दिलजीत दोसांझ के स्टाइल की मुरीद हुई दुनिया, मिला भारत के सबसे फैशनेबल मुंडे का टैग

punjabkesari.in Thursday, Jun 20, 2024 - 07:43 AM (IST)

दिलजीत दोसांझ की उपलब्धियां दिन-ब-दिन बढ़ती जा रही हैं।  ऐसा कुछ भी नहीं है जो उन्होंने न किया हो। उनकी सबसे हालिया उपलब्धि वोग पेरिस से मिली है, जिसने दिलजीत को आधिकारिक तौर पर ‘भारत का सबसे फैशनेबल आदमी’ घोषित कर दिया है। गायक से अभिनेता बने दिलजीत ने अपने तरीके से फैशन इंडस्ट्री पर भी कब्ज़ा कर रखा है। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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हालांकि दिलजीत को फैशन स्टाइलिस्ट रखना पसंद नहीं है, इसके बावजूद उनका फैशन कमाल का है।  अप्रैल में मुंबई में मंच पर दिलजीत दोसांझ ने कहा था-  " पंजाबी फैशन नहीं कर सकते और मैंने कहा, मैं आपको दिखाऊंगा।"वोग ने इस तथ्य पर प्रकाश डाला कि अपने वैश्विक स्टारडम के बावजूद, दिलजीत के पास कोई स्टाइलिस्ट नहीं है। वास्तव में वह खुद के प्रति अपनी संस्कृति और अपनी शैली के प्रति सच्चे रहते हैं जो उन्हें इस नए युग के संगीत उद्योग में एक अलग पहचान देता है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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अमेरिका के सबसे पॉपुलर टॉक शो 'द टुनाइट शो विद जिमी फॉलन' का हिस्सा बनने वाले पहले पंजाबी सिंगर बनने के दौरान दिलजीत ने एक और इतिहास रच दिया। वह पंजाबी मुंडे बनकर  स्टेज पर पहुंचे, जहां उनका स्टाइलिश अवतार बेहद कमाल का लग रहा था। वाइट कुर्ते के साथ, पंजाबी स्टाइल लुंगी और  सिर पर बांधी पग उनको लुक को चार चांद लगा रही थी। 

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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इस खास इवेंट के लिए सिंगर ने हीरों से जड़ी घड़ी चुनी। इस Audemars Piguet की Royal Oak Selfwinding वॉच का 18 कैरेट रोज गोल्ड लिंक वाला ब्रेसलेट स्टेनलेस स्टील से बना है। साथ ही 18 कैरेट रोज गोल्ड को सिल्वर डायल के पास लगाया है।इसकी कीमत 1.2 करोड़ रुपये बताई जा रही है।  शो से तस्वीरें सामने आने के बाद से ही इस पंजाबी मुंडे का अंदाज और स्टाइल दुनियाभर में छा गया है।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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इससे पहले भी दिलजीत इस तरह का इतिहास रच चुके हैं। वह प्रतिष्ठित संगीत समारोह कोचेला में प्रस्तुति देने वाले पहले पंजाबी कलाकार हैं। अपना कार्यक्रम शुरू करने से पहले उन्होंने विनम्रतापूर्वक भीड़ को संबोधित करते हुए कहा था-"सत श्री अकाल जी।" उन्होंने एक साधारण काले रंग का कुर्ता, तांबा और पगड़ी पहनकर मंच संभाला था। यह इस बात का प्रमाण था कि वह अपनी संस्कृति का कितना सम्मान करते हैं और उसे कितना महत्व देते हैं। दोसांझ अपनी जड़ों से दूर नहीं जाते, चाहे उनकी सफलता उन्हें कहीं भी ले जाए।
 


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Content Writer

vasudha

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