क्या औरंगजेब की कब्र हटाई जा सकती है? जानें ऐसी धरोहरों के लिए क्या कहता है कानून
punjabkesari.in Tuesday, Mar 11, 2025 - 05:08 PM (IST)

नारी डेस्क: देश में इस समय औरंगजेब की कब्र को लेकर विवाद बढ़ा हुआ है। यह विवाद तब शुरू हुआ जब 3 मार्च को अबू आजमी ने यह बयान दिया कि वह औरंगजेब को क्रूर शासक नहीं मानते हैं और हमें गलत इतिहास दिखाया गया है। उनका कहना था कि औरंगजेब ने कई मंदिर भी बनवाए हैं। इसके अलावा, उन्होंने कुछ और बयान दिए, जिनसे मामला और भी गर्म हो गया।
अबू आजमी का बयान और RTI रिपोर्ट
अबू आजमी की बयानबाजी ने और भी आग में घी डालने का काम किया, खासकर जब एक RTI रिपोर्ट सामने आई। रिपोर्ट में कहा गया कि सरकार हर साल औरंगजेब की कब्र की देखभाल के लिए करीब 2 लाख रुपये खर्च करती है। इसके बाद से औरंगजेब की कब्र को वहां से हटाए जाने को लेकर विरोध हो रहा है।
महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस का बयान
इस मामले पर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने अपनी राय दी है। उनका कहना था कि औरंगजेब की कब्र को कांग्रेस के शासनकाल में भारतीय पुरातत्व विभाग से संरक्षण मिला था। यह काम एक कानूनी प्रक्रिया के तहत हुआ है, और यदि इस कब्र को हटाना या उसमें कोई बदलाव करना है, तो इसके लिए कानून का पालन करना जरूरी है।
अब सवाल यह उठता है कि क्या ऐतिहासिक धरोहरों के लिए देश में कोई कानून है? क्या सरकार इनको हटा या बेच सकती है? क्या ऐतिहासिक धरोहरों की देखभाल के लिए कोई ठोस व्यवस्था है? आइए जानते हैं।
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भारत में ऐतिहासिक धरोहरों की देखभाल
भारत में ऐतिहासिक धरोहरों की देखभाल और संरक्षण का काम भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) करता है। स्वतंत्रता संग्राम के समय यानी 1947 में 2826 ऐतिहासिक धरोहरों को संरक्षण के लिए चिन्हित किया गया था। 2014 तक यह संख्या बढ़कर 3650 हो गई थी।
धरोहरों के संरक्षण के लिए कानूनी प्रावधान
देश के संविधान के अनुच्छेद 42 और 51A(f) के तहत ऐतिहासिक धरोहरों का संरक्षण राष्ट्रीय कर्तव्य माना गया है। इसके मुताबिक, देश की सभी धरोहरों के संरक्षण की जिम्मेदारी भारतीय पुरातत्व विभाग (ASI) की है। इसके अलावा, Ancient Monuments and Archaeological Sites and Remains Act 1958 की धारा 4 (1) के तहत केंद्र सरकार को अधिकार प्राप्त है कि वह किसी भी ऐतिहासिक इमारत या धरोहर को राष्ट्रीय महत्व की धरोहर घोषित कर सकती है।
संविधान में ऐतिहासिक धरोहरों के संरक्षण की जिम्मेदारी
संविधान के अनुसार, संसद द्वारा बनाए गए कानून के तहत राज्य सरकार की जिम्मेदारी है कि वह राष्ट्रीय ऐतिहासिक धरोहरों, इमारतों और आलेखों का संरक्षण और सुरक्षा करे। यदि किसी ऐतिहासिक धरोहर को नुकसान पहुंचाने या तोड़ने की कोशिश की जा रही हो, तो राज्य सरकार को उस धरोहर की सुरक्षा करनी चाहिए।
इसमें यह भी स्पष्ट किया गया है कि ऐतिहासिक धरोहरों को हटाना या उनमें कोई बदलाव करना नहीं किया जा सकता, क्योंकि इनका संरक्षण सरकार की जिम्मेदारी है।