सिर्फ चेन्नई ही नहीं ये शहर भी डूब सकते हैं 3 फीट पानी में, देखें कहां ज्यादा खतरा

punjabkesari.in Thursday, Dec 07, 2023 - 11:33 AM (IST)

चेन्नई में आई बाढ़ ने एक बार फिर से जलवायु परिवर्तन से होने वाली आपदाओं के प्रति भारतीय शहरों की संवेदनशीलता को उजागर कर दिया है। 4 दिसंबर 2023 तक 48 घंटों के अंदर 40 सेमी से ज्यादा बारिश के कारण चेन्नई में बाढ़ आ गई है। चेन्नई के हालात शहरी भारत के सामने बढ़ते जलवायु संकट की ओर इशारा कर रहे हैं। चक्रवात मिचौंग ने एक दर्जन से ज्यादा लोगों की जान ले ली है और आंध्र प्रदेश और तमिलनाडु में विनाश के दर्दनाक निशान छोड़े हैं। जलमग्न आवासीय इमारतों और सड़कों पर पानी के बहाव में बह गई कारों की डराने वाली तस्वीरें भी सामने आई हैं। 

चक्रवात के कारण हुआ भारी नुकसान 

ताजा बाढ़ और भारी जानमाल के नुकसान का कारण एक चक्रवात भी थी लेकिन ये तबाही के पैमाने का एकमात्र कारण नहीं है आपको बता दें कि ये पहली बार नहीं हुआ है जब चेन्नई में बाढ़ आई है। पूर्वोत्तर मानसून से भारी बारिश के कारण 2015 में शहर एक ऐतिहासिक बाढ़ में डूब गया था। यह घटना एक चेतावनी थी हालांकि जो इस समय चेन्नई में हो रहा है उससे अन्य भारतीय शहरों के लिए भी संकेत मिलता है। उदाहरण के लिए कोलकाता और मुंबई को समुद्र के स्तर में वृद्धि, चक्रवातों और नदी में बाढ़ से महत्वपूर्ण खतरों का सामना करना पड़ रहा है। घनी आबादी वाले ये महानगर पहले ही जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को देख रहे हैं जिसमें बारिश और बाढ़ की तीव्रता में वृद्धि के साथ-साथ सूखे का खतरा भी बढ़ गया है। 

PunjabKesari

तटीय शहरों के लिए गंभीर खतरा 

इंडिया टुडे की रिपोर्ट की मानें तो पॉट्सडैम इंस्टीट्यूट पॉर क्लाइमेट इम्पैक्ट रिसर्च एंड क्लाइमेट एनालिटिक्स की रिसर्च में चेतावनी दी गई है कि भारत भूमध्य रेखा के पास होने के कारण उच्च अक्षांशों की तुलना में समुद्र के स्तर में ज्यादा वृद्धि का अनुभव करेगा। यह खारे पानी की घुसपैठ के माध्यम से जरिए तटीय शहरों के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करता है जिससे कृषि प्रभावित होती है भूजल की गुणवत्ता में गिरावट आती है और संभावित रुप से जलजनित बीमारियों में बढ़ोतरी होती है। 

समुद्र का बढ़ता स्तर है खतरनाक 

2021 में इंटरगवर्नमेंटल पैनल ऑन क्लाइमेट चेंज(आईपीसीसी) की एक रिपोर्ट में भारत के लिए गंभीर चेतावनी थी। इसमें कहा गया है कि सबसे खतरनाक जोखिम कारक समुद्र का बढ़ता स्तर है जिससे सदी के अंत तक देश के 12 शहरों के जलमग्न होने का खतरा है। आईपीसी की रिपोर्ट में चेतावनी दी गई है कि मुंबई, चैन्नई, कोच्चि और विशाखापत्तनम सहित एक दर्जन भारतीय शहर सदी के अंत तक लगभग तीन फीट पानी में डूब सकते हैं और यह जोखिम सिर्फ सैद्धांतिक नहीं है। 70 लाख से ज्यादा तटीय खेती और मछली पकड़ने वाले परिवार पहले से ही प्रभाव महसूस कर रहे हैं। अनुमान है कि बढ़ते समुद्र के कारण तटीय कटाव से 2050 तक लगभग 15,00 वर्ग किलोमीटर भूमि नषट हो जाएगी। यह कटाव मूल्यवान कृषि क्षेत्रों को नष्ट कर देता है और तटीय समुदायों के अस्तित्व को खतरे में डाल देता है।

PunjabKesari

हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड में भी खतरा 

जलवायु परिवर्तन के कारण बाढ़ आने का खतरा सिर्फ तटीय शहरों के लिए नहीं है। देश के अंदर भी कहानी अलग नहीं है। बिहार हिमाचल प्रदेश और उत्तराखंड के शहर मॉनसून के कारण आई बाढ़ और भूस्खलन से पीड़ित हुए हैं। इस साल की शुरुआत में दिल्ली में भी भारी बाढ़ आई थी। जुलाई में यमुना में पानी 208.48 मीटर तक बढ़ गया है और रिवर बैकों के पास दिल्ली के निचले इलाकों में पानी भर गया और आस-पास की सड़कों और सार्वजनिक और निजी बुनियादी ढांचे में पानी भर गया है। यमुना ने 1978 का अपना पिछला रिकॉर्ड तोड़ दिया है।

PunjabKesari
 


सबसे ज्यादा पढ़े गए

Content Writer

palak

Related News

static