लिए उन्हें भारत के सर्वोच्च सैन्य सम्मान ‘परमवीर चक्र’ से मरणोपरांत सम्मानित किया गया। 2021 में बनी फिल्म ‘Shershaah’ (जिसमें सिद्धार्थ मल्होत्रा ने उनकी भूमिका निभाई) ने उनके जीवन को जन-जन तक पहुंचाया और उन्हें एक युवा आइकन बना दिया। कैप्टन विक्रम बत्रा केवल एक सैनिक नहीं थे, वे भारत माता के सच्चे सपूत, वीरता के प्रतीक और देशभक्ति की मिसाल थे। ‘शेरशाह’ नाम उनके साहस और शौर्य को अमर पहचान बना गया।