क्या फाइजर-एस्ट्राजेनेका वैक्सीन नहीं असरदार? 50% तक घट रही एंटीबॉडीज
punjabkesari.in Thursday, Jul 29, 2021 - 10:25 AM (IST)
कोरोना वायरस की तीसरी लहर को रोकने के लिए देश में वैक्सीनेशन प्रोग्राम तेजी से चलाया जा रहा है। भारत में फिलहाल लोगों को कोविशील्ड, कोवैक्सीन और स्पुतनिक लगाई जा रही है। मगर, इसी बीच खबर आई है कि कोरोना वैक्सीन असरदार नहीं है। दरअसल, एक रिसर्च में दावा किया गया है कि फाइजर (Pfizer) और एस्ट्राजेनेका (AstraZeneca) से बनने वाली इम्यूनिटी लंबे समय तक नहीं चलती।
Pfizer और AstraZeneca वैक्सीन की एंटीबॉडीज
रिसर्च में दावा किया गया है कि इन कंपनी की वैक्सीन से बनी एंटीबॉडीज 10 हफ्ते यानि 2 से 3 महीने में 50% कम हो जाती है। शुरूआत में तो इनका असर बहुत ज्यादा रहता है लेकिन फिर धीरे-धीरे कम होने लगता है। फाइजर और एस्ट्राजेनेका वैक्सीन लगवाने वाले शख्स को बाद में बूस्टर शॉट लेना पड़ सकता है।
कितनी कम हो जा रही हैं एंटीबॉडीज?
अध्ययन के दौरान फाइजर वैक्सीन की दूसरी डोज से बनी एंटीबॉडीज 21 से 41 दिनों में औसतन 7506 U/ml पहुंच गई। मगर 70 दिनों बाद एंटीबॉडीज घटकर 3320 U/ml रह गई। जबकि एस्ट्राजेनेका की दूसरी डोज से 0-20 दिनों में 1201U/ml बनी थी जो70 दिनों बाद घटकर 190 U/ml हो गई।
संक्रमण से सुरक्षा देने में कितनी कारगार वैक्सीन?
एस्ट्राजेनेका और फाइजर से बनी एंटीबॉडी का स्तर शुरू में बहुत अधिक था, जो कोरोना से बचाव के लिए काफी असरदार था। हालांकि 2-3 महीने में इनका स्तर कम होता दिखा। ऐसे में आशंका है कि नए वैरिएंट्स के खिलाफ टीकों का असर कम हो सकता है। हालांकि वैज्ञानिक अभी इसपर अध्ययन कर रहे हैं।
सरकार का कोरोना को लेकर क्या कहना?
सरकार का कहना है कि कोरोना की तीसरी लहर को आने से रोका नहीं जा सकता है लेकिन वैक्सीनेशन से इसपर काबू पाया जा सकता है और इसकी गंभीरता को कम किया जाता है। ऐसे में लोगों से वैक्सीन लगवाने की अपील की जा रही है। साथ ही बच्चों की वैक्सीन पर भी तेजी से काम किया जा रहा है।
क्या कोरोना की तीसरी लहर होगी खतरनाक?
एक्सपर्ट की मानें तो कोरोना की दूसरी लहर पहली से 4 गुना ज्यादा खतरनाक थी। ऐसे में आंशका है कि तीसरी लहर भी दूसरी लहर से ज्यादा खतरनाक होगी। चूंकि बच्चों व प्रेग्नेंट महिलाओं को इससे अधिक खतरा है इसलिए उन्हें सावधानी बरतने के लिए कहा जा रहा है।
इन बच्चों को अधिक खतरा
एक्सपर्ट्स के मुताबिक, 18 साल से कम उम्र के बच्चे व नवजात की सुरक्षा पर अधिक ध्यान देने की जरूरत है। इसका एक कारण यह भी है कि उनके लिए अभी तक वैक्सीन नहीं बनाई गई। कोरोना वैक्सीन फिलहाल 18 से ज्यादा उम्र के बच्चों के लिए ही बनी है और उन्ही के हिसाब से टेस्ट की गई है।