Chhath Puja 2025: छठी मैय्या कौन है और सूर्य देव की ही पूजा क्यों होती है? पढ़िए व्रत से जुड़ा महत्व
punjabkesari.in Tuesday, Oct 21, 2025 - 07:11 PM (IST)
 
            
            नारी डेस्कः छठ पूजा हिंदू धर्म का एक प्रमुख व्रत है जो मुख्य रूप से बिहार, झारखंड, पूर्वी उत्तर प्रदेश और नेपाल के तराई क्षेत्र में बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। यह व्रत सूर्य देव और छठी मैय्या को समर्पित होता है। इस दिन सूर्य देव और छठी मैय्या का ही प्रमुख तौर पर पूजा की जाती है लेकिन इसके पीछे का धार्मिक महत्व क्या है।
1. छठी मैय्या कौन हैं?
छठी मैय्या (Chhathi Maiya) हिन्दू धर्म में मातृ शक्ति का प्रतीक मानी जाती हैं। उन्हें सूर्य की शक्ति की अधिष्ठात्री देवी माना जाता है। मान्यता है कि छठी मैय्या अपने भक्तों की हर मनोकामना पूरी करती हैं और उन्हें रोग, दुःख और संकट से मुक्ति दिलाती हैं। लोग विशेष रूप से महिलाओं और बच्चों की सुरक्षा, परिवार में सुख-समृद्धि और स्वास्थ्य के लिए छठी मैय्या की उपासना करते हैं।
2. छठ पूजा का महत्व
छठ पूजा में छठी मैय्या और सूर्य देव की आराधना से जीवन में स्वास्थ्य, शक्ति, सुख और समृद्धि आती है। यह व्रत केवल धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का संपूर्ण अभ्यास है।
छठ पूजा चार दिनों तक मनाई जाती है और इसके प्रमुख उद्देश्य हैं।
सूर्य देव की आराधना: सूर्य देव जीवन के आधार हैं, ऊर्जा और स्वास्थ्य के प्रतीक हैं। उन्हें अर्घ्य देने से जीवन में शक्ति, स्वास्थ्य और समृद्धि आती है।
सफाई और अनुशासन: व्रत के दौरान घर और आसपास का क्षेत्र साफ-सुथरा रखा जाता है, जिससे मानसिक और आध्यात्मिक शुद्धि होती है।
संकटों से मुक्ति: छठी मैय्या की भक्ति और सूर्योदय-सूर्यास्त के समय अर्घ्य देने से जीवन में बाधाओं का नाश होता है।
परिवार में समरसता: व्रत पूरे परिवार के साथ मिलकर करने से आपसी प्रेम और समझ बढ़ती है।

3. सूर्य देव की पूजा क्यों की जाती है?
सूर्य देव को जीवनदाता माना जाता है। छठ पूजा में उनके प्रति आभार व्यक्त किया जाता है और उनसे ऊर्जा, स्वास्थ्य और समृद्धि की प्रार्थना की जाती है। सूर्य की किरणें जीवन में सकारात्मक ऊर्जा लाती हैं और मनुष्य की रोग-प्रतिरोधक क्षमता को मजबूत करती हैं।
छठ पूजा में लोग निर्जला व्रत रखते हैं, शाम और सुबह सूर्य को अर्घ्य (जल अर्पित करना) देते हैं। इसे ‘संध्या अर्घ्य’ और ‘उषा अर्घ्य’ कहा जाता है। छठ पूजा केवल एक धार्मिक अनुष्ठान नहीं, बल्कि शारीरिक, मानसिक और आध्यात्मिक स्वास्थ्य का संगम है। छठी मैय्या और सूर्य देव की उपासना से जीवन में सफलता, सुख, समृद्धि और स्वास्थ्य की प्राप्ति होती है।

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छठ पूजा का चार दिवसीय क्रम (2025 के अनुसार)
1. पहला दिन – नहाय-खाय
यह व्रत का पहला दिन होता है। भक्त सुबह जल्दी उठकर साफ-सुथरे नहाने के बाद घर की रसोई और पूजा स्थल को पूरी तरह से साफ करते हैं। इस दिन सादा शुद्ध भोजन लिया जाता है। पारंपरिक रूप से भात, दाल, सब्जी और खीर बनाई जाती है। नहाय-खाय के दिन शरीर और मन दोनों को शुद्ध करना मुख्य उद्देश्य होता है।
2. दूसरा दिन – खरना
खरना व्रत का दूसरा दिन होता है। इस दिन भक्त सूर्यास्त के समय तक निर्जला व्रत रखते हैं और शाम को गुड़ और रोटी या खीर का प्रसाद बनाकर ग्रहण करते हैं। इसके बाद व्रत को निर्जला व्रत में बदल दिया जाता है, यानी अगले दिन तक कोई भोजन या पानी नहीं लिया जाता। खरना के समय, भक्त छठी मैय्या और सूर्य देव की पूजा करते हैं।
3. तीसरा दिन – संध्या अर्घ्य
यह मुख्य दिन होता है। लोग शाम के समय सूर्यास्त के समय नदी, तालाब या किसी जलाशय के किनारे अर्घ्य देने जाते हैं। इस दिन निर्जला व्रत रखा जाता है और सूर्य को जल अर्पित किया जाता है। भक्त छठी मैय्या के गीत गाते हैं और भक्ति भाव से प्रार्थना करते हैं। यह दिन आत्म-नियंत्रण, मानसिक शुद्धि और भक्ति का प्रतीक है।
4. चौथा दिन – उषा अर्घ्य और व्रत समाप्ति
व्रत का अंतिम दिन सूर्योदय के समय होता है। भक्त सूर्योदय के समय जल अर्पित करते हैं और छठी मैय्या की प्रार्थना करते हैं। इसके बाद व्रत की समाप्ति के बाद फलों और प्रसाद का वितरण किया जाता है। इस दिन शरीर और मन दोनों को शुद्ध किया जाता है और परिवार में सुख-समृद्धि की कामना की जाती है।
छठ पूजा के दौरान ध्यान रखने योग्य बातें
गर्भवती और बीमार महिलाओं को व्रत नहीं रखना चाहिए, क्योंकि निर्जला उपवास स्वास्थ्य के लिए जोखिम भरा हो सकता है।
साफ-सफाई और शुद्धता का विशेष ध्यान रखना चाहिए।
भक्ति भाव और आत्म-नियंत्रण इस व्रत का मुख्य उद्देश्य हैं।
व्रत के दौरान तनाव, गुस्सा या नकारात्मक भावनाओं से दूर रहना चाहिए।


 
                     
                             
                             
                             
                             
                             
                             
                             
                             
                            