Dev Uthani Ekadashi 2024: सोये हुए भगवान विष्णु को जगाने के लिए जानें पूरी पूजा विधि!
punjabkesari.in Tuesday, Nov 05, 2024 - 11:41 AM (IST)
नारी डेस्क: देवउठनी एकादशी 2024: हिन्दू धर्म में देवउठनी एकादशी का अत्यधिक धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व है। यह दिन न केवल चातुर्मास की समाप्ति का प्रतीक है, बल्कि भगवान विष्णु की योगनिद्रा से जागने का भी दिन है। यह खास दिन भगवान विष्णु की पूजा-अर्चना और उन्हें विशेष रूप से जगाने का अवसर प्रदान करता है। इस दिन भगवान विष्णु के साथ-साथ माता लक्ष्मी की भी पूजा की जाती है, जिससे घर में समृद्धि और सुख-शांति का वास होता है।
देवउठनी एकादशी 2024 की तिथि
देवउठनी एकादशी का पर्व हर साल कार्तिक मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को मनाया जाता है। इस वर्ष, देवउठनी एकादशी 11 नवंबर को शाम 6:46 बजे से प्रारंभ होकर 12 नवंबर को दोपहर 4:04 बजे तक रहेगी। विशेष रूप से इस दिन भगवान विष्णु को योग निद्रा से जगाया जाता है और अगले दिन 13 नवंबर को तुलसी विवाह का पर्व मनाया जाता है, जो इस दिन को और भी खास बनाता है।
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को जगाने की विधि
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु को सोते हुए से जगाने के लिए विशेष पूजा विधि है, जिसे "विष्णु जागरण" भी कहते हैं। यह विधि विशेष रूप से प्रदोष काल में की जाती है, जब शुभ मुहूर्त हो। यहां जानें भगवान विष्णु को जगाने की सही विधि और मंत्र-
घर के आंगन में पूजा की तैयारी
सबसे पहले, घर के आंगन या पूजा स्थल पर पिसे हुए चावल का घोल तैयार करें और उससे रंगोली (अरिपन) बनाएं। इस रंगोली में चंदन का उपयोग भी किया जाता है, जिससे पूजा स्थल में शुद्धता और ताजगी बनी रहती है।
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गन्ने से मंडप बनाएं
इस रंगोली के ऊपर चार गन्ने रखें और उनका उपयोग मंडप के रूप में करें। इस मंडप के अंदर भगवान विष्णु के शालिग्राम रूप की पूजा की जाती है। शालिग्राम की पूजा विशेष रूप से पवित्र मानी जाती है क्योंकि यह भगवान विष्णु का प्रतीक है।
नए वस्त्र और जनेऊ अर्पित करें
शालिग्राम के ऊपर नए वस्त्र और जनेऊ अर्पित करें। इससे पूजा में शुद्धता और सम्मान की भावना जुड़ी रहती है।
विष्णु मंत्र से भगवान को जगाएं
अब, भगवान विष्णु को जगाने के लिए "उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये, त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्" यह मंत्र बोलें। इस मंत्र के जाप से भगवान विष्णु को योग निद्रा से जगाया जाता है। इस मंत्र का उच्चारण करते हुए शालिग्राम रूप भगवान विष्णु का आह्वान करें।
दीप जलाना और देवी-देवताओं की वंदना
इस समय, 11 दीपकों का भी आयोजन करें और देवी-देवताओं की वंदना करें। दीपक जलाने से घर में समृद्धि और शांति का वास होता है। दीपों से घर का वातावरण शुद्ध होता है और भगवान विष्णु की कृपा बनी रहती है।
भगवान विष्णु को जगाने का मंत्र-
यह मंत्र विशेष रूप से भगवान विष्णु को योग निद्रा से जगाने के लिए उपयोग में लाया जाता है:
"उत्तिष्ठ गोविन्द त्यज निद्रां जगत्पतये,
त्वयि सुप्ते जगन्नाथ जगत् सुप्तं भवेदिदम्।
उत्थिते चेष्टते सर्वमुत्तिष्ठोत्तिष्ठ माधव।
गतामेघा वियच्चैव निर्मलं निर्मलादिशः॥
शारदानि च पुष्पाणि गृहाण मम केशव॥"
देवउठनी एकादशी की महत्वता
देवउठनी एकादशी के दिन भगवान विष्णु के जागने के साथ ही चातुर्मास की समाप्ति हो जाती है। चातुर्मास के दौरान विशेष धार्मिक कार्यों और व्रतों को किया जाता है, और इस दिन से सभी शुभ और मांगलिक कार्यों की शुरुआत होती है। इसी दिन भगवान विष्णु की पूजा कर उनके आशीर्वाद से जीवन में सुख, समृद्धि और शांति की प्राप्ति होती है।
देवउठनी एकादशी का पर्व भगवान विष्णु की पूजा और उनके जागरण का दिन होता है। इस दिन को विशेष रूप से पूजा विधियों के अनुसार मनाने से जीवन में आशीर्वाद, सुख और समृद्धि का वास होता है। सही विधि और मंत्र से भगवान विष्णु को जगाने का महत्व अत्यधिक है, क्योंकि यह दिन चातुर्मास की समाप्ति और मांगलिक कार्यों की शुरुआत का प्रतीक है।