पुरुषों से ज्यादा महिलाएं रहती हैं Diabetes से परेशान, दोनों पर अलग- अलग तरीके से होता है अटैक
punjabkesari.in Monday, Aug 25, 2025 - 02:23 PM (IST)

हाल ही में हुई एक स्टडी में पाया गया है कि डायबिटीज़ (Type 1 और Type 2) दोनों ही हृदय रोग और मृत्यु के जोखिम को बढ़ाते हैं लेकिन इनका असर पुरुषों और महिलाओं पर अलग-अलग तरीके से पड़ता है। हृदय रोग (सीवीडी) दुनिया भर में मृत्यु का प्रमुख कारण है, और टी1डी या टी2डी वाले व्यक्ति सामान्य आबादी की तुलना में अधिक जोखिम में हैं। यानि पुरुषों और महिलाओं के लिए डायबिटीज़ के उपचार और रोकथाम की रणनीतियां अलग-अलग होनी चाहिए। चलिए समझते हैं विस्तार से।
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टाइप-1 डायबिटीज़
स्वीडन के उप्साला विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने दिखाया है कि टी2डी वाले युवा पुरुषों में टी1डी वाले पुरुषों की तुलना में मृत्यु दर और सीवीडी के परिणाम अधिक खराब होते हैं। टाइप-1 डायबिटीज़ आमतौर पर बचपन या कम उम्र में शुरू होती है। रिसर्च के अनुसार महिलाओं में टाइप-1 डायबिटीज़ होने पर हार्ट डिजीज़ (दिल की बीमारी) का खतरा पुरुषों की तुलना में ज्यादा होता है। महिलाओं में इम्यून सिस्टम की प्रतिक्रिया भी अलग होती है, जिससे ब्लड शुगर को नियंत्रित करना थोड़ा कठिन हो सकता है।
टाइप-2 डायबिटीज़
टाइप-2 डायबिटीज़ ज्यादातर लाइफस्टाइल, मोटापा और उम्र बढ़ने की वजह से होती है। इस स्टडी में पाया गया कि पुरुषों में टाइप-2 डायबिटीज़ जल्दी विकसित हो सकती है लेकिन महिलाओं में यह ज्यादा जटिल (complex) रूप ले सकती है। महिलाओं में वजन बढ़ना, हार्मोनल बदलाव (जैसे मेनोपॉज़ के बाद) और प्रेग्नेंसी डायबिटीज़ (Gestational Diabetes) की वजह से रिस्क बढ़ जाता है।
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18-84 वर्ष के लोगों का किया गया अध्ययन
अध्ययन में 18-84 वर्ष की आयु के 404,026 मधुमेह रोगी शामिल थे। इनमें से 38,351 को T1D और 365,675 को T2D था, जबकि 233,858 पुरुष और 170,168 महिलाएँ थीं। 50 वर्ष से कम आयु के T2D से पीड़ित पुरुषों में सभी प्रकार के हृदय रोगों का जोखिम 51 प्रतिशत अधिक, हृदयाघात का जोखिम 2.4 गुना अधिक और हृदयाघात का जोखिम T1D पुरुषों की तुलना में 2.2 गुना अधिक था। हालांकि, सभी आयु वर्ग की महिलाओं में T1D की तुलना में T2D से पीड़ित महिलाओं में हृदयाघात से मृत्यु दर (34 प्रतिशत कम) और सर्व-कारण मृत्यु दर (19 प्रतिशत कम) देखी गई, जो 50 वर्ष से अधिक आयु की महिलाओं के लिए विशेष रूप से कम थी।
क्यों अलग है असर?
हार्मोनल अंतर : एस्ट्रोजेन और टेस्टोस्टेरोन का प्रभाव ब्लड शुगर और फैट स्टोरेज पर अलग-अलग पड़ता है।
शरीर की फैट डिस्ट्रीब्यूशन : महिलाओं में फैट पेट और कूल्हों के आसपास ज्यादा जमा होता है, जबकि पुरुषों में पेट पर। यह डायबिटीज़ के खतरे को अलग तरीके से प्रभावित करता है।
हार्ट हेल्थ पर असर : महिलाओं में डायबिटीज़ से हार्ट अटैक और स्ट्रोक का खतरा पुरुषों की तुलना में अधिक पाया गया है।
यह स्टडी बताती है कि डायबिटीज़ के इलाज और मैनेजमेंट में जेंडर-स्पेसिफिक (लिंग आधारित) एप्रोच की ज़रूरत है। यानि पुरुषों और महिलाओं के लिए डायबिटीज़ के उपचार और रोकथाम की रणनीतियां अलग-अलग होनी चाहिए।