क्या सच में सांवली स्किन को गोरा करती है फेयरनेस क्रीम? जानिए सच
punjabkesari.in Thursday, Jul 25, 2019 - 12:01 PM (IST)

यह कहना गलत नहीं होगा कि दुनियाभर में गोरेपन को लेकर जबरदस्त दीवानगी है। दाग-धब्बे, काली झाइयां, सांवली रंगत और चेहरे से जुड़ी अन्य समस्याओं के लिए महिलाएं मार्कीट में मिलने वाली क्रीमों का ही सहारा लेती हैं। मगर क्या आपने कभी सोचा है कि क्या यह क्रीम सचमुच में गोरा करती भी है या नहीं।
क्रीम के फायदे या नुकसान जानने से पहले जानते है कि गोरापन क्या है। ब्रिटिश शासन से पहले भारत में सांवले रंग को खूबसूरती की पैमाना माना जाता था लेकिन उनके शासन के बाद लोगों की सोच बदल गई। जेनेटिक लीनिएज यानि पूर्वजों की त्वचा का रंग ही आगामी पीढ़ी की त्वचा का रंग तय करता है।
गोरापन है क्या?
त्वचा के सबसे ऊपरी हिस्से में मेलानोसोम्स कितने बड़े, और किस तरह बंटे हैं, यह सब जेनेटकली ही तय होता है। यह असल में एक बारीक थैली होती है, जिसमें मेलानिन या पिगमेंट भरे होते हैं, जो त्वचा के रंग पर भी असर डालते हैं। विशेषज्ञों के मुताबिक, जितना कम मेलानिन त्वचा उतनी गोरी होगी लेकिन यह सब पेरेंट्स के जींस पर निर्भर करता है।
क्या वाकई गोरा करती हैं क्रीम
विशेषज्ञों का मानें तो त्वचा की रंगत में महज 20% ही बदलाव हो सकता है, इससे ज्यादा नहीं। गोरा करने वाली क्रीम्स मेलानिन के स्तर को कम तो कर देते हैं लेकिन यह उसे नुकसान भी पहुंचाते हैं। वहीं क्रीम में मौजूद बाकी कारक अल्ट्रा वायलेट किरणों से स्किन का बचाव करते हैं लेकिन जरूरी नहीं कि हर क्रीम फायदेमंद हो।
दरअसल, कुछ क्रीम्स में स्टेरॉइड्स नामक तत्व का स्तर अधिक होता है, जिसके कारण डीपिगमेंटेशन होता है। हालांकि इसके कारण रंग कम होना एक साइड-इफैक्ट्स है लेकिन इन्हें फेयरनेस क्रीम के तौर पर यूज किया जाता है। त्वचा में मौजूद पिगमेंट कम ज्यादा हो सकते हैं लेकिन उनका बेस नहीं बदल सकता। इसके कारण शुरूआत में तो चेहरा गोरा लगता है लेकिन त्वचा का स्वाभाविक रंग नहीं बदलता।
क्रीम्स में होता है हानिकारक तत्व
शोध के मुताबिक, भारत में इस्तेमाल होने वाली कई फेयरनेस क्रीम्स में मरक्यूरी यानि पारा 44% तक होता है। हालांकि इनके पैकेट पर इस बात का कोई जिक्र नहीं होता क्योंकि कॉस्मेटिक एंड ड्रग अधिनियम में पारा को निषिद्ध घोषित किया गया है।
धूप में क्या करती हैं फेयरनेस क्रीम
यह बिल्कुल सच है कि फेयरनेस क्रीम धूप से त्वचा का बचाव करती हैं, जिससे मेलानिन का स्तर कम हो जाता है लेकिन इससे त्वचा की रंगत कम काली होती है। मगर कोई भी क्रीम त्वचा की रंगत को बदल नहीं सकती, फिर चाहे वो कितनी भी महंगी क्यों ना हो।
क्या होते हैं नुकसान?
कुछ महिलाएं इन क्रीम्स की आदि हो जाती है लेकिन बता दें कि इससे त्वचा में ड्राईनेस आ जाती है, जिससे त्वचा खिंची-खिंची लगने लगती हैं। कई बार तो इसके कारण त्वचा की परत पतली हो जाती है और उनमें से खून की नाड़ियां भी नजर आने लगती है।
फेयरनेस क्रीम के साइड इफेक्ट्स-
-स्किन डैमेज होने का खतरा
-चेहरे की स्किन का पतला होना
-चहरे पर बालों का उगना
-स्ट्रेनिंग की समस्या होना
-इम्यून सिस्टम कमजोर होना
-चेहरा लाल पड़ने लगता है, जिसे रोशिया कहते हैं
फ्रेयनेस क्रीम नहीं, घरेलू नुस्खे आएंगे काम
धूप की वजह से काली होती स्किन को बचाने के लिए आप सनस्क्रीन लोशन या मॉइश्चराइजर का इस्तेमाल कर सकती हैं। इसके अलावा आप नारियल तेल, एलोवेरा या ऑलिव ऑयल को लोशन की तरह यूज कर सकी हैं। कोई भी क्रीम इस्तेमाल से पहले डॉक्टर से सलाह लें।