जस्टिस बीवी नागरत्ना 2027 में बन सकती हैं भारत की पहली महिला मुख्य न्यायाधीश
punjabkesari.in Wednesday, Aug 18, 2021 - 11:12 AM (IST)
देश एक बार फिर से महिला सशस्तीकरण का इतिहास रचने जा रहे हैं। दरअसल, जस्टिस बीवी नागरत्ना भारत की सबसे ऊंची अदालत सुप्रीम कोर्ट की पहली महिला मुख्य न्यायधीश बन सकती हैं। बता दें कि सुप्रीम कोर्ट की कॉलेजियम ने मंगलवार को सरकार के पास सुप्रीम कोर्ट में खाली पड़ी वैकेंसी के लिए नौ नामों की सिफारिश की है। जिनमें से जस्टिस बीवी नागरत्ना का नाम भी शामिल है। ऐसा बताया जा रहा है कि साल 2027 में ये देश की पहली महिला मुख्य न्यायधीश बन सकती हैं। सुप्रीम कोर्ट ने मंगलवार 9 नामों को मंजूरी दी थी जिनमें 3 महिलाओं के नाम थे। उनमें से एक जस्टिस नामरत्ना भी शामिल है।
आईए जानते हैं कौन है जस्टिस बीवी नागारत्ना
जस्टिस बीवी नागारत्ना कर्नाटक हाईकोर्ट की जज हैं। वो देश में सुप्रीम कोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके ईएस वेंकटरमैया की बेटी हैं। जस्टिस नागरत्ना ने बेंगलुरु में एक वकील के रूप में अपने करियर की शुरुआत की थी। फरवरी 2008 में इन्हें कर्नाटक हाई कोर्ट में एक अतिरिक्त न्यायाधीश के रूप में नियुक्त किया गया। इसके दो साल बाद उन्हें स्थायी न्यायाधीश बनाया गया।
पिता भी रह चुके है CJI
जस्टिस नागरत्ना के पिता, ईएस वेंकटरमैया 1989 में करीब 6 महीने के लिए CJI थे। अगर केंद्र सरकार जस्टिस नागरत्ना के नाम को मंजूरी दे देती है, तो वह 2027 में पहली महिला CJI बन जाएंगी।
चैलेंजेस को लेने में माहिर है नागरत्ना
जस्टिस नागरत्ना चैलेंजेस को लेने में माहिर है हर तरह के कठिन दौर से कैसे निकलना है कि उन्हें बखूबी आता है। ऐसा ही एक किस्सासामने आया था दरअसल, नवंबर 2009 में जस्टिस नागरत्ना को कर्नाटक HC के दो अन्य न्यायाधीशों के साथ एक कमरे में बंद कर दिया गया था। विरोध करने वाले वकीलों के एक समूह ने उन्हें अदालत के कमरे में बंद कर दिया था। लेकिन न्यायमूर्ति नागरत्ना ने गरिमापूर्ण तरीके से इस स्थिति का सामना किया। घटना के बाद में उन्होंने कहा कि हम नाराज नहीं हैं, लेकिन हमें दुख है कि बार ने हमारे साथ ऐसा किया है। हमें शर्म से सिर झुकाना पड़ रहा है।
ब्रेकिंग न्यूज', 'फ्लैश न्यूज' या सनसनीखेज पर अंकुश लगाया जाना चाहिए
उन्होंने अपने फैसले में लिखा था कि किसी भी चैनल के लिए सूचना का सच्चा प्रसार करना एक अनिवार्य आवश्यकता है। ब्रेकिंग न्यूज', 'फ्लैश न्यूज' या किसी अन्य रूप में सनसनीखेज पर अंकुश लगाया जाना चाहिए।