पत्नी की गंदी वीडियो देखने की लत से परेशान पति पहुंचा कोर्ट, जज ने कहा-  मर्द भी तो देखते हैं ये सब

punjabkesari.in Friday, Mar 21, 2025 - 02:58 PM (IST)

नारी डेस्क: मद्रास उच्च न्यायालय ने हाल ही में फैसला सुनाया कि पोर्न देखना या हस्तमैथुन करना पति के लिए अपनी पत्नी से तलाक लेने का आधार नहीं हो सकता। कोर्ट का कहना है कि अगर महिला अपने पति को शामिल किए बिना निजी तौर पर ऐसा करती है, तो यह वैवाहिक क्रूरता नहीं मानी जाएगी। हालांकि जज ने यह भी माना कि पोर्न देखने की लत किसी के लिए भी ठीक नहीं है। 


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न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन और आर पूर्णिमा की पीठ ने कहा कि पोर्न देखना, जिसमें महिलाओं को अपमानजनक तरीके से दिखाया गया है और जो नैतिक रूप से उचित नहीं हो सकता है, निजी तौर पर अपराध नहीं है। उन्होंने कहा कि "पोर्न देखने से दर्शक पर लंबे समय में असर पड़ सकता है, केवल निजी तौर पर पोर्न देखना याचिकाकर्ता के लिए क्रूरता नहीं माना जा सकता"। हाईकोर्ट करूर जिले में पारिवारिक अदालत के आदेश को चुनौती देने वाली पति की अपील पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें तलाक की मांग करने वाले उसके आवेदन को खारिज कर दिया गया था। पति ने अपनी पत्नी पर ये आरोप लगाए थे कि वह फिजूलखर्ची थी, पोर्न देखने की आदी थी और अक्सर हस्तमैथुन करती थी। 


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पीठ ने अपने फैसले में कहा- यदि पोर्न देखने वाला व्यक्ति दूसरे पति या पत्नी को अपने साथ शामिल होने के लिए मजबूर करता है, तो यह निश्चित रूप से क्रूरता माना जाएगा। पीठ का कहना है कि नैतिकता और कानून के उल्लंघन के व्यक्तिगत और सामुदायिक मानकों को एक समान नहीं माना जा सकता। पीठ ने यह भी कहा कि किसी महिला से इस तरह के आरोप का जवाब देने के लिए कहना उसकी यौन स्वायत्तता का घोर उल्लंघन होगा। जजने  सवाल उठाया कि एक महिला द्वारा हस्तमैथुन को इतना कलंकित क्यों माना जाता है, जबकि हस्तमैथुन करने वाले पुरुषों के साथ ऐसा कोई कलंक नहीं जुड़ा है।
 


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vasudha

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