इस विटामिन की कमी से शरीर को मार रहा लकवा, सिकुड़ जाता दिमाग और नसें हो रही कमजोर
punjabkesari.in Monday, Jan 27, 2025 - 07:05 PM (IST)
नारी डेस्कः इन दिनों लकवा होने के केसेज बहुत ज्यादा सुनने को मिल रहे हैं और लकवा की समस्या कम उम्र में ही हो रही हैं लेकिन ऐसी समस्या एकदम से क्यों हो रहा है। लक्वा होने के पीछे हमारा लाइफस्टाइल और खानपान जुड़ा है लेकिन पैरालिसिस होने के पीछे बहुत सारे कारण हो सकते हैं।चलिए इस बारे में विस्तार से बताते हैं।
लक्वा (पैरालिसिस) है क्या?
लकवा एक वायु रोग है, जिसे पैरालिसिस, लकवा और पक्षाघात के नाम से भी जानते हैं। लकवा (Paralysis) एक ऐसी स्थिति है जिसमें व्यक्ति के शरीर के किसी हिस्से में ताकत या नियंत्रण खो जाता है। यह स्थिति तब आती है, जब मांसपेशियों और मस्तिष्क के बीच संचार सही से नहीं हो पाता है। लकवा शरीर के एक क्षेत्र में या पूरे शरीर में हो सकता है यानी शरीर के एक तरफ या दोनों तरफ हो सकता है। लक्वे की समस्या, आमतौर पर नर्वस सिस्टम यानी तंत्रिका तंत्र में आई खामियों के कारण होती है। पैरालायसिस, नसों से संबंधित बीमारी है जिसमें वोलेंटरी मसल्स का मूवमेंट बाधित हो जाता है। नर्वस सिस्टम में दिक्कत के कारण सबसे ज्यादा लकवा मारने का खतरा रहता है। नर्वस सिस्टम ही दिमाग के जरिए पूरे शरीर को सिंग्नल या संकेत देता है। अगर नर्वस सिस्टम में कुछ डैमेज होता है तो सिग्नल का आदान-प्रदान मुश्किल हो जाता है इससे मसल्स तक संदेश नहीं पहुंचते हैं।
लकवा होने की पहली कुछ निशानियां | Paralysis symptoms
लकवा (Paralysis) होने से पहले कुछ शुरुआती संकेत या लक्षण दिखाई देते हैं, जिन्हें पहचान कर समय पर इलाज किया जा सकता है। इन लक्षणों को पहचानना बेहद जरूरी है क्योंकि सही समय पर इलाज से गंभीर परिणामों को रोका जा सकता है।
अचानक कमजोरी (Sudden Weakness): शरीर के किसी हिस्से में अचानक कमजोरी महसूस होना। हाथ, पैर या चेहरे का कोई भाग काम करना बंद कर सकता है।
चेहरे का टेढ़ा होना (Facial Drooping): चेहरा एक तरफ झुक जाता है। मुस्कान देने की कोशिश में आधा चेहरा स्थिर रहता है।
बोलने में कठिनाई (Difficulty in Speaking): बोलते समय शब्द बिगड़ने लगते हैं। व्यक्ति अस्पष्ट (slurred) या धीमी आवाज में बात करता है। कुछ लोग पूरी तरह बोलने में असमर्थ हो जाते हैं।
देखने में समस्या (Vision Problems): आंखों में धुंधलापन या एक या दोनों आंखों से दिखाई देना बंद हो सकता है। डबल विजन (एक ही चीज़ दो बार दिखाई देना)।
संतुलन खोना (Loss of Balance): चलते समय या खड़े होने में अस्थिरता महसूस होना। चक्कर आना या बेहोशी जैसा अनुभव।
सुन्नपन (Numbness): शरीर के किसी हिस्से में झनझनाहट या सुन्नपन महसूस होना। विशेषकर एक तरफ का हाथ, पैर या चेहरा सुन्न हो सकता है।
तेज सिरदर्द (Severe Headache): अचानक, बिना कारण के बहुत तेज सिरदर्द होना। यह संकेत मस्तिष्क में रक्तस्राव का हो सकता है।
समझने में परेशानी (Confusion): सरल चीजें समझने में मुश्किल होना। किसी की बात का मतलब न समझ पाना।
निगलने में कठिनाई (Difficulty Swallowing): भोजन या पानी निगलने में समस्या होना। गले में रुकावट महसूस होना।
थकान और कमजोरी (Fatigue and Weakness): सामान्य काम करते समय थकावट महसूस होना। शरीर के किसी हिस्से का भार उठाने में असमर्थता।
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लकवा कितने प्रकार का होता है?
लकवा कई प्रकार के होते हैं चलिए लकवे के प्रकार के बारे में जानते हैं।
मोनोप्लेजिया - लकवा में जब शरीर का कोई एक अंग (पैर या बांह) प्रभावित होता है, उसे मोनोप्लेजिया कहते हैं।
हेमिप्लेजिया - हेमिप्लेजिया में बॉडी के एक तरफ का हिस्सा प्रभावित होता है। इसमें एक साइड का एक हाथ, एक पैर, पेट, कंधा, सीना प्रभावित हो सकता है।
पैराप्लेजिया - इस तरह के लकवा में शरीर का निचला हिस्सा प्रभावित होता है, यानी कमर से नीचे का भाग, जिसमें दोनों पैर प्रभावित हो सकता हैं।
कार्डियोप्लेजिया - कार्डियोप्लेजिया को टेट्राप्लेजिया के नाम से भी जाना जाता है। इस स्थिति में शरीर के चारों भुजा यानी दोनों बांह और पैर प्रभावित होते हैं।
बेल्स पाल्सी - कई बार शरीर के किसी अंग की मांसपेशियां जब काम करना बंद कर देती हैं, उस स्थिति को पाल्सी कहते हैं, बेल्स पाल्सी में चेहरे की मांसपेशियां प्रभावित होती है। ऐसे में चेहरे का भाग, जैसे- मुंह का टेढ़ा होना है, जिसके कारण बोलने और खाने-पीने में समस्या होने लगती है।
विटामिन बी 12 की कमी भी लकवे के लिए जिम्मेदार
शरीर को हैल्दी रखने के लिए विटामिन्स बहुत जरूरी है और नसों के लिए विटामिन बी 12 भी काफी हद तक जिम्मेदार माना जाता है। अगर शरीर में काफी लंबे समय तक विटामिन बी 12 की कमी हो तो लक्वा का खतरा कई गुना बढ़ जाता है क्योंकि खून में मौजूद लाल रक्त कोशिकाएं ( आरबीसी), नसें या तंत्रिका तंत्र और दिमाग की काफी हद तक निर्भरता विटामिन बी 12 पर रहती है हालांकि अधिकांश भारतीय लोगों में विटामिन बी 12 की कमी होती है।
विटामिन बी 12 की कमी से क्यों होता है लकवा?
वेबएमडी की खबर के मुताबिक, विटामिन बी 12 की कमी का सबसे ज्यादा असर खून पर देखने को मिलता है। इसकी कमी के चलते लाल रक्त कोशिकाएं नहीं बनती जिसे मेगाब्लास्टिक एनीमिया कहते है।इन लाल कोशिकाओं में ही हीमोग्लोबिन मौजूद होता है जो फेफड़ों से ऑक्सीजन को पकड़कर शरीर के प्रत्येक अंग तक पहुंचाता है। जब ये ऑक्सीजन की कमी होती है तो नसों में भी ऑक्सीजन नहीं पहुंचता और नसें कमजोर होने लगती है। विटामिन बी-12 शरीर में मेलीन बनाता है। मेलीन नसों में वायर को लेयर प्रदान करता है यानी कि एक तरह से यह इलेक्ट्रिक तार को बनाने में मदद करता है जब इसकी कमी होती है तो नर्व फाइबर डैमेज होने लगता है। इससे मसल्स कमजोर होने लगते हैं और शरीर पर बैलेंस कम होने लगता है, चलने में दिक्कत होने लगती है, यौन क्षमता प्रभावित होती है। पेट संबंधी दिक्कतें होने लगती है। इन सबके अलावा यदि विटामिन बी 12 की कमी को ज्यादा दिनों तक इलाज नहीं कराया गया तो लकवा हो सकता है।
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लकवा होने के अन्य कारण | Causes of Paralysis
क्लीवलैंड क्लिनिक के मुताबिक, नर्वस सिस्टम में दिक्कत के कारण सबसे ज्यादा लकवा मारने का खतरा रहता है। अगर नर्वस सिस्टम में कुछ डैमेज होता है तो सिग्नल का आदान-प्रदान मुश्किल हो जाता है लेकिन लकवा होने के और भी कई कारण होते हैं। वहीं कुछ जन्मजात कारणों से भी लकवा हो सकता है। इसके अलावा स्ट्रोक, स्पाइल कॉर्ड में इंज्युरी, मल्टीपल स्क्लेरेसिस, गुलियन सिंड्रोम, ब्रेन इंज्युरी, सेरेब्रल पाल्सी आदि बीमारियों की वजह से भी लकवा हो सकता है। चलिए आपको इस बारे में भी विस्तार से बताते हैं।
स्ट्रोक (Stroke): स्ट्रोक लकवे का सबसे सामान्य कारण है। यह तब होता है जब मस्तिष्क में रक्त प्रवाह रुक जाता है या रक्त वाहिका फट जाती है। इसके कारण मस्तिष्क के कुछ हिस्से को ऑक्सीजन और पोषण नहीं मिल पाता, जिससे लकवा हो सकता है। इस्केमिक स्ट्रोक: रक्त प्रवाह में रुकावट। हेमरेजिक स्ट्रोक: रक्त वाहिका फटने से रक्तस्राव।
तंत्रिका तंत्र को नुकसान (Nerve Damage): यदि किसी कारण से तंत्रिकाओं को क्षति होती है, तो लकवे की समस्या हो सकती है। जैसे: रीढ़ की हड्डी की चोट। मस्तिष्क या रीढ़ की तंत्रिकाओं पर दबाव।
सिर की चोट (Head Injury): सिर पर चोट लगने से मस्तिष्क को क्षति पहुंच सकती है, जिससे लकवा हो सकता है।
मस्तिष्क संबंधी रोग (Neurological Disorders): मल्टीपल स्क्लेरोसिस (Multiple Sclerosis): यह एक ऑटोइम्यून बीमारी है जिसमें तंत्रिकाओं की सुरक्षात्मक परत नष्ट हो जाती है।
सेरेब्रल पाल्सी (Cerebral Palsy): बचपन में मस्तिष्क के विकास में समस्या के कारण।
गुइलेन-बैरे सिंड्रोम (Guillain-Barre Syndrome): यह एक दुर्लभ स्थिति है जिसमें शरीर की रोग प्रतिरोधक प्रणाली तंत्रिकाओं पर हमला करती है। इस समय यह सिंड्रोम पूणे में तेजी से फैल रहा है। (guillain barré syndrome gbs pune) जिसकी पहली निशानी हाथ-पैर सुन्न होना और मांसपेशियों में कमजोरी महसूस होती है।
संक्रमण (Infections): कुछ संक्रमण लकवे का कारण बन सकते हैं। मेनिन्जाइटिस (Meningitis): मस्तिष्क और रीढ़ की हड्डी के चारों ओर सूजन। पोलियो (Poliomyelitis): एक वायरल संक्रमण जो तंत्रिकाओं को नुकसान पहुंचाता है।
मांसपेशियों से जुड़ी समस्याएं (Muscular Disorders): मायस्थीनिया ग्रेविस (Myasthenia Gravis): एक ऑटोइम्यून रोग जिसमें मांसपेशियां कमजोर हो जाती हैं।
ट्यूमर (Tumor): मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी में ट्यूमर होने पर तंत्रिकाओं पर दबाव पड़ सकता है, जिससे लकवा हो सकता है।
अनुवांशिक और जन्मजात कारण (Genetic and Congenital Causes): कुछ लोग जन्म से ही लकवे से प्रभावित हो सकते हैं, जैसे कि स्पाइना बिफिडा (Spina Bifida)।
लक्वा होने के कुछ और अन्य कारण
डायबिटिक न्यूरोपैथी: लंबे समय तक डायबिटीज रहने से तंत्रिकाओं को नुकसान।
जहर या विषैले पदार्थ: जहरीले केमिकल्स, सांप के काटने आदि से।
ऑक्सीजन की कमी: जैसे डूबने या सांस रुकने की स्थिति में।
F.A.S.T टेस्ट: लकवे का पता लगाने का आसान तरीका
लकवे का पता लगाने के लिए F.A.S.T मेथड का उपयोग किया जाता है:
F (Face): व्यक्ति से मुस्कुराने को कहें। यदि चेहरा एक तरफ झुक रहा है, तो यह संकेत हो सकता है।
A (Arms): व्यक्ति से दोनों हाथ ऊपर उठाने को कहें। यदि एक हाथ नीचे गिर जाए, तो यह लकवे का संकेत है।
S (Speech): व्यक्ति से सरल वाक्य बोलने को कहें। यदि उसकी आवाज अस्पष्ट है या बोलने में समस्या हो रही है, तो यह संकेत हो सकता है।
T (Time): समय बर्बाद न करें। तुरंत चिकित्सा सहायता लें।
लकवा होने पर तुरंत क्या करें?
यदि ऊपर दिए गए लक्षण दिखाई दें तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें। लकवे का इलाज जल्दी शुरू करना बहुत जरूरी है, खासकर अगर यह स्ट्रोक के कारण हो रहा हो। पहले 3-4 घंटे बहुत महत्वपूर्ण होते हैं। जल्द से जल्द नजदीकी अस्पताल पहुंचें और न्यूरोलॉजिस्ट से सलाह लें। सावधानी और जागरूकता से लकवे की गंभीरता को रोका जा सकता है।
लकवे से बचाव के उपाय क्या है?
लकवे से बचाव का सबसे महत्वपूर्ण उपाय हैल्दी लाइफस्टाइल ही है। स्वस्थ जीवनशैली अपनाएं और जो भी खाएं हैल्दी खाएं। संतुलित आहार आपको एक नहीं कई तरह की बीमारियों से बचाने में मदद करता है। ब्लड प्रैशर और कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल रखें। नियमित व्यायाम करें। धूम्रपान और शराब से बचें।
याद रखेंः लकवा एक गंभीर समस्या है। इसे पहचानने और इलाज के लिए शीघ्र चिकित्सा सहायता लेना आवश्यक है। अगर आपको किसी भी स्वास्थ्य समस्या के संकेत मिल रहे हैं तो तुरंत डॉक्टर से सलाह लें
लकवा का देसी इलाज क्या है?
लकवा एक घातक बीमारी है हालांकि इस बीमारी में कुछ देसी इलाज भी फॉलो किए जा सकते हैं।
गिली मिट्टी का लेप लगाना- गिली मिट्टी का लेप पैरालिसिस में बहुत उपयोगी माना जाता है। आप नियमित रूप से लकवा रोगियों में गिली मिट्टी का लेप लगा सकते हैं। मिट्टी का लेप लगाने के बाद मरीज को कटीस्नान करना जरूरी होता है। यह उपाय लकवा मरीज के लिए बहुत लाभकारी साबित होता है।
लहसुन और सरसों तेल की मालिश- आधा लीटर सरसों के तेल में 50 ग्राम लहसुन, लोहे की कड़ाही में तब तक पकाएं, जब तक की पानी जल न जाए। उसके बाद उसे ठंडा होने दे और ठंडा होने के बाद डिब्बे में छान कर रख लें। इस तेल से आप रोजाना लकवे वाले अंग पर मालिश करें।
करेला- पैरालिसिस में करेला बहुत ही फायदेमंद माना जाता है। मरीज को करेले की सब्जी या जूस दें। यह आपके शरीर के प्रभावित अंगों में सुधार करता है।
तुलसी और दही का मिश्रण-तुलसी के पत्ते, दही और सेंधा नमक को बराबर मात्रा में मिलाकर लेप तैयार करें। इसके बाद उस लेप को आप लकवा ग्रसित अंग पर लगाएं और मालिश करें।
काली मिर्च- एक चम्मच काली मिर्च पीसकर उसमें तीन चम्मच देसी घी मिलाएं। मिलाने के बाद लेप तैयार करें और इस लेप को लकवा वाले अंग पर लगाएं।
नोटः कोई भी देसी उपाय करने से पहले चिकित्सक परामर्श जरूर लें।
लकवा का सबसे अच्छा इलाज क्या है?
स्ट्रोक या लकवा के लिए आयुर्वेदिक उपचार सबसे सुरक्षित और सबसे प्रभावी उपचारों में से एक माना जाता है। पंचकर्म चिकित्सा (अभ्यंगम, स्वेदम, नास्यम, विरेचनम, शिरो वस्ति, सर्वांग धारा (पिझिचिल), पिचु, नवराकिज़ी और वस्ति) करके, एक आयुर्वेदिक विशेषज्ञ इस बीमारी का इलाज करता था। इसके लिए ज्यादा जानकारी आयुर्वेदिक चिकित्सिक से लें।
लकवा में कौन सा जूस पीना चाहिए?
लकवा मरीज को करेले की सब्जी या करेले का जूस पीना चाहिए। इससे लकवा ग्रस्ति शरीर के प्रभावित अंगों में सुधार आता है। यह जरूर ध्यान रखें की इस घरेलू उपाय को रोजाना करना होगा, इससे आपको जल्दी आराम मिल सकता है।
लकवा मरीज को किस तेल की मालिश करनी चाहिए ?
सरसों या तिल के तेल से मालिश करना लकवाग्रस्त अंगों में रक्त प्रवाह को सुधारता है। नियमित मालिश से मांसपेशियों में ताकत बढ़ सकती है और शरीर के प्रभावित हिस्सों में संवेदनशीलता लौटने में मदद मिल सकती है।
क्या बीपी बढ़ने से लकवा होता है?
हेल्थ एक्सपर्ट्स के मुताबिक, मस्तिष्क में ब्लड का सर्कुलेशन कम होने की वजह से स्ट्रोक, लकवा और कुछ सिचुएशन में मौत भी हो सकती है। न्यूरोलॉजिकल समस्याओं के पीछे कई फैक्टर्स शामिल होते हैं। वहीं, हाई ब्लड प्रेशर की समस्या दिल और दिमाग दोनों को बहुत नुकसान पहुंचाती हैं और इससे ब्रेन स्ट्रोक का जोखिम बढ़ता है।
लकवा रोगी के लिए सबसे अच्छा भोजन कौन सा है?
प्रोटीन युक्त खाद्य पदार्थों ज्यादा लें क्योंकि प्रोटीन प्रतिरक्षा प्रणाली में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। चिकन, मछली, अंडे और डेयरी उत्पादों के साथ अपने आहार में अधिक लीन प्रोटीन शामिल करें। मूंगफली का मक्खन, बीन्स, फलियां, नट्स और बीज जैसे पौधे-आधारित उत्पादों से भी प्रोटीन प्राप्त कर सकते हैं।
पैरालिसिस कितने दिन में ठीक हो जाता है?
डॉक्टर्स के मुताबिक, लकवा आने के दो से तीन दिन में पेशेंट में सुधार शुरू हो जाता है, तो छह महीने में रिकवरी आना शुरू होती है। डेढ़ साल में पूरी तरह से रिकवरी आ सकती है। इस पीरियड के बाद रिकवरी आने की संभावना खत्म हो जाती है।