ऑटिस्टिक बच्चे को स्कूल भेजने से लगता है डर? इस तरह माता-पिता करें खुद को तैयार

punjabkesari.in Tuesday, Sep 03, 2024 - 05:12 PM (IST)

नारी डेस्क: ‘ऑटिज्म' की समस्या से जूझ रहे बच्चों के लिए  स्कूल जाना जहां नए अवसर लेकर आता है, वहीं नई चिंताएं और चुनौतियां भी लाता है। ‘ऑटिज्म' एक न्यूरोलॉजिकल समस्या है, जो बच्चों के दिमाग में बदलाव के कारण होती है। इससे जूझ रहे बच्चों के दिमाग का विकास दूसरे बच्चों की तुलना में धीमा होता है, जिससे उनके व्यवहार और सोचने- समझने की क्षमता पर असर पड़ने लगता है। 

स्कूली दिनचर्या में ढलना होता है मुश्किल

ऐसे बच्चों के परिवारों को उन्हें स्कूल भेजने पर जो चिंताएं पेश आती हैं, उनमें स्कूल में आवश्यक आवास एवं सहायता सेवाओं की उपलब्धता सुनिश्चित करना, घरेलू दिनचर्या से अलग स्कूली दिनचर्या में ढलने में बच्चों की मदद करना और नए सहपाठियों के साथ उनके घुलने-मिलने के तरीके ढूंढना शामिल है। ऑटिस्टिक बच्चों की संभावित चिंता या भावनात्मक समस्या को दूर करना और बदलावों को स्वीकार करने की योजना बनाना ऐसे कदम हैं जो माता-पिता स्कूली वर्ष की सफल शुरुआत को बढ़ावा देने के लिए उठा सकते हैं। 

दूसरे छात्रों से अलग होते हैं ये बच्चे

स्कूलों के लिए, एक समावेशी वातावरण को बढ़ावा देकर यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि ऑटिज्म से पीड़ित बच्चों समेत सभी बच्चे शैक्षणिक व सामाजिक रूप से आगे बढ़ सकें। ऑटिस्टिक बच्चे दूसरे छात्रों से अलग होते हैं और स्कूल में उनके सामने चुनौतियां पेश आ सकती हैं। इन स्कूल में हो सकता है अलग-अलग तरह के मानसिक विकास वाले बच्चों के लिए अच्छी सुविधाएं न हों। कनाडा में हर 50 में से एक (दो प्रतिशत) बच्चा और युवा ऑटिज्म स्पेक्ट्रम डिसऑर्डर का सामना कर रहा है। एक ओर जहां सभी बच्चे अद्वितीय होते हैं और लोग अपने गुणों व कामकाज के स्तर में अंतर का अनुभव करते हैं, वहीं दूसरी ओर ऑटिस्टिक बच्चों की कुछ खास रुचियां हो सकती हैं, वे एक ही काम को बार-बार करने के आदी हो सकते हैं और रोशनी व ध्वनियों के प्रति अधिक संवेदनशील हो सकते हैं। 

माता-पिता और शिक्षकों को मिलकर करना होगा काम

ऑटिस्टिक बच्चों का स्कूल में अनुपस्थित होना आम बात है। कुछ शोध में ऑटिज्म को कुछ व्यक्तियों में स्वास्थ्य स्थितियों के लिए जिम्मेदार माना गया है, कुछ कारक ऑटिस्टिक बच्चों के लिए विशिष्ट हो सकते हैं। स्कूल के माहौल में सीमित आवास या सेवाएं भी बच्चों की अनुपस्थिति को प्रभावित कर सकती हैं। किशोर ऑटिस्टिक लड़कियों के अनुभवों के बारे में शोध से पता चला है कि कैसे आंतरिक चिंता या स्कूल जाने से बचने की वजह से उनकी उपस्थिति कम रही। शोध से पता चलता है कि जो माता-पिता ऑटिस्टिक बच्चों की सहायता के लिए शिक्षकों के साथ मिलकर काम करते हैं, वे कई सकारात्मक लाभ प्राप्त कर सकते हैं। उदाहरण के लिए, इससे दीर्घकालिक शैक्षणिक परिणामों में उल्लेखनीय सुधार देखा गया है, जो सक्रिय माता-पिता की भागीदारी के स्थायी प्रभाव को उजागर करता है। 

स्कूल निभा सकते हैं महत्वपूर्ण भूमिका

स्कूल के बाहर अपने समुदायों में ऑटिस्टिक बच्चों के लिए सामाजिक समर्थन हासिल करना भी कई मामलों में सकारात्मक प्रभाव डाल सकता है। उदाहरण के लिए, सामुदायिक संगठन ऑटिस्टिक बच्चों और युवाओं के लिए कार्यक्रमों का संचालन करते हैं, जिनमें उन्हें सामाजिक रूप से कुशल बनाने, दैनिक जीवन के कौशल सीखने आदि में मदद मिल सकती है। इस तरह के कार्यक्रम ऑटिस्टिक बच्चों के लिए बेहतर सामाजिक संचार कौशल से जुड़े हैं। कक्षा में साथियों या शिक्षकों के नेतृत्व में इस प्रकार की सहायता रणनीतियां स्कूल में सामाजिक संपर्क को बढ़ावा देने के अवसर प्रदान कर सकती हैं। माता-पिता और स्कूल दोनों ऑटिस्टिक बच्चों की आगे बढ़ने में मदद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। 
 


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Content Writer

vasudha

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