Screen Time से रुक रहा बच्चे का मानसिक और शारीरिक विकास, सतर्क रहें पेरेंट्स

punjabkesari.in Wednesday, Aug 23, 2023 - 11:48 AM (IST)

जाने- अनजाने में मां- बाप अपने बच्चों को फोन की लत लगा रहे हैं। अकसर देखा जाता है जब कोई बच्चा रो रहा होता है या किसी चीज की जिद्द कर रहा होता है पेरेंट्स ध्यान भटकाने के लिए उसके हाथ में फोन थमा देते हैं। कुछ देर के लिए बच्चा भले ही शांत हो जाता है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि आगे चलकर यह उसके लिए कितना खतरनाक साबित हो सकता है। ज्यादा स्क्रीन इस्तेमाल करने के चलते  उनकी याददाश्त कमजोर हो सकती है और उन्हें  कई प्रकार की मानसिक विकृतियों का सामना करना पड़ता है। चलिए जानते हैं  स्क्रीन से होने वाले नुक्सान के बारे में 

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बच्चों का रूक सकता है विकास

एक नए अध्ययन में कहा गया है कि अपने बच्चे को खेलने के लिए फोन या टैबलेट देना एक गलत आदत है क्योंकि इससे उनका विकास रूक सकता है।1 साल की उम्र में प्रतिदिन एक से चार घंटे तक स्क्रीन को देखने से  बच्चों की सेल्फ एस्टीम, उनके सोशल इंटरैक्शंस पर इसका असर पड़ सकता है। जर्नल जेएएमए पीडियाट्रिक्स में प्रकाशित अध्ययन में 7,097 से अधिक बच्चों और उनकी माताओं की जांच की गई। 


फोन का बच्चों पर पड़ रहा है गहरा असर

इस दौरान शोधकर्ताओं ने पाया कि 2 साल की उम्र तक, यदि कोई बच्चा प्रतिदिन चार घंटे तक स्क्रीन पर समय बिताता है तो उन्हें संचार और समस्या-समाधान कौशल में विकासात्मक देरी का अनुभव होने की संभावना तीन गुना अधिक थी। जो बच्चे स्क्रीन के साथ चार या अधिक घंटे बिताते हैं, उनमें संचार कौशल अविकसित होने की संभावना 4.78 गुना अधिक थी, ठीक मोटर कौशल कम होने की संभावना 1.74 गुना अधिक थी और 2 साल की उम्र तक अविकसित व्यक्तिगत और सामाजिक कौशल होने की संभावना दो गुना अधिक थी।

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बच्चों पर क्या होता है असर?

बच्चे और बडे़ दोनों के लिए ही जरुरत से ज्यादा फोन का इस्तेमाल खतरनाक होता है, मगर बच्चों का मानसिक स्तर बड़ों के मुकाबले कमजोर होता है या फिर यूं कह लीजिए कि अभी उनका दिमाग इतना विकसित नहीं हुआ होता कि वे मोबाइल फोन में से निकलने वाली वाइबस को झेल सकें। मोबाइल फोन से रेडियो फ्रिक्योएंसी इलेक्ट्रोमैगनेटिक रेडिएशन नाम की वाइबस निकलती है। बच्चों का दिमाग छोटा होने की वजह से यह वाइबस 2 टाइमस ज्यादा उन पर असर करती हैं।

 

बच्चों को घेर रही कई बीमारियां

साइबर मीडिया रिसर्च के एक सर्वे के मुताबिक, हर भारतीय साल के 1800 घंटे मोबाइल को दे रहा है।  बाल रोग विशेषज्ञ के अनुसार मोबाइल के कारण  बच्चों में मोटापा बढ़ने, वजन तेजी से गिरने, कुपोषण, आंखों की कमजोरी जैसी समस्याएं बढ़ती जा रही हैं। खाना खाते हुए फोन देखने और गेम्स खेलने की लत की वजह से स्लीप डिसॉर्डर जैसी कई बीमारियां बच्चों को घेर रही हैं। मोबाइल व अन्य सभी इलैक्ट्रॉनिक उपकरणों से एक ब्लू लाइट निकलती है जो सिर्फ आंखों ही नहीं बल्कि स्किन और हार्मोंनल विकास को भी प्रभावित करती है। 

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Parents इन ट्रिक्स के साथ बदलें बच्चाें की आदत

-कुछ समय निकालकर आप बच्चों के साथ बैठें उन्हें नई-नई चीजें सिखाएं। 

-आप बच्चों को आट एंड क्रॉफ्ट में व्यस्त करके फोन की आदत छुड़वा सकते हैं। 

-बच्चों को उनके मनपसंद किताब दिलवाएं। साथ ही उनसे किताब के बारे में प्रश्न भी जरुर पूछें, इससे उनकी रुचि बढ़ेगी। 

-आप बच्चों को इनडोर या फिर आउटडोर गेम्स खेलने के लिए प्रेरित कर सकते हैं।

-बच्चों को मोबाइल से दूर रखने के लिए घर के कामों में व्यस्त कर सकते हैं। आप उनसे घर के छोटे-छोटे काम करवा सकते हैं। 

-खाते हुए या सोते हुए बच्चे को मोबाइल फोन ना दें बल्कि इस समय उनसे बातचीत करें।  खाना खिलाने या कोई लालच देने के लिए कभी मोबाइल फोन का इस्तेमाल न करें।


 


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Content Writer

vasudha

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