संगम पर डुबकी, यज्ञ और ध्यान... सुबह चार बजे से देर रात तक यही है साधु-संतों की दिनचर्या
punjabkesari.in Tuesday, Jan 21, 2025 - 09:42 AM (IST)
नारी डेस्क: राख से लिपटे और न के बराबर कपड़े पहने जटाधारी साधु-संत महाकुंभ के दौरान हर दिन सुबह चार बजे पवित्र संगम में डुबकी लगा रहे हैं और अपने यहां आने वाले तीर्थयात्रियों के स्वागत से पहले कई धार्मिक अनुष्ठान कर रहे हैं। ये संत ‘अखाड़ों' में अपने गुरुओं की पूजा, ‘यज्ञ', ध्यान और शाम की प्रार्थना जैसे कई अनुष्ठान करते हैं। उनका अधिकतर दिन सत्संग, भगवद् गीता पाठ, भजन कीर्तन और मंत्र जाप में बीतता है। इसके अलावा वह अपना बचा हुआ समय आस्था के साथ या उत्सुकतावस उनके पास आए तीर्थयात्रियों के साथ बिताते हैं।
जूना अखाड़े के साधु सावन भारती ने कहा- ‘‘हमारे जीवन का उद्देश्य लालच नहीं करना है और हम सादा जीवन जीते हैं। यहां भी हम सुबह चार बजे उठते हैं और संगम पर स्नान के लिए जाते हैं। वापस आने के बाद हम अपने अनुष्ठान करते हैं, अपने गुरुओं और देवताओं की पूजा करते हैं, यज्ञ करते हैं...धूनी (राख) लेने के लिए तीर्थयात्रियों का तांता लगा रहता है। शाम को हम प्रार्थना करते हैं और फिर आधी रात तक सो जाते हैं।''
विभिन्न मठों के अखाड़े विशिष्ट आध्यात्मिक परंपराओं और प्रथाओं के तहत साधु-महात्माओं को एकजुट करते हैं। महाकुंभ में भाग लेने वाले 13 अखाड़ों में जूना अखाड़ा सबसे पुराना और सबसे बड़ा अखाड़ा है। इन 13 अखाड़ों को संन्यासी (शैव), बैरागी (वैष्णव) और उदासीन, तीन समूहों में बांटा गया है। पंचायती अखाड़े के महंत वशिष्ठ ने कहा कि उनकी प्रत्येक प्रार्थना विधि विधान से की गई। संन्यासिनी श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा की महिला साध्वी चेष्णा ने कहा कि सांसारिक जीवन को त्यागने और आध्यात्मिकता को अपनाने का निर्णय जागृति या परिवर्तनकारी जीवन घटनाओं से प्रेरित था। चेष्णा ने रविवार को 200 से अधिक महिलाओं के दीक्षा अनुष्ठान में हिस्सा लिया।
वहीं मौनी अमावस्या स्नान पर्व से पहले महाकुम्भनगर रंग बिरंगी रोशनी से जगमगा उठा है। इस आयोजन को दिव्य ,भव्य और नव्य स्वरूप देने के लिए इससे जुड़े शहर के उन मार्गों और चौराहों को भी आकर्षक स्वरूप दिया गया है जहां से होकर पर्यटक और श्रद्धालु महा कुम्भ पहुंच रहे हैं। इसी क्रम में अब सड़क किनारे के वृक्षों को रोशनी के माध्यम से नया स्वरूप दिया गया है। आगंतुकों के स्वागत के लिए की कुम्भ नगरी की सड़कों को सजाया गया, शहर के चौराहे सुसज्जित किए गए और बारी है सड़क के दोनों तरह मौजूद हरे भरे वृक्षों को नया लुक देने की ।