Delhi Air Pollution: अस्थमा मरीज खुद को कैसे बचाएं

punjabkesari.in Monday, Nov 10, 2025 - 04:02 PM (IST)

 नारी डेस्क: दिल्ली-NCR की हवा अब जहर बन चुकी है। ऐसे में अस्थमा से जूझ रहे लोगों के लिए यह मौसम किसी खतरे से कम नहीं। गले में जलन, आंखों में चुभन, सीने में भारीपन और सांस लेने में तकलीफ ये सभी संकेत हैं कि हवा की गुणवत्ता बेहद खराब हो चुकी है। अगर आप या आपके घर में कोई अस्थमा मरीज है, तो अब ज़रूरी है कि आप बेहद सतर्क रहें। आइए जानते हैं इस समय अस्थमा मरीजों को किन बातों का ध्यान रखना चाहिए।

 जितना हो सके घर के अंदर रहें

जब वायु गुणवत्ता सूचकांक (AQI) “बहुत खराब” या “गंभीर” स्तर पर हो, तो अस्थमा मरीजों को बाहर जाने से बचना चाहिए। सुबह और शाम के समय प्रदूषण का स्तर ज्यादा होता है, इसलिए इन घंटों में टहलने या बाहर निकलने से बचें। अगर बाहर जाना जरूरी हो तो N95 या N99 मास्क जरूर पहनें, ताकि प्रदूषण के कण फेफड़ों तक न पहुंचें।

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घर के अंदर की हवा रखें साफ

घर में भी प्रदूषण कम करने के लिए एयर प्यूरिफायर का इस्तेमाल करें। अगर यह उपलब्ध नहीं है तो घर में घी या नारियल तेल का छोटा दीपक जलाकर भी कुछ हद तक हवा की नमी बनाए रख सकते हैं। दरवाजे और खिड़कियां दिन में कुछ समय के लिए खोलें ताकि अंदर की हवा बासी न हो, लेकिन बाहर का धुआं और धूल ज़्यादा होने पर उन्हें बंद रखें।

 हर्बल भाप और स्टीम थेरेपी लें

गले में खराश, नाक बंद या सांस लेने में परेशानी होने पर दिन में दो बार गर्म पानी की भाप लें। इसमें पुदीना, अजवाइन या नीलगिरी तेल की कुछ बूंदें डाल सकते हैं। यह न सिर्फ गले को आराम देता है बल्कि वायुमार्ग को भी खोलता है।

 खानपान में शामिल करें ये चीज़ें

प्रदूषण के असर से शरीर की रोग प्रतिरोधक क्षमता कमजोर होती है, इसलिए आहार में ऐसे फूड शामिल करें जो फेफड़ों की सफाई और प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाएं  गुनगुना पानी पीते रहें, ताकि कफ जमा न हो। अदरक, हल्दी, तुलसी और शहद वाली चाय लें। विटामिन C से भरपूर फल जैसे संतरा, नींबू, अमरूद, आंवला रोज खाएं। डीप फ्राइड और जंक फूड से पूरी तरह बचें, ये शरीर में सूजन बढ़ाते हैं।

इनहेलर और दवाइयां नियमित लें

अस्थमा मरीजों को अपनी दवाएं समय पर लेनी चाहिए। इनहेलर या नेबुलाइज़र हमेशा अपने पास रखें। अगर सांस लेने में अधिक दिक्कत हो या सीने में भारीपन लगे तो डॉक्टर से तुरंत संपर्क करें, दवा खुद से न बदलें।

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 योग और श्वसन अभ्यास करें

प्रदूषण में भी अगर फेफड़ों को मजबूत रखना है तो प्राणायाम और अनुलोम-विलोम जैसे श्वसन अभ्यास घर के अंदर करें। ये फेफड़ों की क्षमता बढ़ाते हैं और सांस लेने में सहूलियत देते हैं। ध्यान रखें  यह साफ हवा वाले कमरे में ही करें।
 
धूम्रपान और धूल से दूरी बनाएं

अस्थमा मरीजों को किसी भी तरह के धुएं से बचना चाहिए—चाहे वो सिगरेट का धुआं, रसोई की गैस या अगरबत्ती-बत्ती का धुआं हो। घर की सफाई करते समय मास्क पहनें, ताकि धूलकणों से फेफड़ों को नुकसान न पहुंचे।

  कब तुरंत डॉक्टर को दिखाएं

अगर सांस फूलने लगे, सीने में जकड़न महसूस हो या रात में बार-बार खांसी आने लगे तो इसे नज़रअंदाज़ न करें। यह संकेत हैं कि प्रदूषण का असर बढ़ रहा है। ऐसी स्थिति में अपने पल्मोनोलॉजिस्ट से तुरंत सलाह लें।
  


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Content Editor

Priya Yadav

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