वरुथिनी एकादशी 2025: जब गुरुवार को पड़ती है एकादशी, जानें इसका शुभ फल और महत्व

punjabkesari.in Thursday, Apr 24, 2025 - 10:13 AM (IST)

नारी डेस्क: हर साल वैशाख माह के कृष्ण पक्ष की एकादशी को वरुथिनी एकादशी कहते हैं। यह एकादशी विशेष रूप से भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी को समर्पित होती है। इस दिन भक्त व्रत रखते हैं और पूरे विधि-विधान से पूजन करते हैं, जिससे उन्हें पापों से मुक्ति और जीवन में सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

 2025 में वरुथिनी एकादशी का विशेष योग

इस बार वरुथिनी एकादशी गुरुवार, 24 अप्रैल 2025 को पड़ रही है। यह दिन और भी खास इसलिए हो जाता है क्योंकि- गुरुवार को भगवान विष्णु की पूजा का दिन माना जाता है। एकादशी व्रत भी भगवान विष्णु को ही समर्पित होता है। जब एकादशी गुरुवार को पड़े, तो इसे 'दोगुना पुण्य' देने वाला संयोग माना जाता है।

ज्योतिषीय महत्व क्या है?

गुरुवार और एकादशी के मिलन से पूजा का धार्मिक और आध्यात्मिक प्रभाव कई गुना बढ़ जाता है। यह संयोग ज्ञान, धर्म, भक्ति और आध्यात्मिक उन्नति का द्वार खोलता है। इस दिन पूजा-पाठ, व्रत और दान से कई जन्मों के पापों का क्षय होता है। गुरु दोष से पीड़ित लोग इस दिन पूजा करके और पीली वस्तुओं का दान करके भाग्य को प्रबल बना सकते हैं।

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क्या दान करें?

इस दिन  पीली वस्तुएं दान करना विशेष लाभकारी माना जाता है-

चने की दाल

आम

केला

हल्दी

सोना (यदि संभव हो)

पीले वस्त्र

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वरुथिनी एकादशी की पूजा विधि

सुबह जल्दी उठें, स्नान करें और पीले वस्त्र पहनें। घर या मंदिर की साफ-सफाई करके भगवान विष्णु की चौकी तैयार करें। भगवान की मूर्ति या तस्वीर को पीले कपड़े पर रखें। पीले चंदन का तिलक लगाएं, तुलसी पत्र, फल, फूल, भोग, धूप-दीप अर्पित करें। वरुथिनी एकादशी व्रत कथा पढ़ें और फिर आरती करें।
दिनभर व्रत रखें, जल और फलाहार पर रहें (यदि संभव हो)।

25 अप्रैल को द्वादशी तिथि पर व्रत का पारण करें

वरुथिनी एकादशी और गुरुवार का यह पावन योग भगवान विष्णु की विशेष कृपा पाने का सुनहरा अवसर है। इस दिन श्रद्धा और नियम से पूजा करने से न केवल आपके कष्ट दूर होते हैं, बल्कि भविष्य उज्जवल और सुखमय बनता है।   

 


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Content Editor

Priya Yadav

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