प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली में 7,500 इलेक्ट्रिक बसें चलाने का लक्ष्य

punjabkesari.in Saturday, Dec 27, 2025 - 01:18 PM (IST)

 नारी डेस्क: दिल्ली-एनसीआर का प्रदूषण खतरनाक स्तर पर पहुंच चुका है। विपक्ष लगातार केंद्र और दिल्ली सरकार को घेर रहा है कि 11 महीने में भाजपा की सरकार ने प्रदूषण से निपटने के लिए क्या कदम उठाए हैं। इसी बीच केंद्र सरकार ने राजधानी में सार्वजनिक परिवहन को बढ़ावा देने के लिए मेट्रो के पांचवें फेज की तीन नई लाइनों को मंजूरी दी और इसके लिए 12,000 करोड़ रुपये मंजूर किए। इसके साथ ही दिल्ली सरकार ने इलेक्ट्रिक बसों की संख्या मौजूदा 3,500 से बढ़ाकर 7,500 करने का लक्ष्य रखा है। पंजाब केसरी की टीम ने इस मुद्दे पर दिल्ली के पर्यावरण मंत्री मनजिंदर सिंह सिरसा से खास बातचीत की और यह जाना कि दिल्ली में प्रदूषण से निपटने के लिए कौन-कौन से कदम उठाए जा रहे हैं।

दिल्ली सरकार प्रदूषण से निपटने के लिए क्या कर रही है?

पर्यावरण मंत्री सिरसा का कहना है कि यह समस्या उन्हें विरासत में मिली है। “हम 27 साल बाद सरकार में आए हैं और प्रदूषण की बीमारी भी 27 साल पुरानी है। पिछले 10 सालों में जितनी सरकारें रही, उन्होंने हर साल कहा कि प्रदूषण कम करेंगे, लेकिन हकीकत में कुछ नहीं किया गया। अब हमें सारे काम एक साथ करने पड़ रहे हैं।”

उन्होंने बताया कि दिल्ली में कूड़े के पहाड़ प्रदूषण का सबसे बड़ा कारण हैं। उनकी सरकार ने आते ही इन पर काम शुरू किया और लगभग 40 प्रतिशत कूड़े के पहाड़ हटाए जा चुके हैं। इसके अलावा डस्ट मिटिगेशन, सड़कों की नई लेयरिंग, ब्राउन एरिया की सफाई, फुटपाथ निर्माण और पौधारोपण जैसी गतिविधियां भी शुरू की गई हैं। मिट्टी धूल बनकर प्रदूषण का बड़ा स्रोत बनती है, इसलिए इसे खत्म करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

वाहनों से होने वाले प्रदूषण पर कदम

दिल्ली एनसीआर में वाहनों से होने वाला प्रदूषण भी गंभीर समस्या है। सिरसा के अनुसार, पुरानी गाड़ियां, ट्रक और बसें इस समस्या को और बढ़ाती हैं। इसके समाधान के लिए इलेक्ट्रिक बसों को तेजी से शामिल किया जा रहा है।

अभी तक लगभग 4,000 इलेक्ट्रिक बसें चलाने का काम शुरू हो चुका है।

2026 तक 7,500 इलेक्ट्रिक बसों का बेड़ा तैयार करना सरकार का लक्ष्य है।

इसके अलावा, BS-6 और अन्य नॉन-पॉल्यूटिंग वाहनों को बढ़ावा देने के लिए चार्जिंग स्टेशन और इंफ्रास्ट्रक्चर पर काम चल रहा है।

कचरे और सफाई का काम

दिल्ली में रोजाना लगभग 8,000 मीट्रिक टन कूड़ा पैदा होता है। इसके अलावा पुराने सालों का लगभग 35,000 मीट्रिक टन कूड़ा भी अभी उठाया जा रहा है। कुल मिलाकर रोजाना 43,000 मीट्रिक टन कचरे को दिल्ली से बाहर निकालने का काम किया जा रहा है। सिरसा का कहना है कि ऐसा कोई अन्य शहर पूरी दुनिया में नहीं करता। वहीं, पुराने कूड़े और डस्ट मिटिगेशन पर उनका काम जारी है।

उद्योगों से होने वाले प्रदूषण पर कदम

राजधानी में उद्योगों से निकलने वाला प्रदूषण भी बड़ा कारण है। मंत्री ने बताया कि अब तक 9,000 इंडस्ट्रीज़ को प्रदूषण के दायरे में लाया गया है। इन्हें अपने प्रदूषण को कम करने के लिए निर्देश दिए गए हैं। इसके साथ ही हरियाणा के शहर जैसे गाजियाबाद, मेरठ, सोनीपत, पानीपत, रोहतक, गुरुग्राम और फरीदाबाद के साथ समन्वय किया जा रहा है।

पराली और पड़ोसी राज्यों से प्रदूषण

सिरसा ने कहा कि पंजाब में पराली जलाने के मामले कम हुए हैं, लेकिन प्रदूषण अभी भी है। इसका कारण है कि प्रदूषण रोकने के लिए हर राज्य को मिलकर काम करना होगा। केंद्र सरकार ने दस लाख से अधिक मशीनें भेजकर पराली जलाने पर नियंत्रण किया है।

AQI और डस्ट कंट्रोल

कुछ लोग ए.क्यू.आई (AQI) मीटर पर हेरफेर का आरोप लगाते हैं। मंत्री ने स्पष्ट किया कि ऐसा बिल्कुल नहीं हो रहा। वाटर स्प्रिंक्लिंग और डस्ट कंट्रोल की प्रक्रिया पूरी तरह मानक के अनुसार चल रही है। सुप्रीम कोर्ट भी इसकी मॉनिटरिंग करती है।

दिल्ली में वाहनों की एंट्री पर नियंत्रण

दिल्ली में करीब 12 लाख वाहनों की एंट्री बैन है, जिससे प्रदूषण को रोकने की कोशिश की जा रही है। मंत्री ने कहा कि इससे पूर्ण समाधान नहीं आएगा, लेकिन कम से कम सीधा दिल्ली में आने वाले प्रदूषण को रोका जा सकता है।

सिस्टम और अधिकारियों की भूमिका

सिरसा ने बताया कि अधिकारी पूरी तरह काम कर रहे हैं और अब कोई खिंचतान नहीं है। जो अधिकारी काम नहीं करेंगे, उन पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। मंत्री स्वयं जमीनी स्तर पर काम की समीक्षा कर रहे हैं।

अरावली पर्वतमाला सुरक्षित

विपक्ष ने अरावली में बदलाव का आरोप लगाया, लेकिन मंत्री ने स्पष्ट किया कि अरावली पहले से ज्यादा सुरक्षित है और इसे कोई खतरा नहीं है।

दिल्ली-एनसीआर का प्रदूषण जटिल और पुरानी समस्या है, लेकिन इलेक्ट्रिक बसें, डस्ट कंट्रोल, इंडस्ट्रीज़ का नियंत्रण और पड़ोसी राज्यों से समन्वय जैसी पहलें इसे कम करने की दिशा में अहम कदम हैं। सरकार का लक्ष्य 2026 तक 7,500 इलेक्ट्रिक बसों का बेड़ा तैयार करना और प्रदूषण को नियंत्रित करना है।
 

 


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Content Editor

Priya Yadav

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