कोरोना काल में अनाथ हुए बच्चों को 23 साल की उम्र में मिलेगा पीएम केयर्स से 10 लाख रुपए का फंड
punjabkesari.in Saturday, May 29, 2021 - 07:40 PM (IST)
कोरोना वायरस की दूसरी लहर ने अब तक करोड़ों लोगों को अपनी चपेट में ले लिया है तो वहीं लाखों लोग इस वायरस से अपनी जान भी गंवा चुके है। जिसके चलते सैंकड़ों, हज़ारों बच्चों के सिर माता-पिता का साया भी उठ गया। वहीं इन बच्चों की इस दयनीय स्थिति को देखते हुए केंद्र सरकार ने एक बड़ा कदम उठाया है।
'पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन' योजना के तहत बच्चों की की जाएगी मदद-
प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने जानकारी देते हुए बताया कि प्रधानमंत्री ने घोषणा की कि कोविड 19 के कारण माता-पिता या अभिभावक दोनों को खोने वाले सभी बच्चों को 'पीएम-केयर्स फॉर चिल्ड्रन' योजना के तहत सहायता दी जाएगी। ऐसे बच्चों को 18 साल की उम्र से मासिक भत्ता (स्टाइपेंड) और 23 साल की उम्र में पीएम केयर्स से 10 लाख रुपए का फंड मिलेगा।
सरकार ऐसे बच्चों के लिए निशुल्क शिक्षा सुनिश्चित करेगी। बच्चों को उच्च शिक्षा के लिए शिक्षा ऋण प्राप्त करने में सहायता की जाएगी और PM CARES ऋण पर ब्याज का भुगतान करेगा। आयुष्मान भारत के तहत बच्चों को 18 साल तक 5 लाख रुपए का मुफ्त स्वास्थ्य बीमा मिलेगा और प्रीमियम का भुगतान पीएम केयर्स द्वारा किया जाएगा।
PM मोदी ने कहा, उनकी रक्षा करने के लिए सब कुछ करेंगे।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि बच्चे भारत के भविष्य का प्रतिनिधित्व करते हैं, हम उनका समर्थन करने, उनकी रक्षा करने के लिए सब कुछ करेंगे।
सड़कों पर भूख से तड़प रहे बच्चों की व्यथा समझने के लिए SC ने लगाई थी 'डांट'
आपकों बतां दें कि इससे पहले सुप्रीम कोर्ट ने शुक्रवार को कहा था कि वह इसकी कल्पना तक नहीं कर सकता कि कोविड-19 महामारी के कारण इतने बड़े देश में कितने बच्चे अनाथ हो गए और इसी के साथ उसने राज्य प्राधिकारियों को उनकी तत्काल पहचान करने तथा उन्हें राहत मुहैया कराने का निर्देश दिया।
कोर्ट ने राज्य सरकार से सड़कों पर भूख से तड़प रहे बच्चों की व्यथा समझने के लिए कहा और जिला प्राधिकारियों को निर्देश दिया कि अदालतों के किसी भी अगले आदेश का इंतजार किए बिना फौरन उनकी देखभाल की जाए।
कोर्ट ने कहा था कि, हमने कहीं पढ़ा था कि महाराष्ट्र में 2,900 से अधिक बच्चों ने कोविड-19 के कारण अपने माता-पिता में से किसी एक को या दोनों को खो दिया है। हमारे पास ऐसे बच्चों की सटीक संख्या नहीं है। हम यह कल्पना भी नहीं कर सकते कि इस विध्वंसकारी महामारी के कारण इतने बड़े देश में ऐसे कितने बच्चे अनाथ हो गए।