गर्भ में बच्चा, हाथ में बंदूक और सामने दुश्मन... देश के लिए जंग लड़ती रही ये बहादुर महिला सैनिक
punjabkesari.in Sunday, May 11, 2025 - 04:02 PM (IST)

नारी डेस्क: जब बात देश की सुरक्षा की आती है, तो भारतीय सैनिक हर मोर्चे पर डटकर मुकाबला करते हैं – चाहे हालात कितने भी मुश्किल क्यों न हों। ऐसा ही कुछ देखने को मिला था कारगिल युद्ध के दौरान, जब कैप्टन यशिका त्यागी, एक गर्भवती महिला सैनिक, न सिर्फ जंग के मैदान में डटी रहीं, बल्कि मातृत्व और देशभक्ति दोनों की अनोखी मिसाल बन गईं।
भारत का कड़ा रुख और 'ऑपरेशन सिंदूर'
हाल ही में 'ऑपरेशन सिंदूर' के जरिए भारत ने फिर से दुनिया को दिखा दिया कि वह अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जा सकता है। भारतीय वायुसेना की कार्रवाई ने साफ कर दिया कि अगर जरूरत पड़ी तो भारत अपने दुश्मनों के इरादों को पूरी तरह से नाकाम कर सकता है। भारत और पाकिस्तान के बीच अब तक चार युद्ध हो चुके हैं, और हर बार भारत ने साहस और रणनीति से जीत दर्ज की है। खासकर कारगिल युद्ध तो भारतीय सेना के शौर्य की पहचान बन गया है।
कैप्टन यशिका त्यागी: एक मां और एक योद्धा
कैप्टन यशिका त्यागी की कहानी कारगिल युद्ध के उन्हीं अनसुने और प्रेरणादायक पलों में से एक है। उन्होंने एक इंटरव्यू में बताया कि जब युद्ध चल रहा था, उस समय वह गर्भावस्था के दूसरे ट्राइमेस्टर में थीं। उनके साथ उनका दो साल का बेटा भी था। उन्होंने अपने कमांडिंग ऑफिसर से अनुमति ली कि वह बच्चे को साथ रख सकें, और उसके बाद हाथ में कार्बाइन (एक तरह की बंदूक) लेकर डट गईं मोर्चे पर।
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“हम ताबूत पहले नहीं बनाते... ज़रूरत पड़ी तो बना लेंगे”
कैप्टन यशिका ने बताया कि उस दौरान हालात इतने गंभीर हो गए थे कि सेना को पहले से 50 ताबूत तैयार रखने का आदेश मिला। लेकिन जवानों ने यह कहकर मना कर दिया कि, "हम अपने साथियों के लिए पहले से ताबूत नहीं बनवाएंगे। जरूरत पड़ी तो आधे घंटे में बना देंगे, लेकिन अभी नहीं।" यह सुनकर किसी का भी दिल गर्व और भावनाओं से भर सकता है।
सिर्फ सैनिक नहीं, प्रेरणा हैं यशिका
यशिका त्यागी सिर्फ एक सैनिक नहीं हैं, वो एक मां, एक देशभक्त, और उन तमाम महिलाओं की प्रेरणा हैं जो सोचती हैं कि वे क्या नहीं कर सकतीं। उनकी कहानी यह साबित करती है कि मातृत्व और वीरता एक साथ चल सकते हैं।
भारत की सेना – शक्ति, साहस और समर्पण की मिसाल
आज भारत विश्व की चौथी सबसे बड़ी सैन्य ताकत है। कारगिल से लेकर 'ऑपरेशन सिंदूर' तक, भारतीय सेना ने हर बार यह साबित किया है कि उसके पास न केवल हथियार हैं, बल्कि हौसला, जज़्बा और देश के लिए जी-जान लुटा देने का जुनून भी है।