दुबई की राजकुमारी ने इंस्टा पर दिया पति को डिवोर्स, क्या UAE में महिलाओं को है तलाक लेने का हक?
punjabkesari.in Saturday, Jul 20, 2024 - 02:00 PM (IST)
दुबई की प्रिंसेस और प्रधानमंत्री मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम की बेटी शेख माहरा के चर्चे इस समय पूरी दुनिया में चल रहे हैं। चर्चा की वजह है तीन तलाक जो इस बार पुरुष नहीं बल्कि महिला ने दिया है। शेख माहरा ने सोशल मीडिया पर अपने पति को तलाक देकर इतिहास ही बदल कर रख दिया। हालांकि उनके इस फैसले पर सवाल भी उठ रहे हैं। तो चलिए जानते हैं इस मामले के बारे में विस्तार से।
राजकुमारी शेखा महरा दुबई के शासक शेख मोहम्मद बिन राशिद अल मकतूम की बेटी हैं, जो संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के उपराष्ट्रपति और प्रधानमंत्री भी हैं। शेख माहरा और शेख माना बिन मोहम्मद बिन राशिद बिन माना अल मकतूम ने पिछले साल शाही शादी की थी। शादी के 5 महीने बाद ही प्रिंसेस ने अपनी प्रेग्नेंसी का ऐलान कर दिया था। इसी साल मई में उनके घर बेटी का जन्म हुआ।
ऐसे में लाेगों को यही लग रहा था कि उनकी जिंदगी मे सब कुछ बुहत अच्छा चला रहा है, लेकिन असलियत तो तब सामने आई जब राजकुमार ने इंस्टाग्राम पर अपने पति को तलाक दे दिया। उन्होंने अपने पोस्ट में लिखा- प्यारे पति, जैसा कि आप दूसरे लोगों के साथ बिजी होंगे. इसी बीच मैं हमारे तलाक का ऐलान करती हूं, ध्यान रखना. आपकी एक्स वाइफ। इसके बाद दोनों ने एक-दूसरे को इंस्टाग्राम से अनफॉलो कर दिया।
कुछ लोगों ने अनुमान लगाया कि इस जोड़े ने एक-दूसरे को ब्लॉक कर दिया है. वहीं कुछ लोगों को लगा कि शायद शेख माहरा का अकाउंट हैक हो गया है। बता दें कि शेखा माहरा अपने सोशल वर्क के लिए जानी जाती हैं. शेख माहरा महिलाओं के अधिकारों के लिए अक्सर आवाज उठाती हैं। अपनी खूबसूरती के चलते वह दुनिया भर में बेहद फेमस है उन्हें इंस्टाग्राम पर 547K लोग फॉलो करते हैं। अब इस पोस्ट के बाद सवाल यह उठ रहा है कि तीन तलाक क्या अरब वर्ल्ड में स्वीकार्य है और क्या महिलाएं दे सकती हैं।
क्या है इंस्टेंट डिवोर्स
इंस्टेंट डिवोर्स, जिसे "तलाक-ए-बिद्दत" भी कहा जाता है, एक इस्लामिक प्रथा है जिसमें पति अपनी पत्नी को तुरंत और एकतरफा रूप से तलाक दे सकता है। यह तीन बार "तलाक" शब्द कहकर किया जाता है। इस प्रथा को कई इस्लामिक देशों में अवैध घोषित कर दिया गया है क्योंकि इसे महिलाओं के अधिकारों के खिलाफ माना जाता है। हालांकि महिलाएं अपनी तरफ से तलाक नहीं ले सकती हैं। अगर वह खुद से अलग होना चाहती हैं तो इसे खुला कहा जाता है, जिसमें महिलाएं अलग होने की पहल करती हैं।
दुबई में तलाक के नियम
दुबई में तलाक के नियम संयुक्त अरब अमीरात (UAE) के संघीय कानून के तहत आते हैं। यहां के तलाक के नियम इस प्रकार हैं:
तलाक का आधार
दुबई में तलाक के लिए कई आधार हो सकते हैं, जैसे कि पति-पत्नी के बीच असंगति, घरेलू हिंसा, निःसंतानता, मानसिक और शारीरिक स्वास्थ्य के मुद्दे। तलाक के लिए पहले एक सुलह कमेटी (conciliation committee) के सामने जाना होता है। यह कमेटी पति-पत्नी को सुलह करने का एक और मौका देती है। यदि सुलह नहीं हो पाती है, तो मामला अदालत में जाता है। अदालत में पति या पत्नी को तलाक के लिए आवश्यक दस्तावेज़ प्रस्तुत करने होते हैं और गवाही देनी होती है।
शरिया कानून और सिविल कानून
दुबई में मुस्लिम जोड़ों के तलाक के मामले शरिया कानून के तहत निपटाए जाते हैं, जबकि गैर-मुस्लिम जोड़ों के मामले सिविल कानून के तहत। तलाक के बाद महिलाओं को "मेहर" (महर) और "इद्दत" की अवधि (तीन महीने का समय, जिसमें महिला दोबारा शादी नहीं कर सकती) का अधिकार होता है। बच्चों की कस्टडी और भरण-पोषण (maintenance) के मामलों को भी अदालत द्वारा तय किया जाता है।तलाक के बाद पति और पत्नी के बीच प्रॉपर्टी और वित्तीय समझौता किया जाता है, जिसमें अदालत हस्तक्षेप कर सकती है।
दुबई में तलाक के लिए आवेदन कैसे करें: