Bye-Bye 2020: कोरोना में काम हुआ ठप! किसी ने मचाई अपने बिजनेस से धूम तो किसी ने की लोगों की मदद
punjabkesari.in Thursday, Dec 31, 2020 - 12:46 PM (IST)
साल 2020 काफी उतार और चढ़ाव वाला रहा है। इस साल हर किसी को किसी न किसी दिक्कत का सामना जरूर करना पड़ा है। किसी के पास खाने के लिए पैसे नहीं थे तो कोई बेरोजगार हो गया, किसी ने कोरोना के आगे हिम्मत हार दी और किसी को अपने परिवार के साथ ही रहने का मौका नहीं मिला। साल 2020 खत्म होने में कुछ समय ही बाकी रह गया है। इस साल की ओर एक नजर मारी नजर जाए तो हर किसी की उन लोगों की हिम्मत को सलाम करना बनता है जिसने ऐसी मुश्किल घड़ी में भी हिम्मत को हारने न दिया।
बात अगर महिलाओं की करें तो आज परिवार को चलाने के लिए महिलाएं भी एक खास भुमिका निभाती हैं। गृहिणी होने के साथ-साथ वह बाहर के कामकाजों को भी अच्छी तरह से हैंडल कर सकती हैं। लेकिन कोरोना के कारण बहुत से लोगों के हाथों से उनकी नौकरी चली यूं कहिए कि कमाई के लिए हर जरिया मुश्किल हो गया लेकिन बहुत से ऐसे लोग भी थे जिन्होंने हिम्मत नहीं हारी। आज हम आपको कुछ ऐसी ही महिलाओं के बारे में बताएंगे जिनके आगे कोरोना महामारी भी उन्हें बुंलद हौसलों को नहीं रोक पाई।
लॉकडाउन में गई नौकरी तो शुरू कर लिया अपना बिजनेस
तो चलिए आपको बताते हैं इन महिलाओं के बारे में ...
1. जालंधर की कांता ने शुरू किया बिजनेस
लॉकडाउन से पहले कांता चौहान बाइक-टैक्सी ड्राइवर का काम करती थी लेकिन लॉकडाउन के कारण यह काम भी बंद हो गया लेकिन इसके बाद भी कांता ने हिम्मत नहीं हारी और खुद के जीवन को चलाने के लिए कमाई का जरिया ढूंढा और सड़क पर परांठा जंक्शन नाम की छोटी सी दुकान चलाने लगी।
नौकरी गई लेकिन हिम्मत नहीं हारी
जब कांता के हाथों से जॉब चली गई तो उन्होंने सोचा खाना तो सभी को खाना है इसिलए परांठा जंक्शन नाम का छोटा सा ढाबा खोल लिया। जिसमें कस्टमर की भीड़ भी अच्छी खासी लगी रहने लगी हैं। कांता के इस ढाबे में मेन मैन्यू परांठा ही है जहां उनके साथ मिलकर उनके पति भी काम करते है। कांता की मानें तो उन्होंने खुद अपनी पहली जॉब छोड़ी क्योंकि कोरोना के चलते सोशल डिस्टेंसिंग काफी जरूरी था। हालांकि, इस बीच उन्होंने कई कंपनियों में ट्राई तो किया लेकिन सभी ने यह कहकर मना कर दिया कि अभी कोई भर्ती नहीं है। इस दौरान मुसीबत तब बढ़ गई जब उनके पति भी बेरोजगार हो गए जोकि डिलीवरी मैन का काम किया करते थे, फिर उनके मन में अपना ढाबा खोलने का विचार आया। कांता का स्टाल सुबह 6 बजे से शाम 6 बजे तक खुला रहता हैं और यहां कस्टमर्स की पसंद के हिसाब से खाना मिलता है। स्टाल में लगभग 30-40 ग्राहक प्रतिदिन दुकान पर आते हैं।
आपको बता दें कि कांता मनाली की रहने वाली हैं और 12वीं पास है। जालंधर की पहली बाइक-टैक्सी ड्राइवर भी हैं।
2. 100 महिलाओं की पहल राखी बना पाया रोजगार
इसके बाद आपको एक महिला नहीं बल्कि उन 100 महिलाओं के बारे में बताते हैं जिनके मन में कभी हार का ख्याल आया ही नहीं। दरअसल लॉकडाउन के कारण बहुत सारी महिलाओं की नौकरी गई तो नई दिल्ली जिला प्रशासन ने इसके लिए आगे आया और उन्होंने एक नई पहल शुरू की और सौ महिलाओं की पहचान कर उनके रोजगार की व्यवस्था देने का काम शुरू किया। इन महिलाओं ने मिलकर राखी बनाने का काम शुरू किया। इतना ही नहीं उसे मार्केट और दुकानों तक भी पहुंचाने का काम किया।
दिया गया उम्मीद एक राखी नाम
इस कार्यक्रम को उम्मीद एक राखी नाम दिया गया। राखी के त्योहार पर एक तरफ जहां महिलाओं को रोजगार मिला और इससे बहुत सारी महिलाओं ने एक दूसरे को प्रेरित भी किया। इतना ही नहीं इन सभी 100 महिलाओं को डिजाइनर से राखी बनाने की ट्रैनिंग दिलवाई गई है। जिसके बाद यह सभी राखी बनाने का काम कर रही है। यह राखी पूरी दिल्ली में मार्केट और दुकानों पर सप्लाई की गई।
3. कोकिला पारेख ने लॉकडाउन में शुरू किया खुद का बिजनेस
वहीं कुछ महिलाएं ऐसी भी थी जिनके पास खाली समय में करने के लिए कुछ नहीं था। उन्होंने अपने इसी समय को उपयोग करने के लिए क्रिएटीविटी दिखाई और आज कुछ को तो सफलता भी मिल गई है। इन्हीं में से एक है 79 साल की कोकिला पारेख। जिन्होंने लॉकडाउन के खाली समय को इस्तेमाल करने के लिए खुद का बिजनेस शुरू। दरअसल कोकिला खाना बहुत बढ़िया पकाती हैं और इसमें सबसे खास है उनकी मसाला चाय जिसका मसाला वह खुद तैयार करती हैं। खाली समय में उन्होंने अपने मसाला चाय को बिजनेस के रूप में अपनाने का फैसला किया। इस बिजनेस को कोकिला अब बढ़ाने की सोच रही है और तो और उन्होंने इस का नाम अपने बेटे के नाम से रखा है और लोग इसे काफी पसंद भी कर रहे हैं।
4. सास-बहू की जोड़ी ने शुरू किया चॉकलेट बनाने का बिजनेस
वहीं अब आपको एक ऐसी जोड़ी से भी मिलवाते हैं जिन्होंने अपने काम से पूरी धूम मचा दी। दरअसल रांची की मनीषा रॉय के परिवार का काम भी लॉकडाउन में ठप हो गया तो इन्होंने हिम्मत नहीं हारी और बहु रूपा चंद्रा साथ मिलकर चॉकलेट बनाने का काम शुरू किया। धीरे-धीरे जब लोगों को उनकी चॉकलेट पसंद आने लगी तो उन्होंने इस काम को बिजनेस में बदल लिया। शुरू शुरू में चॉकलेट बनाने में दिक्कत हुई लेकिन वह आज 70 से 80 डिजाइन की चॉकलेट बना लेती हैं। इस काम में छोटी बहू रूपा चंद्रा भी पूरा सहयोग करती हैं। अपने इसी बिजनेस से उन्होंने एक अलग पहचान तो पाई ही साथ ही में आर्थिक तंगी से भी छुटकारा पाया।
5. मुंबई की महिला कैब ड्राइवर विद्या ने भी नहीं मानी हार
वहीं अब आपको एक और ऐसी महिला की कहानी बताते हैं जिसके साथ भी कोरोना महामारी के चलते वहीं हुआ। विद्या को भी बाकी लोगों की तरह कोरोना लॉकडाउन के कारण अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ा लेकिन उनकी हिम्मत बरकरार रही। 27 साल की विद्या अपने पति और बच्चों के साथ मुंबई, मुलुंद इलाके में रहती हैं। नौकरी छोड़ने के बाद उन्होंने हिम्मत नहीं हारी और लोगों की मदद करने का काम शुरू किया। नौकरी न होते हुए भी विद्या खुद की कैब से मुसीबत में फंसे लोगों को उनके घर पहुंचाने का काम कर रही है। उन्होंने यह नेक काम 28 मार्च से शुरू किया था और वह अब तक करीब 200 लोगों को सुरक्षित घर तक छोड़कर आ चुकी हैं। इस काम के लिए उन्हें किसी भी तरह कोई आर्थिक मदद भी नहीं मिली।
हम इन महिलाओं की हिम्मत को सलाम करते हैं।