छोटी बच्ची पर भड़की कंगना हुई ट्रोल, सफाई में कहा - ''क्या मेरी आवाज को चुप करा देना चाहिए?''
punjabkesari.in Thursday, Feb 17, 2022 - 01:45 PM (IST)
बॉलीवुड क्वीन एक्ट्रेस कंगना रनौत राजनीति और फिल्मी दुनिया, दोनों से जुड़े मुद्दों पर अपनी राय मजबूती से रखती हैं। मगर, हाल ही में वह अपने बेबाक बयानों को लेकर आजकल खूब चर्चा में हैं। दरअसल, कुछ समय पर पहले सोशल मीडिया पर एक बच्ची का वीडियो खूब वायरल हो रहा था, जिसमें छोटी बच्ची आलिया भट्ट की नकल करती आ रही थी। सोशल मीडिया पर उनका वीडियो खूब वायरल आया लेकिन कंगना ने इसे लेकर बवाल मचा दिया।
कंगना ने बच्ची का वीडियो शेयर करते हुए इंस्टाग्राम स्टोरी पर कहा, "सरकार को ऐसे सभी पेरेंट्स के खिलाफ एक्शन लेना चाहिए जो फिल्म प्रमोशन से पैसा कमाने के लिए नाबालिग बच्चों का यौन उत्पीड़न कर रहे हैं, जो एक वेश्या और उसके दलाल की बायोपिक है। इन्होंने अपनी ताकत बढ़ाने के लिए पूर्व प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू तक को लड़कियां सप्लाई की थी। महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी जी कृप्या ध्यान दें।'
वहीं अपनी अन्य पोस्ट में उन्होंने लिखा, 'क्या इस बच्ची को मुंह में बीड़ी लेकर अश्लील डायलाॅग बोलने चाहिए? इसकी बाॅडी लैंग्वेज देखिए, ऐसे सैंकड़ों बच्चे है जिनका ऐसे इस्तेमाल किया जा रहा है।' बच्ची को लेकर ऐसी बातें बोलने पर कंगना ट्रोलर्स के निशाने पर आई। लोग उन्हें बुरा भला कहने लगे। मगर, एक बार फिर कंगना ने इस बारे में बात करते हुए कहा कि क्या उनकी आवाज को दबा देना चाहिए। दरअसल, दिल्ली में एक कार्यक्रम में मीडिया सवालों का जबाव देते हुए उन्होंने कहा, 'मुझे अपने मन की बात कहने और किसी चीज का विरोध करने की पूरी आजादी है।'
जब उनसे पूछा गया कि वो खुद को व्यक्त करना क्यों बंद नहीं कर सकती तो कंगना ने कहा, 'हर फिल्म में विरोध महत्वपूर्ण है, न कि सिर्फ राजनीति में। विरोध न हो तो क्या रह जाता है...मनुष्य के पास अपना ही रास्ता है। मैं प्राधिकरण नहीं हूं। मैं अपनी राय दे रही हूं कि यह मुझे गलत नहीं लगता। क्या मेरी आवाज को सिर्फ इसलिए खामोश कर देना चाहिए क्योंकि पैसा कमाना उनके हित में नहीं है?'
आगे उन्होंने कहा, 'वह उस क्रिएटिव जगह पर रहना चाहती हैं, जहां सभी को एक-दूसरे की फिल्मों के बारे में बोलने का अधिकार हो। मैं यह नहीं कह रहा हूं कि मैं सही हूं या वो गलत हैं। मैं कह रहा हूं कि मुझे अपने मन की बात कहने की आजादी होनी चाहिए। कल, जब मैं अपनी फिल्म बनाऊंगी तो मैं चाहूंगी कि लोग वही कहें जो वे महसूस करते हैं। मुझे हर विरोधी दृष्टिकोण को संबोधित करने की आवश्यकता नहीं है। लेकिन यह कहना कि यह व्यक्ति मेरी फिल्म को नुकसान पहुंचाने के लिए कुछ कह रहा है, या मेरी फिल्म की कमाई को नुकसान पहुंचा रहा है ... अगर आपको वह फिल्म बनाने की आजादी है तो क्या मुझे इसके बारे में राय रखने की आजादी नहीं है? क्या आप मेरी धारणा को डॉक्टरेट करना चाहते हैं? इतना नियंत्रित मत बनो"।