ग्रहण पर डिलीवरी नहीं करवाऊंगी"– महिला की बात पर डॉक्टर ने जो जवाब द‍िया...

punjabkesari.in Sunday, Sep 07, 2025 - 01:21 PM (IST)

नारी डेस्क: 7 सितंबर 2025 को लगने वाला चंद्रग्रहण (Chandra Grahan) सिर्फ एक खगोलीय घटना नहीं है, बल्कि इस दिन को लेकर समाज में कई तरह की धार्मिक और पारंपरिक मान्यताएं जुड़ी होती हैं। खासकर गर्भवती महिलाएं इस दौरान काफी सतर्क रहती हैं। लेकिन हाल ही में एक ऐसी घटना सामने आई जिसने सोशल मीडिया पर लोगों को सोचने पर मजबूर कर दिया।

 गर्भवती महिला ने चंद्रग्रहण के दिन डिलीवरी से मना कर दिया

प्रसिद्ध स्त्री रोग विशेषज्ञ (गाइनेकोलॉजिस्ट) डॉ. शैफाली ने हाल ही में इंस्टाग्राम पर एक वीडियो साझा किया जिसमें उन्होंने बताया कि एक गर्भवती महिला ने 7 सितंबर को डिलीवरी करवाने से इसलिए मना कर दिया, क्योंकि उस दिन चंद्रग्रहण है।

डॉ. शैफाली ने बताया, “मैंने उस महिला से कहा कि तुम्हारी डिलीवरी की डेट 7 सितंबर है, हम तुम्हें एडमिट करेंगे और पेन स्टार्ट किया जाएगा।” इस पर महिला ने जवाब दिया, “नहीं मैम, उस दिन तो चंद्रग्रहण है, उस दिन तो घर से बाहर भी नहीं निकलते।”

 डॉक्टर का जवाब – “इमरजेंसी में ग्रहण नहीं देखा जाता”

डॉ. शैफाली ने बहुत सधी हुई भाषा में महिला को समझाते हुए कहा कि,“देखो, ग्रहण चाहे चंद्र का हो या सूर्य का, लेकिन प्रसव एक प्राकृतिक और इमरजेंसी प्रक्रिया होती है। इसमें समय का इंतजार नहीं किया जा सकता। अगर डिलीवरी का समय है, तो अस्पताल में भर्ती होना जरूरी है।”

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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उन्होंने आगे बताया कि चंद्रग्रहण का सूतक काल 7 सितंबर को दोपहर 12:58 बजे से शुरू होगा, लेकिन इसका यह मतलब नहीं कि आप उस दिन जरूरी इलाज से पीछे हट जाएं।

 “ग्रहण में डिलीवरी से बच्चे की जीभ कट जाएगी?” – यह सिर्फ भ्रम है

डॉ. शैफाली ने उन आम धारणाओं पर भी बात की जो समाज में फैली हुई हैं। उन्होंने कहा कि आज भी बहुत से लोगों को यह लगता है कि ग्रहण के समय अगर गर्भवती महिला नुकीली चीजों का इस्तेमाल करे, कुछ खाए या सो जाए, तो बच्चे को शारीरिक नुकसान हो सकता है – जैसे उसकी जीभ कट जाएगी, या शरीर पर निशान आ जाएगा। लेकिन इसका कोई भी वैज्ञानिक प्रमाण नहीं है।

 “ग्रहण के दिन खा सकती हैं, सो सकती हैं” – डॉक्टर की सलाह

डॉ. शैफाली ने अपनी बात में जोर देकर कहा कि, “गर्भवती महिलाएं ग्रहण के दिन भी आराम से खा सकती हैं, सो सकती हैं और अपनी सामान्य दिनचर्या में रह सकती हैं। इन बातों से शिशु को कोई नुकसान नहीं होता है, बल्कि बेवजह का तनाव ही मां और बच्चे दोनों के लिए हानिकारक हो सकता है।”

"मां और बच्चे की सेहत सबसे पहले"

डॉक्टर ने स्पष्ट किया कि अगर किसी गर्भवती महिला की ड्यू डेट 7 सितंबर है, और उस दिन उसे प्रसव पीड़ा शुरू होती है, तो बिना देरी किए उसे तुरंत अस्पताल जाना चाहिए।
उनका साफ संदेश था – "आपकी और आपके बच्चे की जान सबसे महत्वपूर्ण है, अंधविश्वास से नहीं, समझदारी से काम लें।"

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा किया है कि हम आधुनिक विज्ञान के दौर में भी पुरानी मान्यताओं को कितनी गंभीरता से लेते हैं – भले ही वह हमारी और हमारे बच्चों की सेहत से जुड़ी क्यों न हो। डॉक्टर शैफाली की यह सलाह न केवल वैज्ञानिक आधार पर है, बल्कि यह हर गर्भवती महिला के लिए एक सशक्त और जागरूक करने वाला संदेश भी है।

 डिस्क्लेमर: यह लेख डॉक्टर शैफाली द्वारा इंस्टाग्राम पर शेयर की गई वीडियो के आधार पर तैयार किया गया है। इसमें दी गई जानकारी का स्रोत वही है। एनबीटी या लेखक इसकी स्वतंत्र पुष्टि नहीं करता।
 
 

 

 


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Content Editor

Priya Yadav

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