दीया मिर्जा ने दूसरी शादी में तोड़ दी सदियों पुरानी परंपरा, इस पर क्या कहेंगे आप?
punjabkesari.in Saturday, Feb 20, 2021 - 06:19 PM (IST)
कन्यादान एक ऐसी रस्म है जो पिता द्वारा अपनी बेटी को उसके पति को 'दूर' करने का प्रतीक है, जबकि विदाई अपने पिता के घर से दुल्हन की विदाई का प्रतीक है मगर दिया मिर्जा ने अपनी शादी में इन सभी परंपराओं को तोड़ा। जी हां, उन्होंने शादी जरूर हिंदू रीति-रिवाज से की लेकिन अपनी शादी में कुछ ऐसी अनोखी रस्में भी निभाई जो शायद ही पहले किसी शादी में हुई हो, उन्हीं रस्मों में 'कन्यादान' और 'विदाई' की रस्म है...
दिया की शादी में नहीं हुआ 'कन्यादान' और 'विदाई'
दरअसल, 'कन्यादान' और 'विदाई' को ना कहने के पीछे दिया का मकसद बदलाव था क्योंकि दिया का मानना है कि महिलाओं के लिए अपने खुद के नियम बनाने का समय है और जो पुराना है उसे फिर से परिभाषित करना जरूरी है। इसलिए इस परिवर्तन की पहल दिया ने अपनी ही शादी से की...
दिया ने अपनी पोस्ट में इसकी वजह बताते हुए लिखा- हमने 'कन्यादान' और 'Bidaai' के लिए ना कहा क्योंकि परिवर्तन पसंद के साथ शुरू होता है।' दीया मिर्जा ने हैशटैग #GenerationEquality को भी लिखा, 'जिसका इस्तेमाल UN Women अपने जनरेशन इक्वैलिटी कैंपेन के लिए करती है, ताकि महिलाओं को एक समान भविष्य का अधिकार मिले।' चलिए जानते और किन-किन बातों ने दिया-वैभव की शादी को खास बनाया...
शादी में नहीं हुआ प्लास्टिक का इस्तेमाल
सभी जानते है कि दिया मिर्जा ने हमेशा से पर्यावरण सुरक्षा के लिए काम किया है। शादी में भी उन्होंने प्लास्टिक वेस्ट नहीं होने दी। दीया ने इंस्टाग्राम पर लिखा है कि उनकी शादी उस जगह पर हुई जहां वह 19 साल से रह रही हैं। दीया ने बताया कि उन्हें गर्व है कि बिना प्लास्टिक के इस्तेमाल और बिना कोई बर्बादी किए शादी की। सजावट के लिए जो भी सामान इस्तेमाल किया गया था वो पूरी तरह बायोडिग्रेडेबल था।
शादी के मंत्र एक महिला पंडित ने पढ़े
दिया ने अपनी पोस्ट के जरिए बताया कि कुछ साल पहले बचपन की दोस्त अनन्या की शादी से पहले मैंने कभी महिला पंडित को शादी करवाते नहीं देखा था। मेरी दोस्त ने शीला अट्टा को लाकर मुझे बेहतरीन गिफ्ट दिया है। शीला उनकी दोस्त की आंटी हैं। दीया ने उम्मीद की है कि कई और कपल्स शादी का ये तरीका चुनेंगे।
बता दें कि शीला अत्ता एक महिला पंडिताईन है जो इससे पहले भी कई शादीयां करवा चुकी हैं। हालाकि, भारत में महिला पुजारियों की यह अवधारणा नई नहीं है लेकिन बॉलीवुड शादी में निश्चित रूप से ऐसा पहली बार हुआ है। इस साल की शुरुआत में, फरवरी में, चेन्नई में एक महिला पुजारी ने हिंदू रीति-रिवाजों और धार्मिक प्रथाओं का पालन करते हुए एक शादी रचाई थी। बॉलीवुड में इस शुभ कार्य की शुरूआत दिया मिर्जा की शादी से हुई। कन्यादान और विदाई की रस्में ना निभाकर भी दिया मिर्जा ने लोगों को एक संदेश दिया यानी कन्या कोई दान करने की वस्तु नहीं है और ना ही उसे पिता के घर से विदाई की जरूरत है।
दिया मिर्जा से सदियों से चली आ रही इन प्रथाओं को तोड़कर महिलाओं को सम्मानता के अधिकार के लिए प्रेरित किया है जिसमें उनका साथ उनके पति वैभव ने भी दिया।