पहले हाथ-पैर सुन्न होते फिर लकवा, यूरिन पर नहीं रहता कंट्रोल, भारत में GBS Virus के बढ़ते केस
punjabkesari.in Monday, Feb 03, 2025 - 05:32 PM (IST)
नारी डेस्कः सेहत को लेकर भारत के पूणे में एक बड़ी समस्या आन खड़ी हुई है। इस समय पूणे में गुइलेन-बैर सिंड्रोम नाम की बीमारी के केस तेजी से बढ़ रहे हैं लोगों को सतर्क रहने की सलाह दी जा रही है। गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) एक दुर्लभ न्यूरोलॉजिकल विकार है, जिसमें शरीर का इम्यून सिस्टम परिधीय तंत्रिकाओं (Peripheral Nerves) पर हमला करती है। इसके बाद शरीर में सुन्नपन, झुनझुनी और मांसपेशियों में कमजोरी जैसे लक्षण सामने आते हैं। पूणे में लगातार GBS के मामलों में वृद्धि देखी गई है, जिसे अब तक संभवतः दूषित जल स्रोतों से जोड़ा जा रहा है इसलिए GBS के खतरे को कम करने के लिए साफ-सफाई का ख्याल रखना बहुत जरूरी है। हाइजीन रहे, लगातार हाथ धोए और साफ पानी का सेवन करें।
पुणे में GBS के मामलों में वृद्धि
ABPLIVE.COM के मुताबिक, हाल ही में, पुणे में GBS के मामलों में वृद्धि देखी गई है नए मामलों के साथ, कुल संख्या 101 बताई जा रही है, जिसमें 19 बच्चे शामिल हैं। मामले तेजी से बढ़ रहे हैं लेकिन इसका इलाज संभव है।
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पुणे में डॉक्टरों ने साझा किया अपडेट
वही नवभारत टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक, महाराष्ट्र में गुलियन-बैरी सिंड्रोम से मरना वालों की संख्या पांच हो गई है। महाराष्ट्र में गुलियन-बैरी सिंड्रोम (GBS) इससे पहले चार लोगों की मौत हो चुकी है। पांचवी मौत पुणे में हुई है। महाराष्ट्र में गुलियन-बैरी सिंड्रोम पुणे में अधिक खौफ देखने को मिल रहा है। सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को अलर्ट पर किया हुआ है। पुणे में व्यक्ति की मौत का कारण सांस लेने में तकलीफ थी। ऑटोनोमिक डिसफंक्शन, क्वाड्रिप्लेजिया और हाई ब्लड प्रेशर की शिकायत सामने आई थी। ससून अस्पताल के एक अधिकारी के मुताबिक, मरीज खडकवासला का रहने वाला था, जो नांदेड़ गांव के उन इलाकों में से एक है जहां कई जीबीएस के मामले सामने आए हैं। अस्पताल में आने से मरीज को 7 दिनों तक दस्त लगे थे। अस्पताल में भर्ती होते समय मरीज की हालत गंभीर थी और उसे क्वाड्रिप्लेजिया (हाथ-पैरों का लकवा) हो गया था और वह पहले छोटे अस्पतालों में इलाज करवा रहा था।
डॉ. रोहिणी सोमनाथ पाटिल (Dr Rohini Somnath Patil) ने एक्स अकाउंट पर गुइलेन बैर सिंड्रोम से जुड़ी जानकारी शेयर की है। चलिए, आपको गुइलेन बैर सिंड्रोम होने के कारण, बचाव और कुछ शुरुआती लक्षण बताते हैं।
Guillain-Barré Syndrome (GBS) is a rare neurological disorder where the body’s immune system attacks the peripheral nerves, leading to symptoms like numbness, tingling, and muscle weakness. In Pune, there has been a recent increase in GBS cases, potentially linked to… pic.twitter.com/2VRIko0ZmW
— Dr Rohini Somnath Patil (@drrohinispatil) February 2, 2025
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम GBS के कारण
WHO.INT के मुताबिक, यह सबसे बड़ा सवाल यह है कि यह बीमारी होने के कारण क्या है हालांकि इस विकार का सटीक कारण पूरी तरह से समझा नहीं गया है लेकिन अधिकांश मामलों में इसे वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण के बाद विकसित माना जा रहा है। विशेष रूप से, कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी (Campylobacter jejuni) नामक बैक्टीरिया से संक्रमण GBS के लिए एक सामान्य जोखिम कारक है। GBS आमतौर पर किसी संक्रमण के कारण ट्रिगर होता है, जिनमें शामिल हैं:
कैम्पिलोबैक्टर जेजुनी (Campylobacter jejuni)
मायकोप्लाज्मा न्यूमोनिया (Mycoplasma pneumoniae)
साइटोमेगालोवायरस (Cytomegalovirus)
हाल ही में की गई सर्जरी
लिम्फोमा (Lymphoma)
सिस्टेमिक ल्यूपस एरिथेमेटोसस (Systemic Lupus Erythematosus - SLE)
इसी के साथ कुछ वायरल और बैक्टीरियल इंफेक्शन
गंदा पानी और भोजन।
ग्रेस्ट्रिक इश्यूज और इम्यून सिस्टम से संबंधित रोग।
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम GBS के लक्षण
मांसपेशियों में कमजोरी जो तेजी से बढ़ती है। इसमें दर्द आमतौर पर पैरों से शुरू होकर शरीर के ऊपरी हिस्से तक फैलती है। टांगों में दर्द होना।
हाथ-पैरों में दर्द और कमजोरी। पैरों या पीठ में तेज, चुभने वाला दर्द, खासकर रात में।
हाथ-पैरों में सुन्नता या झुनझुनी या असाधारण सी झुनझुनी होना।
बोलने, चबाने या निगलने में परेशानी।
कुछ गंभीर मामलों में सांस लेने में कठिनाई और चलने या सीढ़ी चढ़ने में कठिनाई।
सांस फूलना, सांस रोकने में कठिनाई या लार निगलने में परेशानी।
डबल विजन या आंखों की मांसपेशियों में कमजोरी।
चेहरे की मांसपेशियों का ढीला पड़ना, मुस्कुराने, चबाने, बोलने या निगलने में परेशानी।
ब्लड प्रैशर बढ़ना कम होना और असामान्य हृदय गति।
पाचन में गड़बड़ी या यूरिन पर कंट्रोल रखने में दिक्कत।
लकवा की परेशानी और स्मरण शक्ति की कमजोरी, कुछ सोचने समझने में दिक्कत हो सकती है।
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गुइलेन-बैरे सिंड्रोम से बचाव
अगर इस सिंड्रोम से जुड़ा आपको कोई भी लक्षण दिखे तो बिना देरी किए चिकित्सक सहायता लें।
पानी पीने से पहले उबालें।
सब्जियों और फलों को इस्तेमाल करने से पहले अच्छे से धोएं।
तनाव से उभरने के लिए नियमित फिजियोथेरेपी करवाई जा सकती
तनाव कम लें और पर्याप्त नींद व आराम करें।
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) कितने लोगों को होता है?
CDC के अनुसार, हर साल औसतन 3,000 से 6,000 अमेरिकी, गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से प्रभावित होते हैं। यह किसी को भी हो सकता है, लेकिन ज्यादातर मामले बुजुर्गों और पुरुषों में देखे जाते हैं। कुछ मामलों में इसके लक्षण हल्के होते हैं जबकि कुछ मरीज पूरी तरह से लकवाग्रस्त हो सकते हैं और उन्हें सांस लेने के लिए वेंटिलेटर की जरूरत पड़ सकती है।
क्या गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से ज्यादातर लोग ठीक हो जाते हैं?
जी हां, सही उपचार मिलने पर ज्यादातर लोग गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (GBS) से पूरी तरह ठीक हो जाते हैं हालांकि, कुछ लोगों को कमजोरी, झुनझुनाहट या थकान जैसी समस्याएं बनी रह सकती हैं और कुछ मामलों में, GBS से स्थायी न्यूरोलॉजिकल क्षति हो सकती है, जिसमें कार्य करने की क्षमता का स्थायी नुकसान या लकवा (paralysis) भी शामिल हो सकता है।
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम GBS का उपचार (Treatment)
HINDI.DOWNTOEARTH.ORG.IN के मुताबिक, GBS का कोई सटीक उपचार नहीं है लेकिन प्लाज्माफेरेसिस और इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी (IVIG) जैसे उपचार इसके लक्षणों की प्रगति को धीमा करने में मदद कर सकते हैं। अधिकांश मरीज समय के साथ पूरी तरह से ठीक हो जाते हैं हालांकि कुछ में कमजोरी बनी रह सकती है।
इंट्रावीनस इम्युनोग्लोबुलिन थेरेपी (IV Immunoglobulin Therapy): यह थेरेपी शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को नियंत्रित करने के लिए दी जाती है।
प्लाज्मा एक्सचेंज (Plasma Exchange - Plasmapheresis): इस प्रक्रिया में खून से हानिकारक एंटीबॉडी को हटाए जाते हैं।
फिजिकल थेरेपी (Physical Therapy): ताकत और गतिशीलता (movement) को फिर से पाने के लिए फिजिकल थेरेपी की मदद ली जाती है।
रिकवरी की गति (Recovery Speed): रिकवरी की गति मरीज की स्थिति पर ही निर्भर करती है। अगर लक्षण बहुत तेजी से विकसित होते हैं तो रिकवरी स्लो होती है और इसमें एक साल या उससे अधिक का समय भी लग सकता है। यदि लक्षण धीरे-धीरे विकसित होते हैं तो रिकवरी आमतौर पर तेज होती है।
"यह एक जटिल विकार है, जिसके इलाज के लिए अलग सोच, विशेषज्ञ डॉक्टरों की राय और व्यापक चिकित्सा संसाधनों की जरूरत होती है।" -डॉ. फोर्ड वॉक्स, पुनर्वास विशेषज्ञ, शेफर्ड सेंटर (Ford Vox, M.D., rehabilitation physician at Shepherd Center)
गंभीर मामलों में, त्वरित और विशेष अस्पताल में गहन उपचार और बाह्य रोगी पुनर्वास देखभाल (rehabilitative care) बेहद जरूरी होती है।
डिस्कलैमरः हालांकि GBS को पूरी तरह से रोकने का कोई ज्ञात तरीका अभी सामने नहीं आया है लेकिन संक्रमण के जोखिम को कम करने के लिए स्वच्छता पर ध्यान देना जरूरी है। नियमित रूप से हाथ धोना और सुरक्षित, स्वच्छ पानी का सेवन करना शामिल है यदि आप उपरोक्त लक्षणों का अनुभव करते हैं तो तुरंत चिकित्सा सलाह लें।