चंद्रयान-3 ने अब दिखाया चंदा मामा के अंदर का नजारा, आप भी देखें पहली तस्वीर
punjabkesari.in Thursday, Aug 24, 2023 - 10:21 AM (IST)
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के चंद्रयान -3 चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर उतरने के करीब ढ़ाई घंटे बाद रोवर प्रज्ञान ने सतह पर आकर चहलकदमी की। इसरो के सत्रों ने बताया कि चंद्रयान-3 की चंद्रमा के दक्षिणी ध्रुव पर सफल लैंडिंग के बाद लैंडर से करीब ढाई घंटे बाद रोवर प्रज्ञान बाहर निकला, छह पहियों वाला रोवर चांद की स्तर पर चहलकदमी कर रहा है। लैंडर विक्रम ने चंद्रमा की सतह पर लैंडिंग के बाद पहली बार तस्वीरें भेजी है।
Chandrayaan-3 Mission:
— ISRO (@isro) August 23, 2023
Updates:
The communication link is established between the Ch-3 Lander and MOX-ISTRAC, Bengaluru.
Here are the images from the Lander Horizontal Velocity Camera taken during the descent. #Chandrayaan_3#Ch3 pic.twitter.com/ctjpxZmbom
भारत ने रच दिया इतिहास
इसरो ने लैंडर से बाहर आते रोवर की पहली तस्वीर और रैप पर की भी तस्वीर पोस्ट की। इसरो के चंद्रयान-3 ने चंद्रमा उस ‘गहरे अंधेरे', सर्वाधिक ठंडे और दुर्गम छोर ‘दक्षिणी ध्रुव' को साहसिक कदमों से चूमा है जहां आज तक कोई भी देश नहीं पहुंच पाया है। भारत के वैज्ञानिकों ने बुधवार को चंद्रमा की दुनिया में अभूतपूर्व इतिहास रचा दिया। भारत के लिए 23 अगस्त की शाम छह बजकर चार मिनट ऐतिहासिक उपलब्धि के साथ गौरवपूर्ण क्षण रहा। चंद्रयान-3 आज वहां पहुंच गया जहां इससे पहले कोई भी देश नहीं पहुंच पाया था। चंद्रमा पर उतरने वाले पिछले सभी अंतरिक्ष यान चंद्रमा के भूमध्य रेखा के पास के क्षेत्र पर उतर चुके हैं क्योंकि यह आसान और सुरक्षित है।
यहां हैं कई गड्ढे
इस इलाके का तापमान उपकरणों के लंबे समय तक और निरंतर संचालन के लिए अधिक अनुकूल है। वहां सूर्य का प्रकाश भी है जिससे सौर ऊर्जा से चलने वाले उपकरणों को नियमित रूप से ऊर्जा मिलती है।चंद्रमा के ध्रुवीय क्षेत्र की स्थिति बिल्कुल अलग है यानी मुश्किलों से भरा है। कई हिस्से सूरज की रोशनी के बिना पूरी तरह से अंधेरे में ढ़के हैं और वहां का तापमान 230 डिग्री सेल्सियस से नीचे गिर सकता है। ऐसे तामपान में यंत्रों के संचालन में कठिनाइयां पैदा होती हैं। इसके अलावा इस क्षेत्र में हर जगह बड़े-बड़े गड्ढे हैं। यही कारण है कि आज तक कोई भी देश ऐसा साहसिक करनामा नहीं कर पाया। चंद्रमा का दक्षिण ध्रुवीय क्षेत्र अज्ञात रह गया था और भारत चंद्रमा के इस क्षेत्र पर उतरने वाला पहला देश बन गया। अत्यधिक ठंडे तापमान का मतलब है कि और यहां कुछ भी फंस गया तो बिना अधिक परिवर्तन के समय के साथ स्थिर बना रहेगा।
इसरो को दुनिया भर से मिल रही है बधाई
चंद्रमा के उत्तरी और दक्षिणी ध्रुवों में चट्टानें और मिट्टी हो सकती हैं और इनसे प्रारंभिक सौर मंडल के बारे में सुराग मिल सकता है। इस मिशन का उद्देश्य चंद्रमा के बारे में हमारी समझ को बढ़ाना है। चांद की इस सतह पर लैंडर बिक्रम और रोवर प्रज्ञान ऐसी खोज कर सकते हैं जिनसे भारत और मानवता को लाभ होगा। इसरो की इस कामयाबी को सराहते हुए लिए देश और विदेशो से बधाई मिली है।