CBSE ने बच्चों की Health के लिए लिया बड़ा फैसला: अब स्कूलों में बनेंगे 'शुगर बोर्ड'
punjabkesari.in Sunday, Jun 01, 2025 - 09:52 AM (IST)

नारी डेस्क: बच्चों के बढ़ते स्वास्थ्य संबंधी खतरों को देखते हुए CBSE ने एक महत्वपूर्ण फैसला लिया है। अब CBSE के सभी संबद्ध स्कूलों को निर्देश दिया गया है कि वे बच्चों के चीनी (शुगर) के सेवन पर कड़ी नजर रखें और इसे कम करने के लिए विशेष प्रयास करें। इसके लिए स्कूलों में 'शुगर बोर्ड' लगाने होंगे।
क्यों लिया यह कदम?
CBSE ने देखा है कि पिछले दस सालों में बच्चों में टाइप 2 डायबिटीज यानी मधुमेह के मामले तेजी से बढ़े हैं। पहले यह बीमारी सिर्फ बड़े उम्र के लोगों में होती थी, लेकिन अब बच्चों में भी ये बीमारी आम होने लगी है। यह स्थिति बच्चों के भविष्य के स्वास्थ्य के लिए बहुत खतरनाक साबित हो सकती है।
चीनी का ज्यादा सेवन – बड़ी समस्या
CBSE ने स्कूलों के प्रिंसिपल्स को एक पत्र भेजा है, जिसमें बताया गया है कि बच्चों में चीनी का अत्यधिक सेवन उनकी सेहत के लिए बहुत नुकसानदायक है। स्कूलों में आसानी से मिलने वाले मीठे स्नैक्स, शर्बत, कोल्ड ड्रिंक और जंक फूड की वजह से बच्चे ज्यादा चीनी लेते हैं।
अध्ययन बताते हैं कि 4 से 10 साल के बच्चों की दैनिक कैलोरी का लगभग 13% हिस्सा चीनी से आता है, जबकि 11 से 18 साल के बच्चों में यह 15% है। यह आंकड़ा विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) द्वारा बताए गए 5% की सीमा से काफी ज्यादा है।
NCPCR के आग्रह पर CBSE ने किया यह फैसला
यह फैसला राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (NCPCR) के आग्रह पर लिया गया है। NCPCR भारत सरकार का एक आधिकारिक संस्थान है, जो बच्चों के अधिकारों और सुरक्षा के लिए काम करता है।
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'शुगर बोर्ड' क्या होंगे और उनका काम क्या होगा?
स्कूलों में लगाए जाने वाले 'शुगर बोर्ड' का मुख्य उद्देश्य बच्चों को ज्यादा चीनी खाने के नुकसान और सही आहार के बारे में जागरूक करना है। इन बोर्डों पर निम्नलिखित जानकारी दी जाएगी-
बच्चों के लिए रोजाना कितनी चीनी लेना सुरक्षित है।
आमतौर पर बच्चों द्वारा खाए जाने वाले जंक फूड और पेय पदार्थों में कितनी चीनी होती है।
ज्यादा चीनी खाने से होने वाले स्वास्थ्य जोखिम जैसे मधुमेह, मोटापा आदि।
बच्चों के लिए स्वस्थ और सुरक्षित भोजन के विकल्प क्या-क्या हैं।
जागरूकता और रिपोर्टिंग
CBSE ने स्कूलों से कहा है कि वे इस विषय पर सेमिनार और कार्यशालाएँ भी आयोजित करें ताकि बच्चे और उनके माता-पिता दोनों जागरूक हो सकें। साथ ही स्कूलों को 15 जुलाई तक इस पहल की एक संक्षिप्त रिपोर्ट और कुछ तस्वीरें CBSE पोर्टल पर अपलोड करनी होंगी।
यह कदम बच्चों के स्वास्थ्य को बेहतर बनाने के लिए एक बड़ा और सकारात्मक प्रयास माना जा रहा है। इससे बच्चों में चीनी का सेवन कम होगा और वे स्वस्थ रह सकेंगे। स्कूलों में शुगर बोर्ड लगाकर और जागरूकता फैलाकर भविष्य में बच्चों को गंभीर बीमारियों से बचाया जा सकेगा।