इतिहास रच रहीं बेटियां, कश्मीर की आयशा बनी देश की सबसे कम उम्र की महिला पायलट

punjabkesari.in Saturday, Feb 06, 2021 - 02:18 PM (IST)

आज के समय में धीरे-धीरे समाज में महिलाओं की स्थिती सुधर रही है वह अपने काम से और अपनी कला से न सिर्फ परिवार का बल्कि देश का नाम भी रोशन कर रही हैं। एक समय ऐसा था कि लड़कियों को घर से बाहर भी नहीं जाने दिया जाता था लेकिन अब समय बदल गया है अब तो लड़कियां अकेली उड़ान भी भर लेती हैं। हाल ही में भारत के लिए एक और गौरव भरा पल आया। दरअसल कश्मीर की आयशा अजीज भारत की सबसे कम उम्र की महिला पायलट बन चुकी हैं। सोशल मीडिया पर तो वो छा गई हैं तो चलिए आपको बताते हैं कि आखिर कौन है आयशा अजीज। 

कौन है आयशा अजीज?

आयशा अजीज जम्मू कश्मीर की रहने वाली हैं। न्यूज एजेंसी एएनआई के अनुसार आयशा अजीज देश की सबसे कम उम्र की महिला पायलट बन गईं हैं। आज वह देश की तमाम महिलाओं के लिए एक मिसाल हैं। आपको बता दें कि साल 2011 में आयशा ने स्टूडेंट पायलट का लाइसेंस पा लिया था और वह यह लाइसेंस पाने वाली सबसे कम उम्र की छात्रा बनी थीं। मीडिया रिपोर्टस की मानें तो तब  वह महज 15 साल की थी। 

MIG -29 जेट उड़ाने की ट्रेनिंग ली 

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आपको बता दें कि आयशा ने साल 2012 में रूस के सोकोल एयरबेस में MIG -29 जेट उड़ाने के लिए ट्रेनिंग ली और फिर इसके बाद साल 2017 में बॉम्बे फ्लाइंग क्लब में  उन्हें कमर्शियल लाइसेंस मिल गया था। 

कश्मीरी महिलाओं के बारे में यह बोली आयशा 

अपनी इस सफलता पर न्यूज एजेंसी से बात करते हुए आयशा ने कहा कि कश्मीरी महिलाओं ने पिछले कुछ सालों में बहुत प्रगति की है। आयशा ने कहा कि उन्होंने शिक्षा के क्षेत्र में भी अच्छा काम किया है। आयशा ने कहा, ' मेरा ऐसा मानना है कि कश्मीरी महिलाएं विशेषकर शिक्षा के क्षेत्र में अच्छा काम कर रही हैं। हर दूसरी कश्मीरी महिला मास्टर या डॉक्टेरेट की डिग्री हासिल कर रही हैं। घाटी के लोग अच्छा काम कर रहे हैं।'

क्यों चुना पायलट का क्षेत्र?

इस सवाल का जवाब देते हुए आयशा कहती हैं कि , ' मैंने यह क्षेत्र इसलिए चुना क्योंकि मुझे बहुत कम उम्र से ही यात्रा करना बेहद अच्छा लगता था । मुझे बचपन से ही उड़ान भरना रोमांचित लगता था। इस क्षेत्र में बहुत से लोग मिलते हैं इसलिए  वह शुरू से ही पायलट बनना चाहती थीं। हां यह थोड़ा चुनौती भरा तो जरूर है क्योंकि यह 9 से 5 बजे तक की डेस्क जॉब नहीं है। यहां पर कोई पैटर्न नहीं है और नए स्थानों अलग-अलग प्रकार के मौसम का सामना करने और नए लोगों से मिलने के लिए हमें तैयार रहना होगा।'

मानसिक रूप से मजबूत होना जरूरी 

देखा जाए तो पायलट का काम आसान नहीं है। पायलट पर न सिर्फ खुद की बल्कि साथ ही बाकी 200 यात्रियों की भी जिम्मेदारी होती है। ऐसे क्षेत्र में आपके साथ कुछ भी हो सकता है लेकिन इस पर आयशा कहती हैं , ' इस पेशे में आपको मानसिक रूप से स्ट्रांग होना पड़ता है क्योंकि आप पर 200 यात्रियों  एक बड़ी जिम्मेदारी होती है।'

माता-पिता का मिला पूरा सहयोग 

आयशा ने अपनी इस सफलता पर अपने माता-पिता का भी आभार वयक्त किया। आयशा ने कहा , ' मैं खुशनसीब हूं कि मुझे ऐसे माता-पिता मिले जिन्होंने हर चीज में ही मेरा सहयोग किया है। अगर वो नहीं होते तो उनके बिना मैं यह सब हासिल नहीं कर पाती। मैं आज जो भी हूं अपने माता-पिता की वजह से ही हूं। मेरे पिता मेरे सबसे बड़े आदर्श हैं।'

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बता दें कि आयशा को सिंगल इंजन का सेसना 152 और 172 एयरक्राफ्ट उड़ाने का भी अनुभव है साथ ही उन्हें अपनी 200 घंटे की उड़ान पूरा होने के बाद कॉमर्शियल पायलट का लाइसेंस दिया गया है। 

हम भी आयशा के इस जज्बे को सलाम करते हैं। वह आज  देश की बेटियों के लिए किसी मिसाल से कम नहीं है। 
 


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Content Writer

Janvi Bithal

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