High Cholesterol Diet: ये आहार खाएं और इन्हें कर दें Out, बिना दवाई के मिलेगा आराम
punjabkesari.in Wednesday, Sep 04, 2024 - 06:17 PM (IST)
नारी डेस्कः बड़ी हैल्थ प्रॉबलम्स की बात करें तो कोलेस्ट्रॉल की समस्या भी आम ही सुनने को मिल रही है। बिगड़ा लाइफस्टाइल, खाने-पीने, सोने जैसे डेली रुटीन के खराब होने से ये समस्या होने लगती है। कोलेस्ट्रॉल का बढ़ना, आगे कई बीमारियों की वजह बनता है। शरीर में दो तरह का कोलेस्ट्रॉल होता है जिसे आम भाषा में गुड और बैड कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है। LDL (Low-Density Lipoprotein)को "खराब" कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है और HDL (High-Density Lipoprotein) को "अच्छा" कोलेस्ट्रॉल कहा जाता है। अगर आपका बैड कोलेस्ट्रॉल हाई है तो आपको विशेष रूप में अपने खान-पान का ध्यान रखने की जरूरत है चलिए आपको कोलेस्ट्रॉल की डाइट ही बताते हैं कि आपको हाई कोलेस्ट्रॉल में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं।
हाई कोलेस्ट्रॉल में क्या खाएं?
आपका कोलेस्ट्रॉल बहुत हाई है तो फाइबर फूड जरूर खाएं। फाइबर फूड के लिए दलिया (ओट्स), फलियां (मूंग, मसूर), साबुत अनाज (ब्राउन राइस, बाजरा), ताजे फल (सेब, नाशपाती, बेरीज), हरी पत्तेदार सब्जियां खाए। ग्रीन टी, अनार का जूस, साइट्रस जूस, सोया मिल्क, प्लांट-बेस्ड स्मूदी आदि का सेवन करें।
गुड फैट वाली चीजें अपनी डाइट में लें जैसेः ओमेगा-3 से भरपूर मछली (सैल्मन, ट्यूना) एवोकाडो, बादाम, अखरोट, अलसी के बीज आदि।
लो-फैट डेयरी उत्पाद जैसे बिना फैट वाला दूध, लो-फैट योगर्ट, पनीर कम फैट वाला, ऑलिव ऑयल और बाकी तेल जैसे सरसों का तेल, कनोला तेल, सोया मिल्क और टोफू आदि शामिल करें।
हाई कोलेस्ट्रॉल में क्या ना खाएं?
सैचुरेटेड फैट्स जैसे बटर, घी, फैटी रेड मीट (जैसे बेकन, सॉसेज), हाई फैट डेयरी प्रॉडक्ट्स जैसे फुल-क्रीम दूध और मलाई आदि।
प्रोसेस्ड फूड जैसे कुकीज, केक, पैकेज्ड स्नैक्स। फ्राइड फूड जैसे फ्रेंच फ्राइज़, चिप्स, समोसा, कचौरी, सॉफ्ट ड्रिंक्स, पैकेज्ड जूस। आदि खाने से परहेज करें। ऑर्गन मीट जैसे लीवर, शेलफिश आदि ना खाएं।
ज्यादा चीनी और नमक का सेवन ना करें। इनके साथ-साथ, रेगुलर एक्सरसाइज और वजन कंट्रोल में रख कर भी कोलेस्ट्रॉल कम करने में मदद मिलती है।
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हाई कोलेस्ट्रॉल से होने वाली हैल्थ समस्याएं
एथेरोस्क्लेरोसिस: यह स्थिति तब होती है जब धमनियों में कोलेस्ट्रॉल का जमाव हो जाता है, जिससे रक्त वाहिकाएं संकरी हो जाती हैं। इससे रक्त प्रवाह प्रभावित होता है और दिल की बीमारी का खतरा बढ़ता है।
दिल का दौरा (हार्ट अटैक): अगर किसी धमनी में प्लाक (कोलेस्ट्रॉल और अन्य पदार्थों का जमाव) टूट जाता है और रक्त प्रवाह को अवरुद्ध कर देता है तो दिल के हिस्से को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती, जिससे दिल का दौरा पड़ सकता है।
स्ट्रोक: अगर मस्तिष्क को रक्त सप्लाई करने वाली धमनियों में रक्त प्रवाह रुक जाता है तो मस्तिष्क के कुछ हिस्से को पर्याप्त ऑक्सीजन नहीं मिलती और स्ट्रोक हो सकता है।
परिधीय धमनी रोग (Peripheral Artery Disease): धमनियों के संकुचित होने की वजह से पैरों में सही ढंग से रक्त प्रवाह नहीं हो पाता, जिससे दर्द और अन्य समस्याएं हो सकती हैं।
हाई ब्लड प्रेशर: जब धमनियां संकरी हो जाती हैं तो दिल को रक्त पंप करने के लिए अधिक मेहनत करनी पड़ती है, जिससे उच्च रक्तचाप की समस्या हो सकती है।
गैल्स्टोन्स (पित्त की थैली में पथरी): उच्च कोलेस्ट्रॉल के कारण पित्त की थैली में पथरी बनने की संभावना भी बढ़ जाती है।