Doctor ने दी Warning ! Air Purifier भी दे रहा बीमारियां, फेफड़ों को नुकसान

punjabkesari.in Monday, Dec 22, 2025 - 06:07 PM (IST)

नारी डेस्क: जैसे-जैसे हवा में प्रदूषण बढ़ता जा रहा है, वैसे-वैसे घरों, ऑफिसों और स्कूलों में एयर प्यूरीफायर का इस्तेमाल भी तेजी से बढ़ा है। लोगों का मानना है कि एयर प्यूरीफायर हवा को साफ करके उन्हें धूल, बैक्टीरिया और वायरस से बचाता है। लेकिन अब एक नई रिसर्च ने एयर प्यूरीफायर को लेकर कई गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं।

एयर प्यूरीफायर कितना सुरक्षित है?

अमेरिका की यूनिवर्सिटी ऑफ कोलोराडो की एक नई स्टडी के मुताबिक, एयर प्यूरीफायर को लेकर किए गए ज्यादातर शोध असल में इंसानों पर किए ही नहीं गए। इस रिसर्च में करीब 700 स्टडीज की समीक्षा की गई, जिसमें सामने आया कि अधिकतर प्रयोग खाली कमरों, जानवरों या सिर्फ हवा के सैंपल पर आधारित थे। यानी यह साफ नहीं है कि लंबे समय तक एयर प्यूरीफायर इस्तेमाल करने से इंसानी सेहत पर क्या असर पड़ता है।

इंसानों पर कम रिसर्च, बढ़ी चिंता

स्टडी के मुताबिक, केवल 8 प्रतिशत रिसर्च में ही एयर प्यूरीफायर का असर सीधे इंसानों पर परखा गया। बाकी स्टडीज लैब या जानवरों पर की गईं। ऐसे में यह तय करना मुश्किल हो जाता है कि ये डिवाइस लंबे समय तक इस्तेमाल करने पर फेफड़ों और सांस की सेहत को कितना नुकसान पहुंचा सकते हैं।

 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 
 

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कुछ प्यूरीफायर बना सकते हैं जहरीली गैसें

रिसर्च में यह भी सामने आया कि कुछ एयर प्यूरीफायर ओजोन और फॉर्मलडिहाइड जैसी खतरनाक गैसें पैदा कर सकते हैं। ओजोन फेफड़ों को नुकसान पहुंचा सकती है, अस्थमा के मरीजों की परेशानी बढ़ा सकती है और दिल से जुड़ी बीमारियों का खतरा भी बढ़ा देती है।फॉर्मलडिहाइड आंखों, नाक और गले में जलन पैदा करती है और लंबे समय तक संपर्क में रहने पर कैंसर का कारण भी बन सकती है। कुछ प्यूरीफायर में मौजूद आयोनाइजर या केमिकल तकनीकें कमरे में पहले से मौजूद रसायनों के साथ मिलकर और भी जहरीले व बेहद बारीक कण बना देती हैं, जो सीधे फेफड़ों और खून तक पहुंच सकते हैं।

असली हालात में जांच की कमी

1920 से 2023 के बीच की 672 स्टडीज का विश्लेषण करने पर यह बात सामने आई कि कई आधुनिक एयर प्यूरीफायर तकनीकों को इंसानों पर ठीक से परखा ही नहीं गया। रिसर्चर का कहना है कि कंपनियां बड़े-बड़े दावे करती हैं, लेकिन उनके पास मजबूत वैज्ञानिक सबूत नहीं होते। स्कूल, अस्पताल और ऑफिस जैसी जगहों पर इन्हें लगाने से पहले यह साबित होना चाहिए कि ये सुरक्षित भी हैं और असरदार भी।

डॉक्टर क्या कहते हैं?

 “एयर प्यूरीफायर सीधे तौर पर हवा से नमी नहीं हटाते, लेकिन अगर बंद कमरे में इन्हें लगातार तेज स्पीड पर चलाया जाए, तो कमरे की नमी कम हो सकती है। कम ह्यूमिडिटी से नाक, गला और सांस की नलियों में सूखापन और जलन हो सकती है। इससे खांसी, खराश और आंखों में जलन जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं। साफ हवा के साथ सही नमी होना भी फेफड़ों के लिए जरूरी है।”

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एयर प्यूरीफायर खरीदते समय किन बातों का रखें ध्यान?

डॉक्टर और हेल्थ एक्सपर्ट कुछ जरूरी सावधानियां बरतने की सलाह देते हैं। ओजोन बनाने वाले या केमिकल रिएक्शन पर काम करने वाले प्यूरीफायर से बचें। HEPA फिल्टर वाले प्यूरीफायर ज्यादा सुरक्षित माने जाते हैं। कमरे के साइज के हिसाब से ही प्यूरीफायर चुनें।फिल्टर की समय-समय पर सफाई और बदलाव जरूर करें।

कमरे में नमी बनाए रखने के लिए वेंटिलेशन का ध्यान रखें

एयर प्यूरीफायर प्रदूषण से कुछ हद तक राहत जरूर दे सकते हैं, लेकिन बिना पूरी जानकारी और सही चयन के इनका इस्तेमाल सेहत को नुकसान भी पहुंचा सकता है। इसलिए प्यूरीफायर खरीदने और इस्तेमाल करने से पहले सही जानकारी लेना और एक्सपर्ट की सलाह मानना बेहद जरूरी है।
 


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Content Editor

Priya Yadav

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