कैसे हुई थी Halloween मनाने की शुरुआत? जानिए इससे जुड़ी कुछ महत्वूपर्ण बातें
punjabkesari.in Thursday, Oct 27, 2022 - 04:55 PM (IST)
भारत में कई त्योहार मनाए जाते हैं। लेकिन एक पश्चिम देश का भी ऐसा त्योहार है जिसे भारत में भी मनाया जाता है। इस त्योहार का नाम है हैलोवीन। हैलोवीन पूरे भारत में 31 अक्टूबर को मनाया जाता है। पूर्वजों की आत्मा की शांति के लिए हर साल इस त्योहार को मनाया जाता है। लेकिन यह त्योहार एक अलग तरीके से मनाया जाता है। हैलोवीन में लोग ऐसे कपड़े और मेकअप करते हैं जिससे की वह डरावने दिख सकें। ईसाई लोग इस त्योहार को धूमधाम से मनाते हैं। सिर्फ ईसाई ही नहीं गैर ईसाई लोग भी इस त्योहार को मनाते हैं।
कैसे हुई मनाने की शुरुआत?
हैलो सेंट्स में इस्तेमाल होने वाला एक बहुत ही पुराना शब्द है। हैलोवीन वाले दिन लोग यहां पर नया साल मनाते थे । लेकिन चौथी सेंचुरी के दौरान शहीदियों की याद में यह दिन पहले मई-जून में मनाया जाता था। लेकिन आठवीं सदी के बाद पॉप क्रगौरी द थर्ड ने इसे 1 नवंबर को मनाने की शुरुआत कर दिया। लोगों ने इस त्योहार को मनाना भी बंद कर दिया था। पंरतु स्कॉटलैंड और आयरलैंड में लोग इस त्योहार को बहुत ही उत्साह और धूमधाम से मनाते हैं। ऐसा माना जाता है कि जब स्प्रिचुअल दुनिया और मानव दुनिया के बीच की दीवार काफी कमजोर पड़ जाती है तो भटकी हुई आत्माएं धरती पर आकर घूमती हैं।
भूतिया पोषाक के साथ मनाया जाता है ये दिन
गैलिक परंपरा का मानने वाले लोग इस दिन को नए साल की शुुरुआत के तौर पर मनाते हैं। हैलोवीन से पहली रात में हैलोवीन डे मनाया जाता है। हैलोवीन डे वाले दिन लोग डरावने तरीके से तैयार होते हैं। मेकअप, कपड़े हर चीज भूतिया पोषाक के ही पहनते हैं। लोगों का मानना है कि इस दिन स्प्रिचुअल दुनिया और मानव दुनिया के बीच की दीवार बहुत ही कमोजर पड़ जाती है जिसकके कारण भटकती हुई आत्माएं धरती पर आकर इंसानों को नुकसान भी पहुंचाती हैं। इसी से बचने के लिए लोग घर में डरावनी शेप में कद्दू काटकर उसके बीच में मोमबत्ती जलाकर रखते हैं। माना जाता है कि इससे घर में बुरी आत्माएं प्रवेश नहीं कर पाती।
हैलोवीन के बाद कद्दू की होती है अनोखी परंपरा
हैलोवीन के दिन कद्दू को अंदर से खोखला करके डरावनी शेप बनाकर अंदर मोमबत्ती जलाई जाती है। यह इसलिए किया जाता है कि अंधेरे में यह भूत की तरह दिख सके। कई देशों में कद्दू को घर के बाहर पेड़ पर भी लटकाया जाता है। त्योहार खत्म होने के बाद कद्दू को मिट्टी में दफनाया जाता है। इसके अलावा हैलोवीन में कद्दू से टेस्टी मिठाई और पकवान भी बनाए जाते हैं।
हैलोवीन पर जलाया जाता है लालटेन
हैलोवीन पर लालटेन जलाना भी एक लोकप्रिय परंपरा मानी जाती है। लालटेन जलाने के पीछे कंजूस जैक और शैतान की आयरिश लोककथा प्रचलित है। आयरलैंड में जन्मे एक कंजूस शराबी जैक ने अपने एक शैतान दोस्त को घर में शराब पीने के लिए बुलाया था। लेकिन वो अपने पैसे नहीं खर्चना चाहता था। उसने अपने दोस्त को शराब के बदले घर में लगा हुआ कद्दू खरीदने के लिए राजी कर लिया। लेकिन बाद में वह अपनी बात से पीछे हट गया। जिसके बाद उसके दोस्त ने गुस्से में पंपकिन की डरावनी लालटने बनाकर अपने घर के बाहर एक पेड़ पर टांग दी। उसने पंपकिन की मुहं की नक्काशी कर दी और जलते हुए कोयले उसमें डाल दिए। इसके बाद बाकी लोगों ने भी सबक के तौर पर जैक-ओ-लालटेन का चलन शुरु कर दिया। यह लालटेन पूर्वजों की आत्माओं को रास्ता दिखाने और बुरी आत्माओं से उनकी रक्षा करने का भी प्रतीक है।