क्या मरने के बाद फिर जिंदा हो सकेंगे लोग? जर्मनी की कंपनी ने किया मौत पर विजय का दावा!

punjabkesari.in Friday, Oct 10, 2025 - 04:11 PM (IST)

नारी डेस्क : क्या आप यकीन करेंगे कि इंसान मरने के बाद दोबारा जिंदा हो सकता है? यह सुनने में किसी साइंस फिक्शन फिल्म जैसा लगता है, लेकिन जर्मनी की एक नई स्टार्टअप कंपनी ने ऐसा ही दावा किया है। कंपनी का कहना है कि उसने मौत को मात देने का तरीका खोज लिया है, जिससे आने वाले समय में इंसान दोबारा जीवन पा सकेगा।

मौत पर विजय का दावा

जर्मनी की स्टार्टअप कंपनी ‘टुमारो बायो’ (Tomorrow Bio) ने दावा किया है कि वे क्रायो-प्रिजर्वेशन (Cryopreservation) तकनीक के जरिए इंसान के शरीर या दिमाग को भविष्य के लिए संरक्षित कर रहे हैं। कंपनी का कहना है कि जब तकनीक और मेडिकल साइंस और आगे बढ़ जाएगी, तब इन संरक्षित शरीरों को दोबारा जीवित किया जा सकेगा।

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2 करोड़ में ‘रीबर्थ सर्विस’

कंपनी इस प्रक्रिया के लिए मोटी रकम वसूल रही है।

पूरे शरीर को फ्रीज कराने का खर्च: लगभग 1.8 करोड़ रुपये

केवल दिमाग (ब्रेन) को फ्रीज़ कराने का खर्च: करीब 67.2 लाख रुपये

कंपनी का कहना है कि यह “भविष्य के पुनर्जन्म” की तैयारी है। यानी मरने के बाद भी किसी व्यक्ति की बॉडी को उस समय तक सुरक्षित रखा जाएगा, जब तक उसे दोबारा जिंदा करने की तकनीक विकसित नहीं हो जाती।

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शरीर को फ्रीज करने की प्रक्रिया

टुमारो बायो बताती है कि जैसे ही किसी व्यक्ति की कानूनी रूप से मृत्यु घोषित होती है, उसके शरीर को विशेष एंबुलेंस के जरिए यूरोप से स्विट्ज़रलैंड स्थित मुख्य केंद्र (Main Center) तक पहुंचाया जाता है। वहां बॉडी को लिक्विड नाइट्रोजन से भरे स्टील कंटेनर में रखा जाता है, जिसे -198 डिग्री सेल्सियस तापमान तक ठंडा किया जाता है। इस प्रक्रिया को “बायो-स्टेसिस” (Biostasis) कहा जाता है। इसमें शरीर का डी-कंपोज़िशन (सड़ना-गलना) पूरी तरह रुक जाता है। शव को इस अवस्था में 10 दिनों तक फ्रीज किया जाता है ताकि लंबे समय तक शरीर सुरक्षित रहे।

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अब तक 6 इंसान और 5 जानवर फ्रीज

कंपनी के अनुसार अब तक वे 6 इंसानों और 5 पालतू जानवरों का क्रायो-प्रिजर्वेशन कर चुके हैं। वहीं, करीब 650 लोगों ने पहले से भुगतान करके इस सर्विस के लिए नाम दर्ज कराया है और अपनी बारी का इंतजार कर रहे हैं।

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कंपनी का विजन: “जीवन पर नियंत्रण”

टुमारो बायो का कहना है कि उनका सपना एक ऐसी दुनिया बनाना है। जहां इंसान खुद तय कर सके कि वह कब तक जीना चाहता है। कंपनी का दावा है कि वे आने वाले दशकों में ऐसी तकनीकें विकसित करेंगे जो इन फ्रीज किए गए शरीरों को फिर से जीवित कर सकेंगी।

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क्या यह सच में संभव है?

वैज्ञानिक दृष्टि से देखें तो यह प्रक्रिया अभी केवल प्रयोगात्मक स्तर पर है। वर्तमान विज्ञान के पास किसी भी मृत शरीर या दिमाग को फिर से जीवन देने की व्यवहारिक क्षमता नहीं है। हालांकि, यह विचार भविष्य की विज्ञान कथा और तकनीकी संभावनाओं की दिशा में एक बड़ा कदम माना जा रहा है।

मौत हमेशा से जीवन का सबसे बड़ा रहस्य और चुनौती रही है। जर्मनी की यह कंपनी इस रहस्य को तोड़ने का दावा तो कर रही है, लेकिन यह सच में संभव होगा या नहीं। इसका जवाब अभी भविष्य के गर्भ में छिपा है। फिलहाल इतना तय है कि “अमरता की चाह” ने एक बार फिर विज्ञान को नई दिशा दे दी है।
 


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Content Editor

Monika

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